Maharashtra BJP State President 2025: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के बाद बीजेपी अब राज्य में प्रदेश अध्यक्ष बदलने पर विचार कर रही है। मौजूदा वक्त में चंद्रशेखर बावनकुले महाराष्ट्र में बीजेपी के अध्यक्ष हैं लेकिन चूंकि वह फडणवीस की सरकार में मंत्री भी हैं इसलिए पार्टी जल्द ही किसी दूसरे नेता को इस अहम पद पर नियुक्त करने जा रही है।

बताना होगा कि बीजेपी की अगुवाई में 288 सीटों वाली महाराष्ट्र की विधानसभा में महायुति गठबंधन को 230 सीटों पर जीत मिली थी। बीजेपी ने अकेले दम पर ही 132 सीटें जीती थीं जबकि उसके सहयोगी दलों – एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं।

विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी (MVA) को भारी झटका लगा था। शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद पवार गुट) को केवल 10 सीटें मिली थीं।

BJP भले ही खुद को कहे दुनिया की सबसे पार्टी लेकिन…नए अध्यक्ष के चयन से पहले फिर मिल रहे वही संकेत

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बीजेपी में जल्द चुना जाना है नया अध्यक्ष। (Source-ANI)

मराठा समुदाय से आते हैं चव्हाण

केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार को घोषणा की कि रविंद्र चव्हाण को महाराष्ट्र में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। बीजेपी के हाई प्रोफाइल सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मौजूदा वक्त में संगठन के चुनाव चल रहे हैं और ऐसे में चव्हाण को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करना उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

चव्हाण महाराष्ट्र में प्रभावशाली मराठा समुदाय से आते हैं। मराठा समुदाय महाराष्ट्र में आरक्षण की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहा है।

लगातार चार बार विधायक बन चुके हैं चव्हाण

चव्हाण डोंबिवली सीट से विधायक हैं और लगातार चार बार विधायक बन चुके हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वह सवाल नहीं करते। उन्हें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का करीबी माना जाता है। बीते साल महायुति सरकार के गठन के वक्त जब उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया था तब इस तरह की अटकलों ने जोर पकड़ लिया था कि उन्हें महाराष्ट्र में संगठन में कोई बड़ा पद दिया जा सकता है।

प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले भी चव्हाण की तारीफ करते हैं। बावनकुले ने कहा, “चव्हाण एक वफादार कार्यकर्ता हैं, उन्हें जो भी काम पार्टी की ओर से दिया जाता है वह उसे पूरे दिल से और बिना कोई सवाल पूछे करते हैं। यही बात उन्हें संगठन के अंदर और पार्टी नेताओं के बीच स्वीकृति दिलाती है।”

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दिल्ली में बिना CM चेहरे के चुनाव लड़ रही BJP। (Source-PTI)

कैसा रहा है चव्हाण का राजनीतिक करियर?

रविंद्र चव्हाण छात्र जीवन से ही राजनीति करते रहे हैं और यहां से वह महाराष्ट्र की स्थानीय निकाय की राजनीति में आए। वह 2000 में कल्याण-डोंबिवली नगर निगम के पार्षद चुने गए और स्थाई समिति के अध्यक्ष भी रहे। 2009 में वह पहली बार डोंबिवली सीट से विधानसभा का चुनाव जीते और तब से इस सीट से लगातार जीत हासिल कर रहे हैं।

चव्हाण 2016 से 2019 के बीच देवेंद्र फडणवीस की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। वह पिछली बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी की महायुति सरकार में लोक निर्माण विभाग जैसे बड़े महकमे के मंत्री थे।

चव्हाण को एक समझदार राजनेता माना जाता है। पिछले दिसंबर में उन्हें राज्य में पार्टी के नामांकन अभियान की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जहां उनके नेतृत्व में डेढ़ करोड़ लोगों ने पार्टी की सदस्यता ली थी।

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एकनाथ शिंदे के लिए है संदेश

चव्हाण को कोंकण इलाके की 39 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई है। कोंकण के इलाके को उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना का सियासी किला माना जाता है। बीजेपी के एक नेता का कहना है कि चव्हाण को महाराष्ट्र में कार्यकारी अध्यक्ष बनाने से यह संकेत मिलता है कि बीजेपी इस इलाके में गहरी पैठ बनाना चाहती है और साथ ही यह उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए भी एक संदेश है। एकनाथ शिंदे का ठाणे, कल्याण-डोंबिवली और नवी मुंबई में मजबूत आधार है।

शिंदे के बेटे की उम्मीदवारी का किया था विरोध

चव्हाण के बारे में यह जानकारी भी बेहद दिलचस्प है कि उन्होंने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे को लोकसभा चुनाव में कल्याण सीट से उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध किया था। चव्हाण ने श्रीकांत शिंदे पर मनमानी करने का आरोप लगाया था।

बीजेपी ने रखे हैं बड़े लक्ष्य

बीजेपी ने भले ही विधानसभा चुनाव 2024 में बड़ी जीत हासिल की है लेकिन पार्टी ने अभी भी कई बड़े लक्ष्य निर्धारित किए हैं। जैसे- राज्य की 355 तालुकाओं और 36 जिलों में पार्टी के संगठन को फिर से खड़ा करना। साथ ही 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का मकसद बिना सहयोगियों की मदद के अपने दम पर सरकार बनाने का है। ऐसे में चव्हाण को अगर प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है तो उन्हें पार्टी के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी।

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