बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने राज्य के सभी रजिस्टर्ड मदरसों की चरणबद्ध तरीके से मरम्मत और पुनर्निमाण करवाने का फैसला किया है। इसके तहत, इन मदरसों में नई लाइब्रेरी, हॉस्टल और साइंस लैब भी बनवाए जाएंगे। बता दें कि बिहार में फिलहाल 2,549 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं जिन्हें राज्य सरकार की ओर से सालाना फंडिंग होती है।

ऐसा पहली बार हुआ है जब राज्य में किसी सरकार ने मदरसों की मरम्मत और पुनर्निमाण का फैसला लिया है। इससे पहले तक मदरसों के निर्माण कार्य और मरम्मत का जिम्मा मदरसा कमेटी के पास थी जो सरकारी फंड के जरिए इस काम को करवाती थी। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अमीर सुब्हानी ने बीते हफ्ते बिहार स्टेट मदरसा बोर्ड के चेयरमैन कयूम अंसारी और निर्माण और इंजीनियरिंग से जुड़े विभिन्न विभागों के अफसरों के साथ बैठक की थी।

अंसारी ने रिपोर्टरों से कहा, ‘सरकार ने इस बहुप्रतीक्षित योजना के लिए मंजूरी दे दी है। इसके लिए एक कमेटी भी बनवाई गई है।’ बता दें कि इस काम को पूरा करने के लिए प्रदेश मदरसा बोर्ड नोडल एजेंसी होगी। वहीं, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट इस प्रोजेक्ट को क्रियान्वित करने करने वाली एजेंसी होगी।

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पहले चरण के तहत, औरंगाबाद, नालंदा और दरभंगा के 25 मदरसों की मरम्मत और पुननिर्माण के लिए 25 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। अन्य जिलों को जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों के जरिए प्रस्ताव भेजने कहा गया है। यह लिखित में देने को कहा गया है कि जिन मदरसों के लिए प्रस्ताव भेजा जाए, वो ऐसी जमीन पर न हो जो किसी कानूनी पचड़े में फंसी हो।

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावों को मिलने वाली मंजूरी के मद्देनजर यह सारा काम चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएग। बता दें कि नीतीश सरकार पहले से ही अल्पसंख्यकों के लिए 6 से ज्यादा योजनाएं चला रही है। इनमें मुस्लिम स्टूडेंट्स के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग कार्यक्रम और स्कॉलरशिप आदि भी शामिल हैं। सरकार मुस्लिम छात्रों को ब्याज मुक्त लोन भी देती है।

इससे पहले, 2017 में सरकार ने मदरसों को इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए फंड देने का फैसला किया था। हालांकि, यह योजना लागू नहीं की जा सकी थी। नीतीश कुमार के पहले कार्यकाल के दौरान, सरकार ने कब्रिस्तानों में बाड़ लगवाना शुरू करवाया था। अभी तक करीब 6000 कब्रिस्तानों में बाड़ लगवाई जा चुकी है।