आज तक पर डिबेट के दौरान बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि किसानों और सरकार के बीच डेडलॉक हो ही नहीं सकता क्योंकि पीएम मोदी के पास हर ताले की चाबी। किसानों के मामले में बातचीत ही चाबी है। डिबेट में केएसएस के अध्यक्ष चौ पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि एसोचैम ने कहा कि हमारा बहुत बड़ा नुकसान हो गया है। हम लोग प्रदर्शन करने के लिए रामलीला मैदान जंतर-मंतर आ रहे थे। बीच में किसानों को सरकार ने रोका है। किसानों का रास्ता साफ कर दिया जाता तो जंतर-मंतर या रामलीला मैदान में जाकर बैठ जाते। एसोचैम का नुकसान हुआ है तो उसकी जिम्मेदारी किसान की नहीं है सरकार की है। पिछले कुछ सालों में 8 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डाला गया है। ये हिसाब भी एसोचैम वालों को देखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बातचीत के माध्यम से ही समाधान निकलता है। इस बात को लेकर किसान स्पष्ट है। इस मामले में किसान ने कोई जिद नहीं की है। लगातार घाटे की खेती करने के बाद भी किसान देश के लोगों का पेट भरता आया है। हम अपना दर्द सुनाने के लिए अपनी चुनी सरकार के पास आए हैं। न तो इसमें किसी की हार है या जीत है। अगर कानूनों से किसी को तकलीफ है तो वापिस लेने में परेशानी क्या है। जिद पर तो सरकार अड़ी हुई है।
चौधरी ने कहा कि हमारा मानना है जैसा सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक कानून को लेकर कोई सहमति नहीं बन जाती है तब तक कानून पर रोक लगा दी जाए। एमएसपी को निजी क्षेत्र पर भी बाध्याकारी बनाया जा सकता है। कॉरपोरेट अगर एमएसपी देगा तो उसको कोई नुकसान नहीं है लेकिन मरणासन किसान को मदद मिल जाएगी।
इस पर बीजेपी के गौरव भाटिया ने कहा कि नरेंद्र मोदी किसानों के चुने हुए पीएम हैं इसलिए उन्हीं के पास आएंगे। भाटिया ने कहा कि डेडलॉक हो नहीं सकता क्योंकि पीएम मोदी को हर ताले को खोलना आता है। मामले में चाबी सिर्फ और सिर्फ बातचीत है। एंकर ने कहा कि अगर सरकार के पास ताले की चाबी है तो छिपा कर क्यों रखी है।
इस पर भाटिया ने कहा कि जो दर्द हमें किसानों के लिए महसूस होता है हम शब्दों में बयान नहीं कर सकते हैं। किसानों का बहुत बड़ा वर्ग है जो इन कानूनों का समर्थन कर रहा है। दशकों तक किसानों को जो बेड़ियां बांधी गईं थीं वो टूट गई हैं। एक बाजार एक मंडी में खराब क्या है। एमएसपी को खत्म करने जैसी कोई बात नहीं है बल्कि उससे बेहतर दिलाने की बात कानून करता है।

