बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बने धर्मनिरपेक्ष महागठबंधन के नेताओं राजद प्रमुख लालू प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरएसएस सरसंघ चालक मोहन भागवत की आरक्षण नीति की समीक्षा के सुझाव को आज अस्वीकार करते हुए केंद्र की राजग सरकार को उसे (आरक्षण) वापस लेने की चुनौती दी।
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एक राष्ट्रीय निजी समाचार टीवी चैनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए भाजपा पर आरएसएस का मुखौटा होने का आरोप लगाते हुए कहा कि आरएसएस के खिलाफ जाने की भाजपा में हिम्मत नहीं है।
लालू ने भागवत के बयान पर कहा कि अजगर के बिल में हाथ डालने का काम किया गया है, इसलिए देश के पिछड़े वर्ग के लोग और दलित सजग हो जाएं कि उनका दुश्मन उन्हें ललकार रहा है। उन्होंने कहा कि वे कमर कस लें और ‘कौन माई का लाल’ आरक्षण को समाप्त करेगा। आरएसएस प्रमुख के आरक्षण को लेकर सुझाव पर भाजपा उसका बचाव करने में लगी है पर कोई उन पर यकीन नहीं करेगा क्योंकि सभी जानते हैं कि भाजपा आरएसएस का मात्र मुखौटा है। हम आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को धूल चटाएंगे।
आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में भागवत ने आरक्षण नीति की समीक्षा का सुझाव दिया था। उन्होंने दावा किया था कि इसका इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। भागवत ने सुझाव दिया था कि एक गैरराजनीतिक समिति गठित कर इसकी समीक्षा होनी चाहिए कि किसको सुविधा चाहिए एवं कितने समय तक।
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एक राष्ट्रीय निजी समाचार टीवी चैनल द्वारा आयोजित उक्त कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे नीतीश ने कहा कि आरएसएस प्रमुख की मंशा से भाजपा का नजरिया समाज के पिछडे, एससी, एसटी और वंचित तबके के बारे में स्पष्ट हो गया है और उसका चेहरा बेनकाब हो गया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा आरएसएस का राजनीतिक संगठन है और वह उसके विचारों को लागू करेगी, जो आरएसएस का विचार है वही भाजपा का विचार है। आरएसएस की तीन दिनों की बैठक में भाजपा नेता एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाग लेने से यह बात स्पष्ट हो गयी है।
नीतीश ने कहा कि भाजपा नेता एक ओर तो प्रधानमंत्री की जाति बता रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण खत्म करना चाह रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘आरक्षण है और रहेगा। हमलोग आरक्षण के समर्थक हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में वोट को लेकर भाजपा के लोग आरएसएस प्रमुख की बातों से कन्नी काट रहे हैं।’
नीतीश ने कहा कि आरक्षित तबके के लोगों को सचेत हो जाना चाहिए। अगर वे अपना एक भी वोट बर्बाद करेंगे तो समझ लें कि वे अपने पैर में कुल्हाडी मार रहे हैं।
बसपा सुप्रीमो मायावती के सीबीआई को लेकर की गयी टिप्पणी पर नीतीश ने कहा कि उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर ये बातें कही हैं। उन्होंने कहा कि इतना तो साफ दिख रहा है कि किस तरह से आज देश में सीबीआई का उपयोग करके राजनीतिक स्वार्थ साधने की कोशिश हो रही है। यह जगजाहिर हो चुका है।
इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि आरक्षण के प्रावधान पर कोई पुनिर्विचार की आवश्यकता नहीं है और जब तक भाजपा देश की राजनीति में है, कोई ताकत दलितों और पिछडों के इस संवैधानिक अधिकार को छीन सकती है।
उन्होंने राजग के घटक दलों लोजपा के प्रमुख रामविलास पासवान और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सेक्युलर के संस्थापक जीतन राम मांझी के बारे में कहा कि आज अगर आरक्षण नहीं होता तो वे नेता नहीं बन पाते। आज भी समाज में गैर बराबरी है और जबतक यह फासला खत्म नहीं होता तबतक आरक्षण लागू रहेगा।