बिहार में सत्ताधारी जद(यू) के एक फैसले की पड़ोसी झारखंड की भाजपा सरकार में तारीफ हो रही है। नीतीश कुमार के शराबबंदी के फैसले को अच्छा बताते हुए झारखंड में भी लागू किए जाने की मांग उठी है। यह मांग जल संसाधन मंत्री चंद्र प्रकाश चौधरी ने की है। चौधरी भाजपा की सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के रामगढ़ से विधायक हैं। उन्होंने सोमवार (11 अप्रैल) को मुख्‍यमंत्री रघुवर दास को चिट्ठी लिख कर मांग की कि झारखंड में शराब बनाने, बेचने और पीने पर पूरी तरह पाबंदी लगानी चाहिए।

इंडियन एक्सप्रेस से फोन पर बातचीत में चौधरी ने कहा, ‘जमीनी स्तर पर हमारा अनुभव बताता है कि शराब की लत के चलते बड़ी संख्या में परिवार बर्बाद हो रहे हैं और आर्थिक मुश्किलों में फंस रहे हैं। पड़ोसी राज्य ने शराबबंदी लागू कर दी है। मेरी निजी राय है कि हमारे राज्य में भी ऐसा किया जाना चाहिए। मैंने मुख्यमंत्री को लिखित रूप में यह सलाह दी है।’ उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले से होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई का दूसरा तरीका खोजा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘समझ लीजिए कि लोग शराब पीना छोड़ देते हैं तो इससे पैसे की बचत होगी। वे इन पैसों से अपने लिए जरूरी चीजें खरीद सकते हैं। सो अंतत: इसका फायदा राज्य सरकार को ही होगा।’

झारखंड के श्रम मंत्री राज पलिवार ने भी सार्वजनिक मंच से राज्य में शराबबंदी की वकालत की है। पलिवार मधुपुर (देवघर) से भाजपा विधायक हैं। उन्होंने फोन पर कहा, ‘यह मेरा निजी विचार है कि राज्य में शराबबंदी लागू करने से कई समस्याओं से निजात मिलेगी। लोगों की खराब वित्तीय हालत, स्वास्थ्य पर खर्च, अपराध जैसी कई समस्याएं तेजी से कम होंगी।’ उन्होंने कहा कि हम जल्द ही इस मसले पर मुख्यमंत्री के साथ बात करेंगे।

Read Also: कई राज्‍यों में विफल रहा है शराबबंदी का प्रयोग

बता दें कि बिहार में इसी महीने से शराबबंदी लागू हुई है। इसके चलते राज्य सरकार को करीब 4000 करोड़ रुपए की चपत लगने का अनुमान है। दस साल पहले शराब की बिक्री से 320 करोड़ रुपए का एक्साइज रेवेन्यू आता था। वित्त वर्ष 2014-15 में यह 3,665 करोड़ हो गया था। बीते दस साल का आंकड़ा ये है-

साल: एक्साइज रेवेन्यू (करोड़ रुपए में)
2014-15: 3,665
2013-14: 3,173
2012-13: 2,431
2011-12: 2,045
2010-11: 1,542
2009-10: 1,099
2008-09: 749
2007-08: 536
2006-07: 384
2005-06: 320

Read Also: बिहार में शराबबंदी से जुड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें