सेना के एक जवान को नौ महीने के सश्रम कारावास और कोर्ट मार्शल के बाद सेवा से बर्खास्तगी की सजा सुनाई गई है। जवान के खिलाफ यह सख्त एक्शन इसलिए लिया गया क्योंकि उन्हें तीन साल से अधिक समय तक बिहार में अपने गांव में रहने का दोषी पाया गया जबकि उनका सैन्य अस्पतालों में इलाज होना चाहिए था।
बिहार रेजिमेंट की 9वीं बटालियन (9 बिहार) के लांस हवलदार अभय कुमार सिंह पर अंबाला स्थित जिला मार्शल कोर्ट (डीसीएम) में मुकदमा चलाया गया। कर्नल प्रकाश राज की अध्यक्षता में हुए इस मुकदमे में 5 अधिकारी भी शामिल थे और 4 नवंबर को फैसला सुनाया गया। अभय सिंह जनवरी 2025 में सेना से सेवानिवृत्त हुए थे। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही चल रही थी फिर भी सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें सेना अधिनियम की धारा 123 के तहत सेना की एक इकाई में शामिल कर दिया गया था।
सेना के जवान पर क्या थे आरोप?
जवान पर तीन आरोप लगाए गए थे और उनमें से दो में उन्हें दोषी पाया गया था। पहला आरोप सेना अधिनियम की धारा 38(1) के तहत सेवा छोड़ने से संबंधित था। इसके अनुसार, यह आरोप लगाया गया था कि 9 जुलाई, 2019 को अभय सिंह लखनऊ स्थित कमांड अस्पताल (मध्य कमान) से बिना छुट्टी लिए चले गए। उनके खिलाफ दूसरा आरोप सेना अधिनियम की धारा 69 के तहत 16 दिसंबर, 2022 को नामकुम अस्पताल में जाली दस्तावेज के इस्तेमाल से संबंधित था। तीसरा आरोप सेना अधिनियम की धारा 63 (अच्छे आदेश और सैन्य अनुशासन के प्रतिकूल कार्य) के तहत था, जिसमें उन पर एक वरिष्ठ अधिकारी को झूठा बताने का आरोप लगाया गया था कि उनके सभी मेडिकल दस्तावेज अधिकारियों के बोर्ड द्वारा ले लिए गए थे।
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अभय सिंह पर डीसीएम द्वारा मुकदमा चलाने का आदेश
9 इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल भारत मेहतानी ने इस साल जून में अभय सिंह पर डीसीएम द्वारा मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। जवान को पहले दो आरोपों में दोषी पाया गया और तीसरे में निर्दोष पाया गया। डीसीएम की सज़ा उच्च अधिकारियों द्वारा पुष्टि के अधीन है। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के गवाहों ने गवाही दी कि अभियुक्त को सैन्य अस्पताल में दिखाया गया था लेकिन अस्पताल का नाम नहीं बताया गया था। साथ ही जब तक वह यूनिट में वापस नहीं आए तब तक उन्हें सैन्य अस्पताल में ही दिखाया गया था।
बटालियन और मेरठ स्थित यूनिट के डिवीजन मुख्यालय को जवान के गांव से भी शिकायतें मिलीं
आरोपी की बटालियन और मेरठ स्थित यूनिट के डिवीजन मुख्यालय को भी कुछ शिकायतें मिली थीं जो उनके गांव से आई थीं। इन शिकायतों में आरोप लगाया गया था कि जवान लंबे समय से अपने गांव में रह रहा था जबकि उसने दावा किया था कि वह सेना में सेवारत है। जवान सिंह को कैंसर के इलाज के लिए नामकुम स्थित सैन्य अस्पताल, लखनऊ स्थित कमांड अस्पताल और दिल्ली छावनी स्थित आर्मी अस्पताल (आर एंड आर) में भर्ती कराया गया था । उनकी बटालियन ने यह मान लिया था कि उनका इलाज चल रहा है जबकि वह कथित तौर पर बिहार स्थित अपने पैतृक गांव में थे।
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हालांकि, अभियुक्त के बचाव पक्ष के वकील ने मुकदमे के दौरान दलील दी कि अभय सिंह का रिकॉर्ड अच्छा रहा है और एक प्रशिक्षण के दौरान उसके चेहरे पर ग्रेनेड से चोटें आई थीं। उन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ झूठी शिकायतें गांव में आपसी प्रतिद्वंद्विता के कारण हुई थीं जो देश में आम बात है। साथ ही अभय सिंह अपने इलाज के दौरान भी मौजूद था और उसका हिसाब भी दिया गया था।
