Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी अपनी पहली लिस्ट जारी कर चुकी है। इसके साथ ही भाजपा के लिए चुनावी मौसम की शुरुआत हो चुकी। 18 राज्यों में घोषित 195 उम्मीदवारों में से 79, या आधे से भी कम भाजपा की 2019 लोकसभा सूची की तुलना में नए चेहरे हैं, क्योंकि आत्मविश्वास से भरी सत्तारूढ़ पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित 370 सीटों के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करना चाहती है।
पार्टी ने 108 मौजूदा भाजपा सांसदों और पिछली बार हारे 8 नेताओं को फिर से मैदान में उतारने का विकल्प चुना है। 79 नए चेहरों में से केवल 3 मौजूदा सांसद हैं जो हाल ही में पार्टी में शामिल हुए हैं।
सबसे कम बदलाव उन राज्यों में किए गए हैं जहां भाजपा का दबदबा है, जैसे उत्तर प्रदेश और गुजरात। बड़े फेरबदल वाले राज्यों में असम, छत्तीसगढ़, दिल्ली और केरल शामिल हैं। यहां बीजेपी ने अपना दायरा बढ़ाने की कोशिश की है।
कुल मिलाकर भाजपा ने 33 मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया है, जिनमें दिल्ली में हर्षवर्धन, मीनाक्षी लेखी, रमेश बिधूड़ी शामिल हैं। त्रिपुरा में प्रतिमा भौमिक और मध्य प्रदेश में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बाहर किया गया है। जबकि केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने प्रत्यक्ष चुनावी कर्तव्यों से मुक्त होने के लिए कहा। कई अन्य सांसदों ने पिछले साल राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव जीते, और इस प्रकार उन्हें बदल दिया गया।
बीजेपी की पहली लिस्ट में राज्यवार प्रत्याशी-
| स्टेट/यूटी | मौजूदा सांसद | नए प्रत्याशी | कुल प्रत्याशियों के नाम की घोषणा | कुल लोकसभा सीट राज्यवार |
| अंडबार निकोबार द्वीप समूह | 1 | 1 | 1 | |
| अरुणाचल प्रदेश | 2 | 2 | 2 | |
| असम | 4 | 7 | 11 | 14 |
| छत्तीसगढ़ | 2 | 9 | 11 | 11 |
| दमन द्वीप | 1 | 1 | 1 | |
| दिल्ली | 1 | 4 | 5 | 7 |
| गोवा | 1 | 1 | 2 | |
| गुजरात | 10 | 5 | 15 | 26 |
| जम्मू-कश्मीर | 2 | 2 | 5 | |
| झारखंड | 8 | 3 | 11 | 14 |
| केरल | 12 | 12 | 20 | |
| मध्य प्रदेश | 12 | 12 | 24 | 29 |
| राजस्थान | 8 | 7 | 15 | 25 |
| तेलंगान | 4 | 5 | 9 | 17 |
| त्रिपुरा | 1 | 1 | 2 | |
| उत्तर प्रदेश | 43 | 8 | 51 | 80 |
| उत्तराखंड | 3 | 3 | 5 | |
| पश्चिम बंगाल | 9 | 11 | 20 | 42 |
नए उम्मीदवारों वाली 79 सीटों में से जिन सीटों पर पार्टी ने पिछली बार जीत (43) हासिल की थी, उनकी संख्या हारी हुई सीटों (34) से अधिक है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि मौजूदा सांसदों में से कई अब विधायक हैं। दो अन्य निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां भाजपा ने 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था। जिन 79 सीटों पर बीजेपी ने इस बार नए चेहरे उतारे हैं। उनमें से 34 सीटें पार्टी 2019 में विपक्षी दलों से हार गई थी। इनमें से ज्यादातर सीटें केरल, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में हैं।
कुल मिलाकर, इन 34 सीटों में से भाजपा 16 सीटों पर कांग्रेस से हार गई थी, 6 से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), 3 से बहुजन समाज पार्टी (बसपा); समाजवादी पार्टी (एसपी), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और आईयूएमएल से 2-2 सीटें; और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), सीपीआई (एम) और एआईएमआईएम से 1-1।
