चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल या निर्दलीय उम्मीदवार के लिए चुनाव चिन्ह एक अहम भूमिका निभाते हैं। भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में जहां एक बड़ी आबादी अभी भी निरक्षर है, मतदान प्रक्रिया में चुनाव चिन्हों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मान्यता प्राप्त दलों को भारतीय चुनाव आयोग (ECI) द्वारा स्थायी चुनाव चिन्ह दिए जाते हैं। रजिस्टर्ड लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिए अगर वह दल दो लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों या किसी राज्य की विधानसभा की 5% सीटों पर चुनाव लड़ता है तो चुनाव के दौरान एक फ्री सिंबल को कॉमन सिंबल के रूप में आवंटित किया जाता है।
भारत में राजनीतिक दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को मतदाताओं को मतपत्र पर अपनी पहचान बताने में मदद करने के लिए चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाते हैं। किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल का एक रिजर्व सिंबल होता है जो किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में किसी अन्य उम्मीदवार को आवंटित नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए, भाजपा के पास ‘कमल’ और कांग्रेस के पास ‘पंजा’ है।
निर्दलीय उम्मीदवार/गैर-मान्यता प्राप्त दल को चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए फ्री चुनाव चिन्हों की सूची में से चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाते हैं। ये पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर या लॉटरी के माध्यम से आवंटित किए जाते हैं अगर कई लोग एक ही चिन्ह की मांग करते हैं। आइए जानते हैं भारत में निर्दलीय उम्मीदवारों और पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त दलों को चुनाव चिन्ह आवंटित करने के नियम और प्रक्रिया क्या हैं।
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चुनाव चिन्ह आवंटन के लिए क्या कहते हैं चुनाव आयोग के नियम?
चुनाव चिन्ह (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 और भारत के चुनाव आयोग द्वारा बाद में जारी अधिसूचनाओं में निर्धारित हैं। एक निर्दलीय उम्मीदवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करते समय वरीयता क्रम में तीन फ्री सिंबल की सूची प्रदान करनी होगी। अगर किसी गैर-मान्यता प्राप्त लेकिन पंजीकृत राजनीतिक दल के किसी भी उम्मीदवार ने उसे अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में नहीं चुना है तो रिटर्निंग ऑफिसर (RO) उम्मीदवार की पहली पसंद का चिन्ह आवंटित करेगा। चुना गया पचुनाव चिन्ह पहले ही किसी और द्वारा ले लिया गया है तो अगली वरीयता पर विचार किया जाता है। अगर कोई पसंदीदा फ्री सिंबल उपलब्ध नहीं है तो कोई दूसरा सिंबल आवंटित किया जाता है।
ऐसे मामलों में जहां कई उम्मीदवार एक ही सिंबल चुनते हैं (यानि की दोनों की एक ही पहली वरीयता होती है), ऐसे में यह तय करने के लिए लॉटरी या ड्रॉ निकाला जा सकता है कि किसे कौन सा चुनाव चिन्ह मिलेगा। नामांकन वापस लेने की समय सीमा बीत जाने के बाद, रिटर्निंग ऑफिसर इन फ्री सिंबल का अंतिम आवंटन करता है।
चुनाव चिन्ह आवंटन में वर्तमान सांसदों/विधायकों का खास ध्यान
किसी वर्तमान सांसद या विधायक को, जो अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं, बिना लॉटरी के उनका पिछला चुनाव चिन्ह आवंटित किया जा सकता है, बशर्ते कि उन्होंने पिछला चुनाव उसी चिन्ह पर लड़ा हो। स्वतंत्र प्रतीकों की विशिष्ट सूची चुनावों के अनुसार बदलती रहती है और चुनाव आयोग द्वारा इसे अपडेट किया जाता है। पहले स्वतंत्र उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध प्रतीकों में रोज़मर्रा की वस्तुएँ शामिल होती थीं। जैसे- ऑटो रिक्शा, गुब्बारा, कैमरा, पंखा, केतली, प्रेशर कुकर, टीवी वगैरह।
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