Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक जज ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने खुलासा किया कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक संजय पाठक ने मामले के संबंध में उनसे संपर्क करने की कोशिश की थी। जस्टिस विशाल मिश्रा ने कहा कि विजय राघवगढ़ विधायक पाठक ने उनसे फोन पर संपर्क करने की कोशिश की थी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस ने कहा, “संजय पाठक ने इस विशेष मामले पर चर्चा के लिए मुझे बुलाने का प्रयास किया है। इसलिए, मैं इस रिट याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हूं।” उन्होंने मामले से खुद को अलग कर लिया और आदेश दिया कि मामले को किसी दूसरी बेंच के सामने सूचीबद्ध करने के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जाए।
अवैध खनन से जुड़ा है मामला?
कोर्ट ने कहा, “इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए ताकि मामले को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जा सके।” यह मामला हाईकोर्ट में दायर एक रिट याचिका से संबंधित है। इसमें अवैध खनन के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। आशुतोष दीक्षित नाम के एक व्यक्ति ने इस मामले में ईओडब्ल्यू भोपाल में शिकायत दर्ज कराई थी। जनवरी में फिर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दीक्षित ने तर्क दिया कि ईओडब्ल्यू टाइम लिमिट के अंदर जांच पूरी करने में विफल रहा।
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संजय पाठक ने भी दायर किया आवेदन
याचिका में उन्होंने पाठक और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों पर खनिजों का खनन करने का आरोप लगाया। पाठक ने हाईकोर्ट के सामने एक आवेदन दायर कर मामले में हस्तक्षेप करने और उन्हें भी सुनने की मांग की। संजय पाठक ने साल 2016 में शिवराज सिंह चौहान की सरकार के दौरान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री के तौर पर काम किया था। पाठक दीक्षित की तरफ से दायर की गई रिट याचिका में पक्षकार नहीं थे।
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