उदाहरण के लिए केरल में पार्टी ने 2019 की तरह एक ही सीट से केवल दो उम्मीदवारों फिर से उतारा है। बीजेपी की सूची में 10 नए या फेरबदल किए गए नाम हैं। केरल की इन सीटों पर वोट शेयर के मामले में बीजेपी 7 सीटों पर जीतने वाली पार्टी से कम से कम 20% अंकों से पीछे रही।
केरल के लिए भाजपा का दबाव राज्य से दो मौजूदा राज्यसभा सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों, वी मुरलीधरन को अटिंगल से और राजीव चंद्रशेखर को तिरुवनंतपुरम से मैदान में उतारने के फैसले से साफ है। पथानामथिट्टा में इसने कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी को चुनावी मैदान में उतारा है, जो पिछले साल कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा ने अपनी पहली सूची में मलप्पुरम से अपना एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा किया है, जहां आईयूएमएल ने पिछले दो चुनावों में जीत हासिल की थी।
जबकि, तेलंगाना में पार्टी ने सिकंदराबाद से जी किशन रेड्डी, करीमनगर से बंदी संजय कुमार और एक अन्य मौजूदा सांसद पर अपना भरोसा जताया है। घोषित किए गए 9 उम्मीदवारों में से 5 2019 के बाद पार्टी में शामिल हो गए, जिनमें जहीराबाद के मौजूदा सांसद बी बी पाटिल भी शामिल हैं। जो सूची जारी होने के कुछ दिन पहले ही शामिल हुए। जबकि 4 उम्मीदवार भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से शामिल हुए हैं, 1 कांग्रेस से शामिल हुआ है।
तेलंगाना की जिन 6 सीटों पर भाजपा ने नए उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें से 5 सीटों पर वह 2019 का चुनाव 25% से अधिक वोट शेयर अंतर से हार गई। जबकि पिछली बार कांग्रेस ने इनमें से 3, बीआरएस ने 2 और एआईएमआईएम ने 1 सीट जीती थी।
पश्चिम बंगाल में भाजपा पिछले तीन लोकसभा चुनावों में बढ़त हासिल कर रही है। इसने 2009 में राज्य में अपनी पहली संसदीय सीट जीती, 2019 में 18 सीटों तक पहुंचने में कामयाब रही। वहीं राज्य विधानसभा चुनाव में बीजेपी मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका में हैं और उसके पास 77 विधानसभा सीटें हैं।
जबकि पश्चिम बंगाल की 3 सीटों पर जहां उसने नए उम्मीदवारों को उतारा है, भाजपा 2019 में 20% से अधिक अंकों के वोट शेयर अंतर से हार गई, 4 सीटों पर मुकाबला करीबी था जहां वह 10% से कम अंकों से हार गई। इन 7 सीटों में से बीजेपी 2019 में 6 सीटें टीएमसी से और 1 कांग्रेस से हार गई। विशेष रूप से कांथी में पार्टी ने मौजूदा टीएमसी सांसद सिसिर के बेटे और विधानसभा नेता विपक्ष के भाई सौमेंदु अधिकारी को पहली बार मैदान में उतारा है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की अब तक घोषित सूची में नए नाम 2019 में हारी हुई 5 सीटों के हैं। इनमें से 3 सीटें वह बसपा से और 2 सीटें सपा से हार गई थीं। जबकि 3 सीटों पर वोट शेयर का अंतर 10% अंक से कम था, दो में यह 10% अंक से अधिक था। नए चेहरों में अंबेडकर नगर के मौजूदा सांसद रितेश पांडे भी शामिल हैं, जो हाल ही में बसपा से भाजपा में शामिल हुए हैं।
