बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव धीरे-धीरे नजदीक आ रहा है। राज्य की सभी प्रमुख पार्टियों ने सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। जहां एक ओर मुख्य विपक्ष महागठबंधन के नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की ओर से पूरे प्रदेश में वोटर अधिकार यात्रा निकाल रहे हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए भी हर रोज कोई न कोई ऐलान कर रही है। इसी बीच आज पीएम मोदी ने बिहार के गयाजी में तमाम परियोजनाओं का उद्घाटन किया और इसके साथ ही उन्होंने कई चुनावी समीकरण को भी साधा।
पीएम मोदी ने गयाजी में विभिन्न क्षेत्रों के लिए बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, शहरी विकास और जल आपूर्ति संबंधी लगभग 13,000 करोड़ रुपये की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इसके साथ ही उन्होंने दो ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। ये ट्रेन गया से दिल्ली के बीच अमृत भारत एक्सप्रेस और वैशाली से कोडरमा (झारखंड) के बीच बौद्ध सर्किट के लिए शुरू की गई। बिहार दौरे के दौरान पीएम मोदी ने गयाजी के साथ ही बेगूसराय गए, जहां उन्होंने औंटा-सिमरिया 6 लेन पुल का भी लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने लंबा रोड शो भी किया।
मगध इलाके में आने वाले गया से सांसद जीतन राम मांझी को मोदी सरकार ने साल 2024 में केंद्रीय मंत्री बनाया। चूंकि मांझी एनडीए के सहयोगी हैं और उनका प्रभाव इस इलाके में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं मगध इलाके को साधने के लिए एनडीए अपने सहयोगी चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को भी साथ लेकर चल रही है।
2020 में जेडीयू का नही खुला था खाता
दरअसल पीएम मोदी की नजर पूरी तरह से मगध पर बनी हुई है, क्योंकि मगध बीजेपी ही नहीं बल्कि पूरे एनडीए कुनबे के लिए सबसे कमजोर कड़ी मानी जाती है। साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो एनडीए को जरूर पूर्ण बहुमत मिला हो, लेकिन मगध के इलाके में बीजेपी या फिर जेडीयू सबका हाल एक जैसा ही रहा था।
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मगध के इलाके में आने वाली 26 विधानसभा सीटों में से महागठबंधन के खाते में 20 सीटें आई थीं जबकि एनडीए को महज 6 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। वहीं एनडीए के भीतर बात करें तो नीतीश कुमार की पार्टी का खाता तक नहीं खुला था और बीजेपी के खाते में 3 सीटें और 3 सीटें जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने 3 सीटें जीती थी। इस हिसाब से देखें तो मगध के नवादा, औरंगाबाद, अरवल और जहानाबाद में महागठबंधन का पलड़ा भारी रहा था।
मुंगेर में भी एनडीए को मिल रही है चुनौती
वहीं साल 2015 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो मगध की 26 सीटों में से 21 सीटें महागठबंधन के खाते में आई थी और एनडीए को महज 5 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। हालांकि इस चुनाव में महागठबंधन में नीतीश कुमार भी थे, जबकि बीजेपी छोटे-छोटे दलों के साथ चुनाव लड़ रही थी। वहीं, 2010 के चुनाव की बात करें तो एनडीए को 26 में से 24 सीटें आई थी।
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इसके साथ ही एनडीए मगध प्रमंडल के साथ-साथ मुंगेर प्रमंडल की 22 सीटों को साधने की कोशिश है। इसलिए एनडीए अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए मुंगेर और मगध प्रमंडल की 48 विधानसभा सीटों के समीकरण पर है। मुंगेर की 22 सीटों की बात करें तो 2020 के चुनाव में एनडीए के खाते में 13 जबकि 9 सीटें महागठबंधन के खाते में आई थीं। जबकि 2015 के चुनाव की बात करें तो लालू-नीतीश की जोड़ी ने बीजेपी को पूरी तरह से साफ कर दिया था। मुंगेर की 22 में से 19 सीटें महागठबंधन के खाते में जबकि 3 सीट महज एनडीए के खाते में आई थी।