प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न चुके बिहार विधानसभा चुनाव के बीच भाजपा के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला के साथ हुई मुलाकात के बाद अटकलों ने जोर पकड़ा है। जहां इस चुनाव में भाजपा के हश्र को लेकर तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं वहीं यह लगभग तय हो चुका है कि चुनाव नतीजे कुछ भी रहें पर अभिनेता से नेता बने इन बिहारी बाबू का राजनीतिक भविष्य अच्छा नहीं है।
सोमवार को रणदीप सिंह सुरजेवाला ने, अपने पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा से मुलाकात की। कांग्रेस नेता ने अपनी इस मुलाकात को सामाजिक भेंट बताया। सुरजेवाला ने सिन्हा से उनके निवास पर मुलाकात की। बाद में उन्होंने कहा कि इसे कोई राजनीतिक महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता ने ट्विटर पर कहा कि शत्रुघ्न सिन्हा के प्रति मेरा गहरा सम्मान है। सभी व्यक्तिगत संबंधों को राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जा सकता। उम्मीद है मीडिया के साथी इस बात को समझेंगे।
सिन्हा ने बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए अब तक प्रचार नहीं किया है। सच तो यह है कि पार्टी ने ही उन्हें नहीं बुलाया है। पटना साहिब से लोकसभा सांसद सिन्हा ने हाल के अपने ट्वीट में कहा कि वह इन खबरों को लेकर व्यथित हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के अब तक हो चुके मतदान के दो चरणों में पार्टी बेहतर कर सकती थी। उन्होंने नेताओं से पांच सितारा संवाददाता सम्मेलन बंद करने और जमीनी आधार पर मुद्दों तक पहुंचने का आग्रह किया।
शत्रुघ्न सिन्हा लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से ही काफी व्याकुल चल रहे हैं। उन्हें पूरा विश्वास था कि कि नरेंद्र मोदी उनकी वरिष्ठता को देखते हुए उन्हें कैबिनेट में शामिल करेंगे पर उनकी जगह रविशंकर प्रसाद को मंत्री बना कर उन्होंने इस 70 वर्षीय नेता के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया। रवि शंकर प्रसाद भी कायस्थ हैं व वे भी पटना से ही लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे, शत्रुघ्न सिन्हा अपना टिकट बचाने में तो कामयाब हो गए पर उन्हें मंत्री बनने से नहीं रोक सके। इसके इलावा उन्हें पार्टी में भी कोई अहम पद नहीं दिया गया।
शत्रुघ्न सिन्हा को लालकृष्ण आडवाणी के खेमे का माना जाता है और यह आम धारणा है कि वे जब तब आडवाणी की भावनाओं को स्वर देते रहते हैं। कुछ समय पहले ही उन्होने कहा था कि आडवाणी की पार्टी में अनदेखी की जा रही है। फिर कहा कि आडवाणी ने उन्हें दो बार मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश की थी। चुनाव के पहले वे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैली में आमंत्रित न किए जाने से नाराज चल रहे थे। वे पवन वर्मा के साथ नीतीश कुमार से उनके घर पर मिले। उनकी जम कर तारीफ की व उन्हें अपना अच्छा मित्र बताया। हालांकि इसी साल जनवरी माह में मुंबई में हुई उनके बेटे कुश की शादी में प्रधानमंत्री ने हिस्सा लिया था। शत्रुघ्न की बदहवासी की वजह यह है कि इतने अहम चुनाव में पार्टी उनको पूछ तक नहीं रही है। उन्होंने यहां तक कहा कि रामविलास पासवान या जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करना बेहतर रहता।
हाल हीं में उन्होने नरेंद्र मोदी की कुछ कथित रैलियां रद्द कर दिए जाने पर चिंता जताई थी। उन्होंने दालों के आकाश छू रहे दामों को भी चुनाव नतीजों के लिए घातक बताया। वे यह ऐलान कर चुके हैं कि चुनाव नतीजे मोदी सरकार के लिए लिटमेस टैस्ट साबित होंगे। उनका दावा है कि वे किसी से भी नहीं डरते हैं और लता मंगेश्कर की तरह अपनी शख्सियत के कारण जाने जाते हैं। वैसे सुरजेवाला ने ठीक ही कहा है कि इस मुलाकात को शिष्टाचार से ज्यादा नहीं माना जाना चाहिए। यह ठीक ही है क्योंकि जिस कांग्रेस का देश व बिहार में अपना जनाधार गायब हो चुका हो वो इस बिहारी बाबू को क्या देगी।

