भाजपा से जुड़ा एक थिंक टैंक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में लिए गए एक महत्वपूर्ण फैसले की जांच कराना चाहता है। वह फैसला साल 1969 में इंदिरा गांधी द्वारा लिया गया ‘बैंकों के राष्ट्रीयकरण’ का फैसला है, जिस पर थिंक टैंक ‘पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर’ ने संदेह जाहिर करते हुए इसकी जांच के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर सुमित भसीन का कहना है कि हम साल 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लिए गए बैंकों के राष्ट्रीयकरण के फैसले की किसी कमीशन से जांच की मांग करते हैं। जिसके बाद से पब्लिक सेक्टर के बैंकों में संकट की स्थिति बनी हुई है। बता दें कि ‘द प्रिंट’ की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है।

सुमित भसीन ने कहा कि इंदिरा गांधी का यह फैसला इसलिए सवालों के घेरे में है क्योंकि जिस उद्देश्य के लिए बैंकों के राष्ट्रीयकरण का फैसला लिया गया था, वह उद्देश्य क्यों आज तक भी पूरा नहीं हुआ है? बता दें कि इस थिंक टैंक में भाजपा सांसद विनय सहस्त्रबुद्धि और भाजपा नेता नलिन कोहली बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हैं। गौरतलब है कि यह थिंक टैंक बैंकों के लोन संकट की जांच के लिए भी एक जांच आयोग के गठन की मांग कर रहा है। पब्लिक सेक्टर के बैंक जिस तरह से ऋण संकट में फंसे हुए हैं, उसकी ओर इशारा करते हुए पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स के जिम्मेदार लोगों को इसके प्रति जवाबदेह बनाया जाए।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर ने कहा है कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण के फैसले से हुई पैसे की बर्बादी बेहद चिंता का विषय है और इस फैसले के पीछे की मंशा का पता लगाने के लिए जांच आयोग के गठन की जरुरत है, साथ ही जो लोग भी पैसे की बर्बादी के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें जवाबदेह बनाया जाए। बैंकों के राष्ट्रीयकरण के फैसले के बाद देश के बैंक खासकर पब्लिक सेक्टर के बैंक एनपीए के कारण काफी धन की बर्बादी का सामना कर चुके हैं।

‘कांग्रेस को हुआ था इस फैसले से फायदा’ – पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर के पत्र में आगे कहा गया है कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण करने के फैसले से कांग्रेस को राजनैतिक औऱ आर्थिक रुप से काफी फायदा हुआ था। उल्लेखनीय है कि इस पत्र में मोदी सरकार के समय में लिए गए जन-धन योजना के फैसले की खूब तारीफ की गई है। इस पत्र में एनपीए के व्यवस्थागत मूल्यांकन की भी मांग की गई है। पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर ने पत्र के पीएम ऑफिस भेजे जाने की पुष्टि की है। सूत्रों के अनुसार, रिसर्च सेंटर के इस पत्र के आधार पर सरकार कारवाई कर सकती हैं, क्योंकि इस रिसर्च सेंटर को भाजपा और आरएसएस का समर्थन प्राप्त है। बता दें कि इंदिरा गांधी सरकार ने साल 1969 में एक अध्यादेश लाकर देश के 14 बड़े कमर्शियल बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। 19 जुलाई, 1969 को आधी रात से यह फैसला लागू हो गया था। गौरतलब है कि देश के कुल जमा का 85 प्रतिशत इन बैंकों के पास था।