पीएम मोदी के नमामि गंगे अभियान की धज्जियां जिले के आलाधिकारियों के सामने ही उड़ी हैं। रोक के बाद भी गंगा में दुर्गा की प्रतिमाओं का बुधवार रात विसर्जन होता रहा। मजिस्ट्रेट, पुलिस वहां तैनात तो थे, पर इसलिए ताकि विसर्जन जुलूस शांति और सदभाव से हो। दंगा निरोधक दस्ता (रैफ) के जवान भी जहां-तहां खड़े रहे। गाजे-बाजे के साथ कतारबद्ध हो करीब 50 प्रतिमाएं गंगा में विसर्जित की गईं। बाकी वहां दिन में प्रवाहित की गईं।

जिले के अधिकारी इस पर चुप हैं। 108 दुर्गा महासमिति के महासचिव अभय कुमार घोष सोनू ने बताया कि प्रशासन ने प्रतिमाओं के विसर्जन का वैकल्पिक इंतजाम नहीं किया। आयोजकों का कोई दोष नहीं है। सामने काली पूजा है। काली प्रतिमाओं का विसर्जन भी गंगानदी में ही होगा। नगर निगम की आयुक्त जे प्रियदर्शी और महापौर सीमा साह इन सब बातों से बेपरवाह हैं। आयुक्त को कोई मतलब नहीं है। जिलाधीश प्रणब कुमार बाढ़ से परेशान हैं।

दरअसल, राष्ट्रीय गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्र ने 16 सितंबर को इस बाबत आदेश जारी किया था, जिसमें गंगा और सहायक नदियों में किसी प्रतिमा के विसर्जन की अनुमति देने को साफ तौर से मना किया गया था। केंद्र के इस आदेश को राज्य सरकारों को पालन करना है। आदेश की अनदेखी कर विसर्जन करने वालों से 50 हजार रुपए जुर्माना वसूल कर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को देना है।

निर्देश के मुताबिक, विसर्जन के लिए उन प्रतिमाओं के निर्माण पर रोक है, जो मिट्टी और पानी में प्राकृतिक रूप से नहीं घुल सकतीं। यही नहीं, सभी मूर्तियों को रंगने में इस्तेमाल किए जाने वाले जहरीले या सिंथेटिक पेंट्स पर भी बंदिश लगाई गई है। राज्य सरकार के अधिकारियों से कहा गया कि गणेश चतुर्थी, विश्वकर्मा पूजा बीतने के 7 दिनों में कार्रवाई रिपोर्ट भेजना जरूरी है। पर पूजा बीते करीब 20 और 10 दिन गुजर चुके हैं।

जानकार बताते है कि कोई रिपोर्ट नहीं भेजी गई है। कार्रवाई हुई ही नहीं तो रिपोर्ट किस बात की? दो रोज दशहरा भी गुजर गया। रावण वध का मलवा गंगानदी में ही बहाया गया। और दुर्गा प्रतिमाएं भी विसर्जित की गईं। आगे पंद्रह रोज बाद दीपावली है। काली पूजा, छठ पूजा और फिर सरस्वती पूजा। सबका विसर्जन गंगा नदी और सहायक नदियों में होना तय है। कानून कागजों पर बनते हैं और कागजों पर ही अमल होते हैं। पूजा महासमिति के लोग कहते हैं बगैर वैकल्पिक इंतजाम के यह सिलसिला ऐसे ही चलेगा।

बता दे कि गंगा नदी की दस सहायक नदियां है। बाएं तरफ राम गंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोशी, महानंदा और दायीं ओर यमुना, तमसा, सोन और पुनपुन नदी बहती हैं। इतना ही नहीं, बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने कहा कि बिहार की नदियों में प्रतिमा विसर्जन पर पहले ही पत्र जारी कर मनाही की गई थी, मगर जिलों के अधिकारी ढिलाई बरत रहे हैं। नतीजतन नदियां प्रदूषित हो रही हैं और नमामि गंगे के स्वच्छता मिशन की धज्जियां उड़ रही हैं।