लोकसभा चुनाव में एक साल से कम समय बचा है। भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर फतह हासिल करने के लिए अभी से ताकत झोंक दी है। सियासी रणनीति के तहत पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों को 21 छोटे समूहों में बांटा है। जबकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने चुनाव के मद्देनजर अपने कार्यकर्ताओं को क्षेत्र में सक्रिय रहने और सघन जनसंपर्क के आदेश दिए हैं, ताकि चुनाव में वे अच्छे नतीजे हासिल कर सकें।
भारतीय जनता पार्टी ने इन छोटे समूहों की जिम्मेदारी सात केंद्रीय मंत्रियों को सौंपी है। इनमें आरके सिंह, अश्विनी वैष्णव, मीनाक्षी लेखी, नरेंद्र सिंह तोमर, एसपी सिंह बघेल, अन्नपूर्णा देवी और जितेंद्र सिंह बघेल शामिल हैं। इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और रघुवर दास को भी एक एक समूह की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आरके सिंह को जालौन, झांसी, अकबरपुर, कानपुर और मनोज तिवारी को लखनऊ, बाराबंकी, मोहनलालगंज की जिम्मेदारी सौंपी है।
राधामोहन सिंह को मथुरा, अलीगढ़ और हाथरस, मीनाक्षी लेखी को फिरोजाबाद, आगरा, फतेहपुर और एटा, मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री मोहन यादव को गोंडा, कैसरगंज, सीतापुर और बहराइच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। रघुवर दास को डुमरियागंज, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, रमेश पोखरियाल को फतेहपुर, कौशांबी, बांदा, हमीरपुर, मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विश्वास नारंग को खीरी, धौरहरा, हरदोई, शाहनवाज हुसैन को अमेठी, प्रतापगढ़, फूलपुर, प्रयागराज का दायित्व सौंपा गया है। इसके अलावा अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा को आंवला, बदायूं, बरेली, शाहजहांपुर और तेजस्वी सूर्या को बागपत, बुलंदशहर और मेरठ का प्रभार सौंपा गया है।
भाजपा लोकसभा चुनाव को लेकर इस बार किसी भी तरह की कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती है। उधर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं से गांव-गांव जाकर सघन जनसंपर्क अभियान शुरू करने और साइकिल यात्रा निकालने के निर्देश दिए हैं। अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे बिना कोताही पार्टी को लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटों पर जीत दर्ज कराने के लिए कड़ी मेहनत करें ताकि इस बार के चुनाव में भाजपा को पराजित किया जा सके।
सपा सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की अगुआई में बनने जा रहे चुनाव पूर्व गठबंधन में सपा, गठबंधन के सभी दलों के साथ हाथ मिलाने को तैयार है लेकिन उसे कांग्रेस का साथ मंजूर नहीं है। जबकि बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस बार का लोकसभा चुनाव बिना किसी गठबंधन में शामिल हुए अकेले लड़ने का फैसला लिया है।
पार्टी की गोपनीय बैठकों में वो अपनी इस बात को कार्यकर्ताओं को समझा पाने में कामयाब हुई हैं। उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से दो टूक कहा है कि वे अभी से पार्टी को जमीनी स्तर पर और मजबूती प्रदान करने के लिए लोगों के बीच जाएं और कानून व्यवस्था और विकास के नाम पर भाजपा की असलियत से मतदाताओं को रूबरू कराएं।
एक साल से कम समय में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में सियासी बिसात अभी से बिछने लगी है। भाजपा इस वक्त अपनी सियासी बिसात बिछाने में सबसे आगे नजर आ रही है। जबकि सपा और बसपा ने अब तक अपने पत्ते सार्वजनिक तौर पर खोले नहीं हैं। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि इस बार उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय दल लोकसभा चुनाव में भाजपा को टक्कर दे पाने में कामयाब हो पाते हैं या पिछले दो चुनाव की तरह भाजपा इस चुनाव में भी प्रदेश में जबर्दस्त ढंग से जीत पाने में कामयाब होगी।