बिहार के रघुनाथपुर से भाजपा उम्मीदवार मनोज सिंह कभी शहाबुद्दीन के सिपाही थे। अब उनका कहना है कि शहाबुद्दीन इस्लामिक आतंकी संगठनों के प्रभाव में आकर हिंदुओं का ही कत्ल करने लगे थे।
मनोज सिंह की पहचान इस इलाके के बाहुबली राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के ‘सिपाही’ और सीवान के ‘बाहुबली’ नेता के तौर पर रही है। कभी वह अपराध करने के लिए कुख्यात रहे थे। लेकिन आज वह जेल में बंद शहाबुद्दीन पर मुस्लिमों के बीच आपराधिक तत्वों को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हैं। उनके क्षेत्र में 65 हजार मुस्लिम वोटर्स हैं और उन्हें इस बात को लेकर कोई शंका नहीं है कि इनमें से कोई भी उन्हें वोट नहीं देने वाला।
मनोज सिंह की एक बड़ी चिंता ‘लव जिहाद’ है। वह कहते हैं कि बड़ी संख्या में मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों पर डोरे डाल रहे है, जबकि मुस्लिम लड़कियों का भी हिंदुओं पर असर बढ़ रहा है। उनका यह भी कहना है कि कई हिंदू लड़कियां मुस्लिमों की नकल में बुर्का पहनने लगी हैं और इससे यहां चोरी जैसे अपराध भी बढ़ने लगे हैं।
सिंह का कहना है कि बुर्का पहन कर बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं बोगस वोट डालने बूथों पर भी पहुंच जाती हैं। उनका दावा है कि अपने समर्थकों की मदद से उन्होंने इसे काफी हद तक रोका है। उनके मुताबिक, ‘इस चुनाव में भी ऐसा होने वाला है और इसे लेकर मैं सतर्क हूं। मुस्लिम महिलाएं मतदान से तीन दिन पहले अंगुलियों में मेहंदी लगा लेती हैं, ताकि मतदान के वक्त बूथ पर लगाई जाने वाली स्याही मिटाई जा सके। इस बार भी ऐसा खूब होने वाला है। हमारी हिंदू बहने दोपहर तक घर में ही बैठी रहती हैं और तब तक मुस्लिम महिलाएं आकर उनका वोट डाल जाती हैं। मैंने इसे रोकने का इंतजाम कर लिया है।’
लेकिन, कैसे? यह पूछने पर उनका जवाब है, ‘यह जानने के लिए आपको इंतजार करना होगा।’ क्या आप बाहुबली हैं? यह पूछने पर पहले तो मनोज ने कहा- नहीं। लेकिन, अगले ही क्षण बोले, ‘मैं अपने बचाव में कुछ भी कर सकता हूं। अगर कोई मुझे या मेरे हितों को नुकसान पहुंचाए तो मैं जो भी उचित होगा, करूंगा। मैं एक चाकू लेकर भी एके-47 से लैस अपने दुश्मन का सामना कर सकता हूं।’
एक राशन दुकान पर तीन गार्ड्स से घिरे मनोज सिंह ने शहाबुद्दीन से रिश्ता तोड़ने के पीछे की कहानी बताते हुए कहा, ‘जब मैंने पाया कि शहाबुद्दीन इस्लामी आतंकी गतिविधियों से प्रभावित हो रहे और राष्ट्र विरोधी काम कर रहे हैं तो मैंने उनका साथ छोड़ दिया। मैं यह बर्दाश्त नहीं कर सकता था कि शहाबुद्दीन के लोग हिंदू युवाओं की हत्या करें। लोग सीवान छोड़ कर जाने लगे। लालू राज में पंजाबी और मारवाड़ी कारोबारी सीवान छोड़ गए। 1990 में मैं उनके (शहाबुद्दीन) लिए लड़ा। लेकिन इस्लामिक आतंकी संगठनों के प्रभाव में आकर उन्होंने हिंदुओं को मारना शुरू कर दिया।’ 2005 में मनोज सिंह के भाई मृत्युंजय सिंह भी गोलियों का शिकार हुए थे।
इस चुनाव में मनोज का मुकाबला हरिशंकर यादव से है। हरिशंकर को शहाबुद्दीन के इशारों पर चलने वाला बताया जाता है। इस क्षेत्र के मौजूदा विधायक विक्रम कुंवर ने टिकट नहीं मिलने पर भाजपा छोड़ कर जदयू का दामन थाम लिया है। उनका कहना है कि मनोज ने भाजपा से टिकट खरीद लिया। लेकिन, मनोज ने अपनी जीत का गणित तैयार कर रखा है।
उनका कहना है अगड़ी जातियों का पूरा वोट उन्हें ही मिलने जा रहा है। उनके अनुसार- 38 हजार राजपूत, 27 हजार वैश्य, 19 हजार ब्राह्मण के अलावा 30 हजार यादवों में से 75 प्रतिशत और 12 हजार कुशवाहा, 15 हजार पासवान व अन्य दलित वोटर्स में से ज्यादातर के वोट उनके ही हक में पड़ेंगे। अब यह गणित कितना सटीक है, यह तो अगले महीने मतगणना के दिन ही पता चलेगा।
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