पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित दया प्रकाश सिन्हा के द्वारा सम्राट अशोक को लेकर की गई विवादित टिप्पणी के मामले को लेकर बिहार सरकार में सहयोगी भाजपा और जदयू के बीच तलवारें खींच गई है। बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने जदयू को चेतावनी देते हुए कहा कि टि्वटर टि्वटर खेलकर अगर सवाल करेंगे तो बिहार के 76 लाख भाजपा कार्यकर्ता इसका जवाब देना अच्छे से जानते हैं।
सोमवार को बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फेसबुक पोस्ट लिखकर जदयू नेताओं पर निशाना साधा जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से दया प्रकाश सिन्हा के पद्मश्री वापस लिए जाने की मांग की थी। संजय जायसवाल ने अपने पोस्ट में लिखा कि एनडीए गठबंधन का निर्णय केंद्र द्वारा है और यह बिल्कुल मजबूत है इसलिए हम सभी को साथ चलना है। फिर बार-बार मुझे और केंद्रीय नेतृत्व को टैग कर न जाने क्यों प्रश्न करते हैं। एनडीए गठबंधन को मजबूत रखने के लिए हम सभी को मर्यादाओं का ख्याल रखना चाहिए। यह एकतरफा अब नहीं चलेगा।
आगे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने लिखा कि इस मर्यादा की पहली शर्त है कि देश के प्रधानमंत्री से ट्विटर ट्विटर ना खेलें। प्रधानमंत्री प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता के गौरव भी हैं और अभिमान भी। उनसे अगर कोई बात कहनी हो तो बिल्कुल सीधी बातचीत होनी चाहिए। टि्वटर टि्वटर खेलकर अगर उनपर सवाल करेंगे तो बिहार के 76 लाख भाजपा कार्यकर्ता इसका जवाब देना अच्छे से जानते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में हम सब इसका ध्यान रखेंगे।
संजय जायसवाल ने यह भी लिखा कि इस तरह की बात कहना कि राष्ट्रपति द्वारा दिए गए पुरस्कार को प्रधानमंत्री वापस लें। इससे ज्यादा बकवास हो ही नहीं सकता। दया प्रकाश सिन्हा के हम आप से सौ गुना ज्यादा बड़े विरोधी हैं क्योंकि आपके लिए यह मुद्दा बिहार में शैक्षिक सुधार जैसा मुद्दा है जबकि जनसंघ और भाजपा का जन्म ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर हुआ है। हम अपनी संस्कृति और भारतीय राजाओं के स्वर्णिम इतिहास में कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते।
उन्होंने आगे लिखा कि 74 वर्ष में एक घटना नहीं हुई जब किसी पद्मश्री पुरस्कार की वापसी हुई हो। पहलवान सुशील कुमार पर हत्या के आरोप सिद्ध हो चुके हैं उसके बावजूद भी राष्ट्रपति ने उनका पदक वापस नहीं लिया क्योंकि पुरस्कार वापसी मसले पर कोई निश्चित मापदंड नहीं है। जबकि चाहे वह हरिद्वार में घटित धर्म संसद हो या सैकड़ों हेट स्पीच ,सरकार न केवल इन पर संज्ञान लेती है बल्कि बड़े से बड़े व्यक्ति को भी जेल में डालने से नहीं हिचकती। इसलिए सबसे पहले बिहार सरकार दया प्रकाश सिन्हा को मेरे द्वारा दर्ज किए एफआईआर में गिरफ्तार करे और फास्ट ट्रैक कोर्ट से तुरंत सजा दिलवाये। उसके बाद बिहार सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति के पास जाकर हम सबों की बात रखे कि एक सजायाफ्ता मुजरिम का पद्मश्री पुरस्कार वापस लिया जाए ।
संजय जायसवाल ने यह भी लिखा कि बिहार सरकार अच्छे वातावरण में शांति से चले यह सिर्फ हमारी जिम्मेवारी नहीं बल्कि आप की भी है। अगर कोई समस्या है तो हम सब मिल बैठकर उसका समाधान निकालें। हम हरगिज नहीं चाहते हैं कि फिर से मुख्यमंत्री आवास 2005 से पहले की तरह हत्या कराने और अपहरण की राशि वसूलने का अड्डा हो जाए।
बता दें कि जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने दया प्रकाश सिन्हा के द्वारा दिए गए विवादित बयान को लेकर उनपर कार्रवाई की मांग की है। साथ ही उन्होंने कहा कि दया प्रकाश सिन्हा का यह बयान देश की अस्मिता पर हमला है। इसलिए ऐसे बयान देने वालों के पुरस्कार वापस लिए जाने चाहिए। जबतक केंद्र सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाती है तबतक हमारा विरोध जारी रहेगा। उपेंद्र कुशवाहा और जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने इसको लेकर ट्वीट भी किया था और उसमें प्रधानमंत्री मोदी को भी टैग किया था।