पांच चरणों में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग 28 अक्टूबर को है। इस चरण के लिए भाजपा ने पहले दो चरणों की तुलना में ज्यादा कड़ी नीति बनाई है। केंद्रीय मंत्रियों को अलग-अलग इलाकों में कैंप करने के लिए कहा गया है। नेताओं को हिदायत दी गई है कि वे क्षेत्र में पहुंचने के लिए केवल हेलिकॉप्टर के भरोसे नहीं रहें, जरूरत पड़ने पर सड़क मार्ग से जाने में परहेज नहीं करें। भाजपा ने बाकी तीन चरण के मतदान के लिए जो नई रणनीति बनाई है, उसका ब्योरा ये है-
1. जिला मुख्यालयों में केंद्रीय मंत्री की तैनाती
केंद्रीय मंत्रियों व अन्य बड़े नेताओं को जिला मुख्यालयों में कैंप करने के लिए कहा गया है। उन्हें विकास और आंकड़ों के जरिए नीतीश सरकार पर हमला करने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही ‘आरक्षण के बारे में सच्चाई’ से वोटर्स को अवगत कराने के लिए भी ब्रीफ किया गया है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शुक्रवार को मुजफ्फरपुर में और शनिवार को बेतिया में थे। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को दरभंगा, मधुबनी और झंझारपुर लोकसभा क्षेत्रों के तहत आने वाली विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई है। राजीव प्रताप रूडी को सारण और गिरिराज सिंह को नीतीश के क्षेत्र नालंदा में तैनात किया गया है। गिरिराज नीतीश के खिलाफ सबसे आक्रामक बयान देते रहे हैं। बिहार भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव को कोसी और सीमांचल क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है।
एक नेता ने बताया, ‘हमने हर विधानसभा क्षेत्र में 200-250 कार्यकर्ता तैनात किए हैं। इनसे कहा गया है कि मतदाताओं तक हमारा चुनावी संदेश पहुंचाएं और उन्हें बताएं कि अगर केंद्र और राज्य में एक ही गठबंधन की सरकार हुई तो राज्य को कैसे फायदा पहुंचेगा।’
2. साथी दलों को ज्यादा अहमियत देना
भाजपा ने एनडीए में शामिल दलों को अलग से अपना प्रचार जारी रखने के लिए कहा है, लेकिन साथ ही यह रणनीति भी बनाई है कि एनडीए के विज्ञापनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गठबंधन के साथी दलों के नेताओं को भी प्रमुखता से दिखाया जाए। रामविलास पासवान की पाटी लोजपा के प्रधान महासचिव (प्रिंसिपल जेनरल सेक्रेटरी) अब्दुल खालिक ने कहा, ‘हमने हमारे सबसे प्रमुख चेहरे (पीएम मोदी) के साथ प्रचार किया। एक रणनीति के रूप में यह अच्छा है कि अब हम गठबंधन के साथियों को भी प्रमुखता दे रहे हैं।’ रविवार को हाजीपुर में नरेंद्र मोदी के साथ वैशाली और हाजीपुर क्षेत्र के एनडीए के सभी उम्मीदवार मंच पर मौजूद थे। गठबंधन के बाकी दलों – लोजपा और हम – के नेता रामविलास पासवान और जीतन राम मांझी भी उनके साथ थे।
सूत्र बताते हैं कि भाजपा नेताओं को लगता है कि मतदान के शुरुआती दो चरणों में एनडीए के साथी दलों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। भाजपा के एक सूत्र ने कहा, ‘उपेंद्र कुशवाहा कमजोर कड़ी साबित हो रहे हैं। कुशवाहा वोटर्स को एनडीए के पाले में करने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ेगी। अगर महागठबंधन के पक्ष में मतदाताओं को जातीय आधार पर ध्रुवीकरण हो रहा है तो हमारे नेताओं को भी चाहिए कि वे अपनी जाति के वोटर्स के बीच आक्रामकता के साथ पैठ बढ़ाएं और उन्हें अपने पाले में करें।’