2019 में बीजेपी जिन अन्य सीटों पर हार गई। वहां पार्टी नए उम्मीदवार उतार रही है। उनमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की एकमात्र सीट शामिल है। असम, छत्तीसगढ़ और झारखंड में प्रत्येक में 2 सीटें और राजस्थान में 1 सीट शामिल है। इनमें उल्लेखनीय नाम झारखंड के सिंहभूम से मौजूदा सांसद और पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा का है। गीता हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई हैं। असम के कलियाबोर और राजस्थान के नागौर में 2019 में उन सीटों पर चुनाव नहीं लड़ने के बाद भाजपा अपने उम्मीदवार उतार रही है।
पिछली बार बीजेपी ने जो सीटें जीती थीं
पिछली बार पार्टी को मिली 43 सीटों पर बीजेपी ने नया उम्मीदवार घोषित किया है। इनमें से 9 सीटें वे हैं जहां मौजूदा सांसद ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में चुनाव लड़ा और जीता था, जिनमें मध्य प्रदेश की 5, छत्तीसगढ़ की 3 और राजस्थान की 1 सीट शामिल है। आसनसोल में इसके सांसद बाबुल सुप्रियो ने 2021 में टीएमसी में शामिल होने के लिए छोड़ दिया। झारखंड में हज़ारीबाग़ सीट पर इसके सांसद जयंत सिन्हा ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। बची 32 सीटों पर भाजपा ने मौजूदा सांसदों को बदल दिया है, जबकि उनमें से 29 50% से अधिक वोट पाकर जीते हैं।
कई मामलों में बीजेपी ने मौजूदा राज्यसभा सांसद को भी मैदान में उतारा है। जिसमें गुना से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पोरबंदर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, डिब्रूगढ़ से केंद्रीय बंदरगाह मंत्री और असम के पूर्व सीएम सर्बानंद सोनोवाल और त्रिपुरा के पूर्व सांसद शामिल हैं, जबकि त्रिपुरा पश्चिम से सीएम बिप्लब देब का नाम शामिल है।
बीजेपी हाईकमान ने विदिशा के मौजूदा सांसद की जगह शिवराज सिंह चौहान को उतारा है। जिन्हें उनके नेतृत्व में 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की भारी जीत के बावजूद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया और मोहन यादव को राज्य की कमान सौंपी गई।
उम्मीदवार चयन में पैटर्न
पार्टी द्वारा फिर से मैदान में उतारे गए मौजूदा सांसदों में से 79 ने पिछला चुनाव 50% से अधिक वोट शेयर के साथ जीता था, 28 ने 40%-50% के साथ, और 1 ने 40% से कम वोट शेयर के साथ जीता था। हाल ही में अन्य दलों से शामिल हुए 3 सांसद 40% से अधिक वोट शेयर के साथ जीते। यह कहा जा सकता है कि 2019 में इन सांसदों के मजबूत प्रदर्शन ने पार्टी के जीतने के मानदंडों को पूरा किया हो, लेकिन यह तर्क उन 32 सीटों पर लागू नहीं होता है जहां 2019 में 45% से अधिक वोट शेयर के साथ जीतने के बावजूद मौजूदा सांसदों को बदल दिया गया है।
2019 में बीजेपी जिन सीटों पर हार गई और पार्टी ने नए उम्मीदवारों के नाम घोषित किए, उनमें से 11 सीटों पर उसे 40% के करीब वोट शेयर मिले। 3 में 30%-40%, 4 में 20%-30% और 13 में 20% से कम। ये सीटें बड़े पैमाने पर उन राज्यों में केंद्रित हैं जहां भाजपा की बहुत कम मौजूदगी है। जिनमें केरल, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
पिछली बार हारे लेकिन फिर से मैदान में उतारे गए 8 उम्मीदवारों में से 4 ने 35% से अधिक वोट शेयर हासिल किया और यूपी में करीबी मुकाबलों में हार गए। अन्य 4 पश्चिम बंगाल और केरल में 35% से कम वोट शेयर के साथ हार गए। इनमें अभिनेता से नेता बने सुरेश गोपी और राज्य महासचिव सी कृष्णकुमार, केरल के दो नेता शामिल हैं, जिन्होंने हाल के चुनावों में राज्य में भाजपा को अपना प्रभाव बढ़ाने में मदद की है।
