Maharashtra Local Elections: सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। राज्य में सरकार की अगुवाई कर रहे महायुति गठबंधन को लेकर अभी यह साफ नहीं है कि क्या यह मिलकर चुनाव लड़ेगा या बिखर जाएगा? क्या बीजेपी महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी, इसका संकेत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के एक हालिया बयान से मिला है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, “हम शिवसेना और एनसीपी के साथ गठबंधन में रहना चाहते हैं, हम महायुति के तौर पर लड़ना चाहते हैं हालांकि अगर कुछ स्थानीय निकायों में गठबंधन नहीं हो पाएगा तो हम कोशिश करेंगे कि एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते वक्त किसी तरह की दुश्मनी ना हो। चुनाव के बाद अगर हालात ऐसे बनते हैं तो हम विपक्ष को सत्ता से बाहर रखने के लिए फिर से साथ आएंगे।”
सीट शेयरिंग को लेकर नहीं बन रही बात
महाराष्ट्र में कई ऐसे स्थानीय निकाय हैं जहां पर सीट शेयरिंग को लेकर महायुति के भीतर बात नहीं बन पा रही है। बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, शुरुआती फीडबैक यह मिला है कि मुंबई, पुणे, नागपुर, पिंपरी-चिंचवाड़, कल्याण-डोंबिवली, नासिक, छत्रपति संभाजीनगर, सोलापुर, मीरा-भयंदर, अमरावती, अकोला, पनवेल, सांगली, उल्हासनगर, जलगांव और धुले में पार्टी को अकेले चुनाव लड़ना चाहिए।
बीजेपी के एक नेता ने कहा अगर गठबंधन करना ही पड़ेगा तो हमारा फार्मूला 50:30:20 का होगा। मतलब साफ है कि पार्टी किसी भी स्थानीय निकाय में आधी सीटों पर खुद लड़ेगी। भाजपा नेता ने कहा कि किसी भी तरह का समझौता हम स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि हमारी पार्टी सबसे बड़ी है और महाराष्ट्र में हमारे 137 विधायक हैं।
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2017 का BMC चुनाव
महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव की बात करते वक्त बृहन्मुंबई महानगरपालिका Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC) के 2017 के चुनाव के आंकड़ों पर भी गौर करना जरूरी होगा। तब बीजेपी को 82 सीटें, अविभाजित शिवसेना को 84 सीटें मिली थी। दोनों ही पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। लेकिन अब जब शिवसेना टूट चुकी है तो बीजेपी को उम्मीद है कि वह बीएमसी सहित अधिकतर नगर निगमों में बहुमत हासिल कर सकती है।
बीजेपी के सूत्रों का ऐसा भी मानना है कि महाराष्ट्र में मौजूदा वक्त में विपक्ष एकजुट और मजबूत नहीं है।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले कहते हैं, “स्थानीय निकायों में आप ऊपर से कोई फैसला नहीं थोप सकते। आपको स्थानीय इकाइयों और जमीन पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं की भावनाओं पर भी विचार करना होता है। स्थानीय इकाइयों से मिले फीडबैक और सभी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए शीर्ष नेतृत्व इस बारे में अंतिम फैसला लेगा।”
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क्या चाहते हैं एकनाथ शिंदे?
उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी अकेले दम पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। पार्टी का फोकस ऐसे निकायों पर रहेगा जहां पार्टी टूट होने से पहले मजबूत थी। पार्टी की रणनीति शिवसेना (उद्धव गुट) को कमजोर करने की रहेगी। शिवसेना (शिंदे गुट) ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, नासिक, छत्रपति संभाजीनगर, नवी मुंबई, मालेगांव और भिवंडी में फोकस करेगा।
यह माना जा रहा है कि कम से कम कल्याण-डोंबिवली और छत्रपति संभाजीनगर में शिंदे गुट और बीजेपी आमने-सामने आएंगे। शिंदे गुट की कोशिश राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ गठबंधन करने की भी है।
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