Samajwadi Party के पितामह मुलायम सिंह यादव ने एक बार अपने राजनीतिक गुरु और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को भी चित कर दिया था। ऐसा उन्होंने अपने भाई रामगोपाल यादव के लिए किया था। यह किस्सा साल 1990 के दशक का है, जब समाजवादी जनता पार्टी (सजपा) नाम की एक राजनीतिक पार्टी बनी थी जिसके अध्यक्ष चंद्रशेखर थे। मुलायम सिंह यादव भी इसमें उनके साथ थे। उस समय केंद्र में कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर पीएम बने थे और यूपी में कांग्रेस के सपोर्ट से मुलायम सीएम थे।
वर्ष 1991 में दोबारा चुनाव हुए। इनमें बीजेपी को यूपी की सत्ता मिली थी और कल्याण सिंह सीएम बने थे। इस बीच, चंद्रशेखर और मुलायम में टकराव बढ़ गया था। यूपी विधानसभा में इनकी पार्टी के 24 विधायक थे और राज्यसभा चुनाव के जरिए एक उम्मीदवार भेजा जाना था। चंद्रशेखर अपनी पसंद के कैंडिडेट को वहां चाहते थे, लेकिन मुलायम ने अपने मास्टर भाई रामगोपाल यादव का पर्चा भरवा दिया।
यह मुलायम का सियासी प्रबंधन ही था, जो उन्होंने गुरु के विरोध के बाद भी भाई को जिता लिया। यहीं से तस्वीर साफ हो गई थी कि वे दोनों ज्यादा दिन तक साथ नहीं चल पाएंगे। थोड़े दिन बाद 1992 में मुलायम ने समाजवादी पार्टी का ऐलान कर दिया था। हालांकि, तब ज्यादातर दलों ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया था। पर आगे 1993 में कांशीराम के साथ गठजोड़ और जोड़तोड़ के बाद वह यूपी के फिर सीएम बने।
नेता से पहले थे पहलवानः मुलायम ने यूपी की आगरा यूनिवर्सिटी से एमए और जैन इंटर कॉलेज से बीटीसी किया था। सियासत के अखाड़े में आने से पहले वह पहलवान थे। फिर अध्यापन में आए और 60 के दशक में राजनीति में एंट्री ली।
भैंसागाड़ी से गई थी बारातः पहली शादी 18 साल की उम्र में कर दी गई थी। वह तब 10वीं में थे। बताया जाता है कि तब मुलायम की बारात भैंसा गाड़ी से गई थी, क्योंकि तब मोटर कारों का इतना चलन नहीं था।