बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) में मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान द्वारा संस्कृत पढ़ाना यहां के छात्रों को रास नहीं आ रहा। छात्र अड़े हुए हैं कि फिरोज मुस्लिम हैं और एक मुस्लिम संस्कृत कैसे पढ़ा सकता है? एक मुसलमान गीता और वेद कैसे पढ़ा सकता है? हिंदी न्यूज वेबसाइट बीबीसी ने अपनी एक खबर में इस बात का उल्लेख भी किया है। इसी बीच वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी खुलकर फिरोज खान के समर्थन में आ गए हैं।
उन्होंने छात्रों के विरोध-प्रदर्शन पर सवाल उठाए हैं। सांसद ने कहा कि बीएचयू के कुछ छात्र मुस्लिमों को संस्कृत पढ़ाने का विरोध क्यों कर रहे हैं जबकि उन्हें एक नियत प्रक्रिया के तहत चुना गया। गुरुवार (21 नवंबर, 2019) को एक ट्वीट में स्वामी ने कहा, ‘भारत के मुस्लिमों का डीएनए भी हिंदुओं के पूर्वजों जैसा हैं। अगर कुछ रेगुलेशन हैं तो इसे बदल लें।’
Can PTs inform me why some BHU students are opposing a Muslim from teaching Sanskrit when he has been selected by due procedure? India’s Muslim DNA is the same as Hindus so common Hindus ancestors. If there is some regulation then change it
— Subramanian Swamy (@Swamy39) November 21, 2019
इससे पहले भाजपा सांसद और बॉलीवुड एक्टर परेश रावल भी फिरोज खान की नियुक्त कर समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने मुस्लिम प्रोफेसर के समर्थन में ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मैं प्रोफेसर फिरोज खान के विरोध को देख स्तब्ध हूं। भाषा का धर्म से क्या लेना-देना है। इसे तो विडंबना ही कहेंगे कि जिस फिरोज खान ने संस्कृत में मास्टर्स और पीएचडी की हो उसी का विरोध हो रहा है। भगवान के लिए ये सब मूर्खता बंद होनी चाहिए।’
प्रोफेसर खान विवाद में बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा, ‘बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में संस्कृत के टीचर के रूप में पीएचडी स्कॉलर फिरोज खान को लेकर विवाद पर शासन/प्रशासन का ढुलमुल रवैया ही मामले को बेवजह तूल दे रहा है। कुछ लोगों द्वारा शिक्षा को धर्म/जाति की अति-राजनीति से जोड़ने के कारण उपजे इस विवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है।’ उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार से इस मसले पर ध्यान देने की मांग की।
बीएचयू में संस्कृत पढ़ाने पर उपजे विवाद पर फिरोज खान बीबीसी से कहते हैं कि वो तीन-चार साल की उम्र में जब स्कूल जाते थे, तो उन्हें स्कूल की पढ़ाई अच्छी नहीं लगी। पढ़ाई बोझ बन गई थी। इस पर पिता रमजान खान ने सरकारी स्कूल में उनका दाखिला करवा दिया। स्कूल में विषय के रूप में संस्कृत को चुना गया। खान कहते हैं, ‘मेरे पिता ने भी संस्कृत में शास्त्री तक की पढ़ाई की है।’
फिरोज आगे कहते हैं, ‘किसी धर्म के इंसान को कोई भी भाषा सीखने और सिखाने में क्या दिक्कत हो सकती है? मैंने संस्कृत को इसलिए पढ़ा क्योंकि इस भाषा के साहित्य को समझना था। इसमें निहित तत्वों को समझना था। कहतें है कि भारत की प्रतिष्ठा के दो आधार हैं। एक हैं संस्कृत और दूसरा है संस्कृति।’