उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि विरोध प्रदर्शन के लिये शाहीन बाग जैसे सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल के लिये कब्जा स्वीकार्य नहीं है। शाहीन बाग में पिछले साल दिसंबर में संशोधित नागरिकता कानून को लेकर शुरू हुआ धरना प्रदर्शन काफी लंबा चला था। न्यायालय ने कहा कि धरना प्रदर्शन एक निर्धारित स्थान पर ही होना चाहिए और विरोध प्रदर्शन के लिये सार्वजनिक स्थानों या सड़कों पर कब्जा करके बड़ी संख्या में लोगों को असुविधा में डालने या उनके अधिकारों का हनन करने की कानून के तहत इजाजत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के इस बयान को लेकर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा वीडियो जारी कर कहा कि सड़क बंद कर इस आतंक फैलाना अब इस देश में नहीं चलेगा। कपिल मिश्रा वीडियो में कह रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट का ये जो निर्णय आया है ये दिल्ली की जनता की जीत है। ये उन सभी लोगों की जीत है जो सड़कें बंदकर विरोध के खिलाफ थे। सड़कें बंद करके झूठ फैलाना, आतंक फैलाना, दहशत फैलाना ये इस देश में नहीं चलेगा। ये माननीय सर्वोच्चय न्यायालय ने निर्णय दिया है। हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हैं। ये उन लोगों को भी समझ में आ गया होगा जो लोग सड़कें बंद करके लोगों को दफ्तर नहीं जाने दे रहे थे, बच्चों को स्कूल नहीं जाने दे रहे थे, इस देश का कानून और बाबा साहब का संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है।
Supreme Court verdict on Shaheen Bagh is victory of people of Delhi
सड़कें बंद करके आतंक फैलाना इस देश में नहीं चलेगा pic.twitter.com/XwiJZZHZm2
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) October 7, 2020
बता दें कि इससे पहले न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि विरोध प्रदर्शन के अधिकार और दूसरे लोगों के आने-जाने के अधिकार जैसे अधिकारों के बीच संतुलन बनाना होगा। पीठ ने कहा, ‘‘लोकतंत्र और असहमति एक साथ चलते हैं।’’ पीठ ने कहा कि इसका तात्पर्य यह है कि आन्दोलन करने वाले लोगों को विरोध के लिये ऐसे तरीके अपनाने चाहिए जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अपनाये जाते थे। पीठ ने कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर विरोध प्रदर्शन के लिये अनिश्चितकाल तक कब्जा नहीं किया जा सकता, जैसा कि शाहीन बाग मामले में हुआ।
न्यायालय ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान पिछले साल दिसंबर से शाहीन बाग की सड़क को आन्दोलनकारियों द्वारा अवरूद्ध किये जाने को लेकर दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से फैसला सुनाते हुये पीठ ने कहा कि दिल्ली पुलिस जैसे प्राधिकारियों को शाहीन बाग इलाके को प्रदर्शनकारियों से खाली कराने के लिये कार्रवाई करनी चाहिए थी।
न्यायालय ने कहा कि प्राधिकारियों को खुद ही कार्रवाई करनी होगी और वे ऐसी स्थिति से निबटने के लिये अदालतों के पीछे पनाह नहीं ले सकते। शाहीन बाग की सड़क से अवरोध हटाने और यातायात सुचारू करने के लिये अधिवक्ता अमित साहनी ने याचिका दायर की थी। शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर 21 सितंबर को सुनवाई पूरी की थी। न्यायालय ने उस समय टिप्पणी की थी कि विरोध के अधिकार के लिये कोई एक समान नीति नहीं हो सकती है। साहनी ने कालिन्दी कुंज-शाहीन बाग खंड पर यातायात सुगम बनाने का दिल्ली पुलिस को निर्देश देने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।