3. बैकवर्ड वोटर्स को लुभाने की जिम्मेदारी मुखिया पर
मुखिया-सरपंच की भूमिका हर चुनाव में अहम होती है। दोनों ही खेमा दलित और ईबीसी (आर्थिक रूप से पिछड़ी जाति) के मुखिया को लुभाने में जुटा है। तीसरे चरण में 28 अक्टूबर को 50 विधानसभा क्षेत्रों में वोट डाले जाने हैं। इन क्षेत्रों में ऐसे मुखिया की संख्या करीब 500 है। एनडीए की नीति है कि किसी भी तरह दलित वोटों का बंटवारा रोका जाए। एक भाजपा नेता ने अपना आकलन बताया, ‘पासवान और मुसहर/भुइयां वोटर्स तो एकजुट हो सकते हैं, लेकिन रविदास वोटर्स अभी भी महागठबंधन (लालू-नीतीश खेमा) की ओर झुके लगते हैं। भाजपा की नीति ईबीसी और दलित वोटर्स को रिझाने की है। इन वर्गों के मतदाता अंतिम समय तक अपने पत्ते नहीं खोलते। भाजपा ने ईबीसी मल्लाह जाति के वोटर्स को अपने पाले में करने के मकसद से मुकेश सहनी को अपनी पार्टी में लिया है। वह पहले जेडीयू में थे। मुजफ्फरपुर और झंझारपुर में सहनी की अच्छी-खासी आबादी है। बिहार में करीब 27 फीसदी ईबीसी वोटर्स हैं। ये करीब 130 जातियों में बंटे हैं।
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4. कोई विवाद नहीं
भाजपा ने अपने तमाम नेताओं से कह दिया है कि वे कोई विवादास्पद बयान नहीं दें। हाल के दिनों में बिहार के बाहर जहां मनोहर लाल खट्टर और वीके सिंह ने विवादास्पद बयान देकर भाजपा की परेशानी बढ़ाई, वहीं राज्य में गिरिराज सिंह ने विवादित बयान देकर विपक्ष को हमलावर होने का मौका दिया। गिरिराज सिंह ने रविवार को भी नालंदा में बीफ के मुद्दे पर बयानबाजी की। नेताओं से कहा गया है कि वे केवल विकास की बात करें। अब भाजपा के नए ऐड्स में भी केवल विकास की बातों के जरिए ही विरोधियों पर निशाना साधा जा रहा है। जैसे एक नए विज्ञापन में पूछा गया है कि क्यों नई पीढ़ी स्वास्थ्य गारंटी स्कीम के तहत स्कूली बच्चों को हेल्थ कार्ड दिए जाने की योजना रोक दी गई? मेडिकल इंस्ट्रूमेंट घोटाले की भी बात की जा रही है। एक भाजपा नेता ने कहा कि हम बहस को जाति से विकास की ओर मोड़ना चाह रहे हैं।
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5. चुनाव के बाद प्रचार
शुरुआती दो चरणों में जहां वोट डाले जा चुके हैं वहां के 81 उम्मीदवारों को एनडीए ने बाकी बचे क्षेत्रों में भेजा है। जातिगत समीकरणों का ख्याल रखते हुए नेताओं को अलग-अलग क्षेत्र में भेजा गया है। ये उम्मीदवार बूथ पर मिले फीडबैक से पार्टी नेताओं को अवगत करा रहे हैं। छपरा भेजे गए एक ऐसे ही उम्मीदवार ने बताया, ‘हमने जल्दबाजी में कुछ कदम उठा लिए और महागठबंधन की ताकत को आंकने में भी भूल कर दी। नतीजा हुआ कि महागठबंधन मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए गए बयान का फायदा उठाने में कामयाब हो गए। अब हमारे कार्यकर्ताओं को किसी कीमत पर ऐसा नहीं होने देना है।’