लोकसभा चुनाव में बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए सत्तारूढ़ दल बीजेपी नए सहयोगियों को साथ लाने और पुराने साथियों के मान-मनौव्वल में जुटी है। बीजेपी का सबसे बड़ा सिरदर्द उत्तर प्रेदश बना हुआ है। यहां पर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी (एसपी) अध्यक्ष अखिलेश यादव के गठबंधन से बने नए जातीय समीकरण और प्रियंका गांधी की एंट्री ने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में बीजेपी ने क्षेत्रीय स्तर पर छोटे दलों के साथ अपने रिश्ते बेहतर बनाने शुरू कर दिए हैं। पूर्वी यूपी में अच्छा-खासा दखल रखने वाले अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) एनडीए के सहयोगी हैं। लेकिन, पिछले काफी वक्त से इनकी नाराजगी सामने आती रही है। ऐसे में ये दल बीजेपी से कई शर्तें मनवानें पर तुले हुए हैं और बीजेपी भी इनकी अधिकांश मांगों के आगे झुकने को तैयार है।
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी उत्तर प्रदेश में कुर्मी और राजभर जैसी पिछड़ी जातियों पर फोकस करने जा रही है। बीजेपी अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा और बहन पल्लवी के साथ भी संपर्क में है। गौरतलब है कि कष्णा और पल्लवी पटेल ने नया कुनबा तैयार कर लिया है। इन्होंने सोनेलाल पटेल की विरासत पर भी खुद का दावा पेश किया है। जानकारी के मुताबिक मिर्जापुर और इसके आसपास के इलाकों में इनका अच्छा-खासा प्रभाव है।
बीजेपी दूसरे दलों को प्रभावी नेताओं को भी अपने खेमें में लाने की कोशिश कर रही है। यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन बीएसपी नेता ब्रिजेश पाठक और एसपी मौर्या ने ऐन मौके पर पाला बदल लिया था। वहीं, प्रदेश में कांग्रेस का अहम चेहरा रहीं रीता बहुगुणा जोशी ने भी उस दौरान बीजेपी का दामन थाम लिया था। इन लोगों ने ना सिर्फ चुनाव जीता बल्कि इन्हें मंत्री भी बनाया गया। इकोनॉमिक्स टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि बीजेपी अपने विरोधी दलों से लगभग 30 से अधिक नेताओं को अपने पाले में लाने जा रही है।
उत्तर प्रदेश के अलावा बीजेपी तमिलनाडु में भी यही समीकरण आजमाने जा रही है। यहां पर भी वह छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों और चेहरों पर दांव खेल सकती है। हालांकि, पार्टी की पहली कोशिश AIADMK को NDA में शामिल करने की है और इसकी कवायद जोर-शोर से चल रही है। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी शिवसेना को खुश करने की कोशिश जारी है। बाला साहेब ठाकरे के लिए मेमोरियल बनाने के प्रॉजेक्ट को भी हरी झंडी मिल गई है। वहीं, उद्धव से महराष्ट्र और केंद्र के तमाम नेता बातचीत कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी साथ छोड़ चुके दल टीडीपी, पीडीपी, एजीपी और आरएलएसपी की भरपाई के लिए नए साथियों को जोड़ने की कोशिश चल रही है।