कीर्ति आजाद मामले में गुरुवार को नरेंद्र मोदी से खिन्न भाजपा के वरिष्ठ नेता अपनी बैठक के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अभी लोहा पूरी तरह से गरम नहीं हुआ है, इसलिए चोट करने से कोई फायदा नहीं है। हालांकि ये वही नेता हैं जिन्होंने बिहार में पार्टी की करारी हार के बाद साझा बयान जारी करके कहा था कि इसकी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। जो लोग इसकी कमान संभाले हुए थे वे इसे सामूहिक जिम्मेदारी कैसे ठहरा सकते हैं।

भाजपा मार्गदर्शक मंडल में शामिल लालकृष्ण आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी के अलावा शांता कुमार व यशवंत सिन्हा भी 6-रायसीना रोड पर दोपहर में हुई बैठक में शामिल हुए। पूर्व भाजपा अध्यक्ष जोशी ने सबको आमंत्रित किया था। बैठक में चाय व गाजर के हलवे पर पार्टी के हालात की चर्चा हुई। बैठक में हिस्सा लेने वाले एक नेता के मुताबिक, सभी लोग पार्टी के हालात से बेहद चिंतित थे। उनका मानना था कि हो सकता है कि कीर्ति आजाद ने पार्टी में रहते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ खुलासा करके विपक्ष को मौका दे दिया हो, पर उन्होंने जो भी कहा वह तो सच ही था। वे तो लंबे अरसे से यह मुद्दा उठाते आ रहे थे। पार्टी में भी सबको इसकी जानकारी थी, पर हमने क्या किया। हम भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने का दावा करेंगे और सच की आवाज को सहन नहीं करेंगे। एक नेता का कहना था कि आखिर कीर्ति आजाद के सामने विकल्प भी क्या बचा था?

जब बैठक चल रही थी उसी समय एक चैनल ने शत्रुघ्न सिन्हा को दिखाना शुरू कर दिया। सबका ध्यान उधर ही चला गया। वे कह रहे थे कि नरेंद्र मोदी सबसे बढ़िया प्रधानमंत्री हैं पर हमें न्यूटन का वह नियम नहीं भूलना चाहिए कि हर क्रिया की बराबर व विपरीत प्रतिक्रिया होती है। जब उन्होंने यह कहा कि अरुण जेटली का 27 साल का ईमानदारी का इतिहास रहा है पर इसका मतलब यह नही है कि जो अभी तक ईमानदार रहा हो वह आगे भी ईमानदार रहेगा। उनकी यह बात सुनकर सब मुस्कुराने लगे। मालूम हो कि इससे पहले शत्रुघ्न सिन्हा सांसद आरके सिंह को बिहार चुनाव के टिकट बेचे जाने का आरोप लगाने के लिए असली बिहारी डीएनए वाला नेता करार देते हुए बधाई दे चुके हैं।

बैठक में शत्रुघ्न सिन्हा के उठाए गए मुद्दों, बिहार के सांसद आरके सिंह द्वारा टिकट बेचे जाने के आरोपों की भी चर्चा हुई। उनका मानना था कि अब सब कुछ चंद लोगों के हाथों में सिमट कर रहा गया है। जिन लोगों ने जीवन में कभी कारपोरेशन का चुनाव भी नहीं लड़ा वे पार्टी के झंडाबरदार बने हुए हैं। हारने वाले पुरस्कृत किए जा रहे हैं।

यह भी चर्चा की गई कि जिन मुद्दों पर हम यूपीए सरकार को घेरते थे आज उन्हीं पर हमें घेरा जा रहा है। जब मनमोहन सिंह को कोयला मंत्रालय के प्रभारी रहते हुए खान आबंटन घोटाले के लिए जिम्मेदार ठहराते आए हैं तो अरुण जेटली को डीडीसीए का अध्यक्ष रहते हुए वहीं होने वाले घोेटालों से कैसे अलग रखा जा सकता है। इन सबके बावजूद यह तय किया गया कि हमें कोई सार्वजनिक बयान नहीं देना है क्योंकि अभी उपयुक्त समय नहीं आया है। पता नहीं आगे आने वालों दिनों में केपीएस गिल, राम जेठमलानी सरीखे लोग क्या खुलासे करते हैं। खुद कीर्ति आजाद कह ही चुके हैं कि अभी उन्होंने टेप का असली खुलासा तो किया ही नहीं है।

एक वरिष्ठ नेता ने तो इस बात पर अचरज जताया कि कानून मंत्री रह चुकने के बाद भी अरुण जेटली ने अदालत में मानहानि का मुकदमा कर दिया। जब जेठमलानी उल्टे-सीधे सवाल करके उन्हें घेरेंगे तो अगले दिन मीडिया इन सबको सुर्खियों में छापेगा। असली फजीहत तो तब होगी। ये नेता अमित शाह को अध्यक्ष पद का दूसरा कार्यकाल दिए जाने का भी विरोध नहीं करेंगे क्योंकि उनका लक्ष्य बदल गया है। अब वे देखो और इंतजार करो की रणनीति अपना रहे हैं।

मौका देख वार करेंगे भाजपा के बुजुर्ग

मार्गदर्शक मंडल की बैठक में नेताओं ने कहा कि जिन मुद्दों पर हम यूपीए सरकार को घेरते थे आज उन्हीं पर हमें घेरा जा रहा है। जब मनमोहन सिंह को कोयला मंत्रालय के प्रभारी रहते हुए खान आबंटन घोटाले के लिए जिम्मेदार ठहराते आए हैं तो अरुण जेटली को डीडीसीए का अध्यक्ष रहते हुए वहीं होने वाले घोेटालों से कैसे अलग रखा जा सकता है। इन सबके बावजूद यह तय किया गया कि कोई सार्वजनिक बयान नहीं देना है क्योंकि अभी उपयुक्त समय नहीं आया है। पता नहीं आगे आने वालों दिनों में केपीएस गिल, राम जेठमलानी सरीखे लोग क्या खुलासे करते हैं।