BJP MLA Hardik Patel: गुजराती की राजनीति का चर्चित नाम हार्दिक पटेल को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हार्दिक पटेल के खिलाफ अब देशद्रोह का केस नहीं चलेगा। पिछले दिनों राज्य सरकार की तरफ से राजद्रोह का केस वापस लेने का ऐलान किया गया था। अब अहमदाबाद की सेशंस कोर्ट ने सरकार को केस वापस लेने की अनुमति प्रदान कर दी है। ऐसे में अब हार्दिक पटेल राजद्रोही नहीं रहेंगे। जल्द ही केस वापस लेने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। हार्दिक पटेल के साथ उनके तमाम सहयोगियों को भी इस फैसले से राहत मिली है। बता दें, पटेल गुजरात की वीरमगाम विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक हैं।
शनिवार को पारित अपने आदेश में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एम पी पुरोहित की कोर्ट ने स्पेशल लोक अभियोजक सुधीर ब्रह्मभट्ट द्वारा हार्दिक पटेल, दिनेश बांभणिया, चिराग पटेल, केतन पटेल और अल्पेश कथीरिया के खिलाफ राजद्रोह के मामलों को वापस लेने के लिए दायर अर्जी स्वीकार कर ली।
कोर्ट ने पांचों आरोपियों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 321 (ए) के तहत लगाए गए सभी आरोपों को अभियोजन द्वारा वापस लिया गया मानते हुए आरोप मुक्त कर दिया। तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए, लेकिन केतन पटेल के खिलाफ आरोप तय नहीं किए गए, क्योंकि उन्हें मामले में गवाह के तौर पर पेश होने के आधार पर माफी दे दी गई।
वहीं, जांच अधिकारी द्वारा आरोपियों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद कथीरिया के खिलाफ मामला आरोप तय जाने के चरण में लंबित था। गुजरात सरकार ने पिछले महीने 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन के संबंध में दर्ज नौ मामलों को वापस लेने का फैसला किया था, जिनमें राजद्रोह के दो मामले भी शामिल थे।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पांचों लोगों पर शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए पाटीदार समुदाय के सदस्यों को भड़काने का आरोप है और उन्होंने इसे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया, जिसका मकसद नफरत फैलाना और गुजरात सरकार के प्रति असंतोष पैदा करना था।
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह), 121 (भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ना या युद्ध छेड़ने का प्रयास करना, या युद्ध छेड़ने के लिए उकसाना), 121ए (धारा 121 के अंतर्गत दंडनीय अपराध करने का षडयंत्र), 153ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, तथा सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य करना) और 153बी (राष्ट्रीय एकता के लिए प्रतिकूल आरोप लगाना, दावे करना) के तहत आरोप लगाए गए।
यह उन नौ पाटीदार आरक्षण आंदोलन मामलों में से एक था , जिन्हें भाजपा सरकार ने पिछले महीने वापस लेने की घोषणा की थी। 2015 के पाटीदार आंदोलन में करीब 300 मामले दर्ज किए गए थे।
विरमगाम से विधायक हैं हार्दिक
साल 2015 में पाटीदार आंदोलन के दौरान हार्दिक पटेल और उनके साथियों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज हुआ था। आंदोलन के बाद हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 2022 गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले हार्दिक पटेल अहमदाबाद की वीरमगाम सीट से लड़े और बीजेपी के विधायक बन गए थे। वे मौजूदा गुजरात विधानसभा में सबसे कम उम्र के विधायक हैं। बीजेपी में आने के बाद से हार्दिक पटेल वीरमगाम में सक्रिय हैं। उन्होंने हाल ही में विरमगाम में नशामुक्ति अभियान का शुभारंभ किया था।
क्यों चर्चा में आए थे हार्दिक पटेल?
करीब नौ साल पहले महज़ 22 साल के एक युवा ने गुजरात की राजनीति में उबाल ला दिया था। यह वह दौर था जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बन चुके थे और गुजरात में भारतीय जनता पार्टी का पूरी तरह से दबदबा था। इसके बावजूद 25 अगस्त, 2015 को अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान में पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति की महाक्रांति रैली में लाखों लोग जुटे थे। इन लोगों की मांग पाटीदारों यानी पटेलों को ओबीसी में शामिल करने और आरक्षण देने की थी। इस रैली का नेतृत्व हार्दिक पटेल ने किया जो उस समय केवल 22 वर्ष के थे।इस रैली ने हार्दिक पटेल को अचानक से राष्ट्रीय स्तर पर सुर्ख़ियों में ला दिया था। इस आंदोलन ने गुजरात की राजनीति पर इतना असर डाला कि तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को इस्तीफ़ा देना पड़ा। आंदोलन के बाद हुए 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को 99 सीटों के साथ मामूली बहुमत मिला था। तब हार्दिक पटेल राज्य में कांग्रेस का चेहरा बने हुए थे।
कांग्रेस ने दिया था हेलीकॉप्टर, बीजेपी ने नहीं बनाया स्टार प्रचारक
एक समय हार्दिक पटेल को गुजरात कांग्रेस ने अपना कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था और 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए एक हेलीकॉप्टर भी दिया था, लेकिन बदलते समय के साथ हार्दिक पटेल आज बीजेपी से निर्वाचित विधायक हैं। लेकिन हालात ये हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने जिन 40 स्टार प्रचारकों की सूची बनाई थी, उसमें हार्दिक पटेल का नाम तक नहीं शामिल नहीं था।
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