राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के छोटे साले सुभाष यादव सोमवार को पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी (जेएपी) में शामिल हो गए। उधर, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी के दामाद ने बगावत कर दी और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर परचा भर दिया।
मधेपुरा से सांसद पप्पू यादव की मौजूदगी में सुभाष यादव एक मिलन समारोह में जेएपी में शामिल हुए। सुभाष यादव के साथ लोजपा के राज्य महासचिव लल्लन सिंह, जद (एकी) विधायक मीना द्विवेदी समेत कई दूसरे दलों के नेता भी जेएपी में शामिल हुए। कांग्रेस और जद (एकी) के कुछ नेता भी जेएपी में शामिल हुए हैं। जेएपी बिहार विधानसभा चुनावों में तीसरे मोर्चे में शामिल पार्टी है।
सुभाष यादव ने बाद में कहा कि सामाजिक न्याय की लड़ाई को मजबूत करने के लिए उन्होंने पप्पू यादव से हाथ मिलाया है। उन्होंने कहा- मैं पप्पू यादव को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहता हूं। सुभाष ने लालू के खिलाफ कुछ नहीं कहा। उन्हें अपना ‘गार्जियन और राजनीतिक गुरु’ बताया। लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर आलोचना की और कहा कि दस वर्षों तक उन्होंने यादव जाति को नुकसान पहुंचाया और अब यादव वोट के लिए लालू प्रसाद से हाथ मिला लिया है।
राजद के 1990 से 2005 तक 15 वर्षों के शासनकाल में सुभाष यादव और उनके बड़े भाई साधु यादव दो प्रमुख चेहरे हुआ करते थे। राबड़ी देवी के तीन भाइयों में सबसे छोटे सुभाष ने 2010 में राजद छोड़ दी थी। पिछला विधानसभा चुनाव वह विक्रमगंज सीट से लड़कर हार गए थे। साधु यादव भी अब लालू के साथ नहीं हैं। उन्होंने अपनी पार्टी गरीब जनता दल सेक्युलर बनाई है।
इस बीच लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान के दामाद द्वारा उनके खिलाफ बगावत किए जाने के बाद अब हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी ने बगावत कर दी और सोमवार को बोधगया (सुरक्षित सीट) से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर परचा भर दिया। भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक श्यामदेव पासवान को टिकट दिया है। देवेंद्र मांझी ने कहा कि उन्हें महादलित समाज के दबाव के कारण मैदान में उतरना पड़ा। लेकिन उन्होंने अपने ससुर और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की।
देवेंद्र मांझी ने अपने ससुर के बारे में कहा-‘दलित और महादलित समाज का प्रतिनिधित्व करने के बाद भी उन्हें सिर्फ 20 सीटें मिली। वह और क्या कर सकते हैं?’ उन्होंने कहा-‘मैं उनकी छवि नहीं खराब करना चाहता हूं और निश्चित रूप से मैं उनसे आर्शीवाद मांगूंगा।’
इधर पासवान के दामाद और दलित सेना के प्रमुख अनिल कुमार साधु ने कहा कि वह राजा पाकड सीट से पशुपति कुमार पारस के खिलाफ मैदान में उतरने की सोच रहे है। पारस लोजपा प्रमुख के छोटे भाई और पार्टी की प्रदेश इकाई के प्रमुख हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं दलित समाज से उन सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारूंगा जहां से लोजपा के प्रत्याशी मैदान में होंगे तथा रामविलास पासवान की पार्टी की हार सुनिश्चित करने के लिए प्रचार करूंगा।’