Citizenship Amendment Act Protests: पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उपाध्यक्ष ने अब नागरिकता संशोधन कानून पर सवाल उठाए हैं। वेस्ट बंगाल भाजपा उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस ने कहा है कि भारत सभी धर्मों और समुदायों के लिए है। चंद्र कुमार बोस ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर एक ट्वीट किया है। चंद्र कुमार बोस ने लिखा है कि ‘अगर #CCA2019 का किसी धर्म से ताल्लुक नही है तब इसमें हिंदू, सिख, बौद्ध, क्रिश्चन, पारसी और सिर्फ जैन का नाम क्यों है? इसमें मुसलमानों को शामिल क्यों नहीं किया गया है? पारदर्शिता होना चाहिए।’
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस का कहना है कि हिन्दुस्तान की तुलना किसी और राष्ट्र से नहीं होना चाहिए…यह एक ऐसा राष्ट्र है जो सभी धर्मों और समप्रदायों के लिए है। यहां आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ कोलकाता की सड़कों पर सोमवार को मार्च किया था।
If #CAA2019 is not related to any religion why are we stating – Hindu,Sikh,Boudha, Christians, Parsis & Jains only! Why not include #Muslims as well? Let’s be transparent
— Chandra Kumar Bose (@Chandrabosebjp) December 23, 2019
इस मार्च में पार्टी के 15,000 झंडे और करीब 3000 तिरंगा झंडा भी लहराया गया था। पार्टी के कार्यकर्ताओें ने सुबोध मल्लिक स्कवायर से लेकर शहर में स्थित सुभाष चंद्र बोस मूर्ति तक यह मार्च निकाला था। इतना ही नहीं नागरिकता संशोधन कानून के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पार्टी ने सोशल मीडिया पर भी बड़ा कैंपेन चलाया है। पार्टी ने अपने कैडर के जरिए सीएए के मुद्दे पर देशवासियों के बीच जागरुकता फैलाने और इस मुद्दे पर उनकी किसी भी तरह की गलतफहमी को दूर करने का कैंपेन चलाया है।
आपको बता दें कि इससे पहले भाजपा की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने भी सीएए में मुसलमानों को भी जोड़ने की मांग की थी। अकाली दल ने प्रजातांत्रिक और धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हुए भाजपा के सामने अपनी मांग रखी थी। अकाली दल के अलावा लोकजन शक्ति पार्टी ने भी सीएए के खिलाफ आवाज उठाई है। नागरिकता संशोधन कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर आए हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और क्रिश्चन समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने से संबंधित है। इसमें मुसलमानों को जगह नहीं दी गई है।