बिहार में 93 बच्चे ‘चमकी’ बुखार की भेंट चढ़ चुके हैं। बच्चों के मौत का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। शनिवार तक बच्चों के मरने की संख्या 80 थी, लेकिन अगले ही रविवार सुबह तक 4 और बच्चों ने दम तोड़ दिया। 4 बच्चों की मौत उस दौरान हुई जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन स्थिति का जायजा लेने मुजफ्फरपुर अस्पताल पहुंचे हुए थे। केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी से पीड़ित बच्चो को देखने पहुंचे थी। जब वह स्वास्थ्य सेवाओं का जायजा ले रहे थे, उसी दौरान बच्चों के मरने की खबर आई।
डॉक्टर हर्षवर्धन ने श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का दौरा किया और मामले पर डॉक्टरों से बात की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अस्पतालों में दवाइयों की कमी नहीं है, लेकिन आपात स्थिति को देखते हुए बेड और आईसीयू की कमी हो गई है। गौरतलब है कि बच्चों के मौत की वजहों की पड़ताल के लिए हेल्थ एक्सपर्ट की टीम मुजफ्फरपुर में है। एक्सपर्ट का कहना है कि इलाके में तेज गर्मी और बारिश की कमी की वजह से लोगों के शरीर में शुगर की कमी हो जा रही है, जिसे साइंस की भाषा में हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं, इसकी वजह से लोगों की मौते हो रही हैं। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि चमकी रोग के पीछे लीची का फल भी कारण है।
दूसरी तरफ मरीजों के परिजनों ने अस्पताल की व्यवस्थाओं पर भी सवाल उठाए हैं। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर रात के वक्त अस्पताल में मौजूद नहीं रहते और मरीजों को नर्सों के हवाले छोड़ दिया जाता है। वहीं, इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुजफ्फरपुर का दौरान नहीं करने पर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, सीएम नीतीश ने स्थिति की गंभीरता पर अपनी चिंता जाहिर की है और स्वास्थ्य विभाग को नजर बनाए रखने को कहा है।