देश के कई राज्यों में हुए हिंसा को लेकर विपक्षी दलों ने पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया है। जिसपर अब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने देश की जनता के नाम एक खुला पत्र लिखकर अपनी बात रखी। बता दें कि देश में हो रही सांप्रदायिक हिंसा पर 13 राजनीतिक दलों के विपक्षी नेताओं ने पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया है। ऐसे में जेपी नड्डा ने एक पत्र लिखकर कहा कि कांग्रेस पर निशाना साधा है।

उन्होंने पत्र में लिखा, “1969 में गुजरात, 1980 में मुरादाबाद, 1984 में भिवंडी, 1987 में मेरठ हिंसा, 1980 के दशक में कश्मीर घाटी में हिंदुओं के खिलाफ हुई अलग-अलग हिंसा, 1989 में भागलपुर, 1994 में हुबली में कांग्रेस शासन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई। इसकी सूची लंबी है।” उन्होंने जनता से आग्रह किया है कि वह विचार करे कि आजादी की 100 वर्षगांठ 2047 के अवसर पर वह कैसा भारत चाहती है?

जेपी नड्डा ने आगे कहा, “इसी तरह, दलितों और आदिवासियों के खिलाफ सबसे भीषण नरसंहार कांग्रेस के शासन में हुए हैं। यह वही कांग्रेस है जिसने डॉ अंबेडकर को संसदीय चुनावों में भी हराया था।” इसके अलावा, जेपी नड्डा ने विपक्षी दलों पर अपने पत्र में आरोप लगाया कि विरोधी दल ‘विभाजनकारी’ और ‘वोट बैंक’ की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने विपक्षी दलों से “विकास की राजनीति” को अपनाने की अपील की।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लिखा, “आज, जब सभी धर्मों, सभी आयु समूहों के साथ-साथ जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग गरीबी को हराने और भारत को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए एक साथ खड़े हैं। ऐसे में मैं विपक्ष से भी अपना ट्रैक बदलने और विकास की राजनीति को अपनाने की अपील करूंगा।”

उन्होंने लिखा कि भारत का युवा विकास पसंद करता है विनाश नहीं। विपक्ष को आत्ममंथन करना चाहिए कि इतने दशकों तक देश पर शासन करने वाली पार्टियां इतिहास के हाशिये पर अब क्यों चली गई हैं।

बता दें कि शनिवार को विपक्षी दलों के नेताओं ने एक बयान जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भारत में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा के बीच चुप्पी साधने का आरोप लगाया था। विपक्षी दलों ने कहा कि हिंसा की घटनाओं पर हम प्रधानमंत्री की चुप्पी से हैरान हैं। संयुक्त बयान में 13 विपक्षी दलों ने कहा कि हम यह देखकर ‘क्षुब्ध’ हैं कि खानपान, पहनावा, आस्था, त्योहारों और भाषा जैसे मुद्दों का प्रयोग सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा समाज का ध्रुवीकरण करने के लिए किया जा रहा है।

इन 13 विपक्षी नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, NCP प्रमुख शरद पवार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन समेत 13 नेता शामिल हैं।