राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार के खिलाफ दायर एक याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनिंदा हालात में चुनाव बाद किए गए गठबंधन स्वीकार्य हैं। याचिका में राजद-जदयू गठबंधन को गलत बता शीर्ष अदालत से नीतीश कुमार को बर्खास्त करने को कहा गया था।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम संदरेश की बेंच ने कहा कि दल बदल कानून में भी इस तरह के गठबंधन का प्रावधान है। संविधान का 10वां शेड्यूल भी इसकी इजाजत देता है। सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच का कहना था कि याचिका में कोई मजबूत दलील नहीं दी गई है, जिस पर कोर्ट विचार करने का मन बनाए। लिहाजा इस याचिका को सिरे से खारिज किया जाता है।
चंदन कुमार नाम के शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके दलील दी थी कि नीतीश और जदयू का महागठबंधन जनता के साथ धोखा है। हॉर्स ट्रेडिंग और करप्ट पॉलिटिक्स के चलते लोगों को एक स्थिर सरकार नहीं मिल पा रही है। उनका कहना था कि ये गठबंधन संविधान का सरासर उल्लंघन है। नीतीश कुमार को सुप्रीम कोर्ट तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने का आदेश जारी करे।
याचिकाकर्ता का कहना था कि चुनाव बाद हुए इस गठबंधन को अदालत फ्राड घोषित करे। ऐसी पार्टियों के लिए शीर्ष अदालत दिशा निर्देश जारी करे जो करप्ट और हॉर्स ट्रेडिंग की राजनीति में लिप्त हैं। उनकी मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट संसद को आदेश जारी करे, जिससे एक ऐसा कानून बनाया जा सके जिसमें चुनाव से पहले हुए गठबंधन पैसे और बाहुबल के इस्तेमाल से न तोड़े जा सकें।
उनकी दलील थी कि सत्ता के लालची नेता अपने फायदे के लिए चुनाव पूर्व किए गठबंधन तोड़कर अपनी मर्जी से गठजोड़ कर लेते हैं। याचिका में संसद को ये भी निर्देश देने के लिए कहा गया था कि वो संविधान की 10वीं अनुसूची में व्यापक फेरबदल करे, जिससे इस तरह के मौकापरस्त गठबंधनों के होने का रास्ता बंद हो सके।