बिहार में अब एनडीए की हार तय लग रही है। ऐसे में उठ रहे कुछ अहम सवाल और उनके जवाब-
बिहार का क्या होगा: बिहार में महागठबंधन (जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस) की सरकार बनेगी। नीतीश कुमार ने विकास की बात कर पांच साल शासन किया। अब पांच साल वह लालू के साथ शासन करेंगे। लालू की राजनीति का आधार जाति रहा है। उनकी पार्टी जिस तरह कद्दावर होकर उभरती नजर आ रही है, वैसे में उनकी अनदेखी करना नीतीश के लिए आसान नहीं होगा। ऐसे में विकास और जाति के बीच टकराव देखने को मिल सकता है।
मोदी-शाह की जोड़ी का क्या: बिहार चुनाव को शुरू से नीतीश बनाम मोदी माना जा रहा था। प्रधानमंत्री ने भी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा की तुलना में जितनी दिलचस्पी बिहार चुनाव में दिखाई उससे यही संदेश गया कि उन्होंने इस चुनाव को नाक का सवाल बना लिया था। इसके बावजूद एनडीए की हार से यह संदेश जरूर जाएगा कि मोदी (शाह भी) हमेशा जिताऊ चेहरा साबित नहीं हो सकते।
जहां तक अमित शाह का सवाल है तो उन्हें अगले साल दोबारा अध्यक्ष का पद मिलने में तो कोई शक नहीं है। लेकिन पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के लिए उन्हें नए सिरे से सोचना होगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि जहां मोदी के रूप में जहां सबसे बड़ा चेहरा कामयाब नहीं हो पाया, वहीं शाह की छवि सबसे मजबूत चुनावी रणनीति बनाने वाले नेता की रही है।
नीतीश के बारे में: नीतीश का कद निश्चित रूप से बढ़ेगा। लेकिन उनके लिए असल चुनौती लालू के प्रभाव से निपटना ही होगा। इस बात के पूरे संकेत हैं कि लालू मंत्रिमंडल में ज्यादा से ज्यादा अपने लोगों को रखवाना चाहेंगे। हो सकता है वह अपने बेटों को भी मंत्री बनवाने की कोशिश करें। बड़ा खतरा इस बात का है कि जिसे विपक्ष ‘जंगलराज’ कहता आ रहा है, कहीं उसकी वापसी के संकेत न बन जाएं।
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