हरियाणा में भाजपा के साथ सरकार में शामिल जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की करनाल जिला इकाई के अध्यक्ष इंदरजीत सिंह गोराया ने केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने जिलाध्यक्ष के पद और पार्टी की सदस्यता से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि उन्होंने पहले उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से केंद्र पर ‘किसान विरोधी कानूनों’ को वापस लेने के वास्ते दबाव डालने का अनुरोध किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘ इन कृषि कानूनों के विरूद्ध यह आंदोलन अब जनांदोलन बन गया है लेकिन केंद्र इनकी (कानूनों की) वापसी की किसानों की मांग नहीं मान रहा है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों की मांगें मानने के बजाय केंद्र‘‘ 26 जनवरी को दिल्ली में घटी घटनाओं के बाद इस आंदोलन को बदनाम करने की तरकीबें इस्तेमाल कर रहा है।’’

बता दें कि हरियाणा सरकार ने मंगलवार को सात जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा पर लगी रोक को बुधवार शाम पांच बजे तक बढ़ा दिया। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है।एक सरकारी बयान में यहां बताया गया है कि हरियाणा सरकार ने कैथल, पानीपत, जींद, रोहतक, चरखी दादरी, सोनीपत और झज्जर में मोबाइल इंटरनेट (2जी/3 जी/ 4जी/सीडीएमए/जीपीआरएस) तथा मोबाइल नेटवर्क पर उपलब्ध डोंगल सेवा पर लगी रोक को तीन फरवरी शाम पांच बजे तक बढ़ा दिया है। ये रोक एक साथ बहुत सारे (बल्क) एसएमएस भेजने पर भी लागू रहेगी।

बयान में कहा गया है कि इस रोक में सामान्य फोन सेवा शामिल नहीं हैं। बयान के मुताबिक, इन सात जिलों में शांति और लोक व्यवस्था में किसी बाधा को रोकने के लिए यह आदेश जारी किया गया है और यह तत्काल प्रभाव से लागू होता है।बता दें कि दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी आंदोलन के दौरान बिजली कटौती, पानी और साफ-सफाई के अभाव जैसी समस्याओं का सामना कर रहे किसानों की स्थानीय लोग मदद कर रहे हैं। स्थानीय लोग किसानों को बिजली से लेकर अपने घरों के शौचालयों तक के इस्तेमाल की इजाजत दे रहे हैं। किसान सिंघू बॉर्डर के दिल्ली-हरियाणा राजमार्ग पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

वहीं, केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों को निष्प्रभावी करने वाले राज्य संशोधन विधेयक को पंजाब के राज्यपाल वी पी सिंह बदनौर द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजने से इनकार करने के बाद राज्य सरकार इन केंद्रीय कानूनों के संबंध में फिर एक संशोधन विधेयक विधानसभा में पेश करेगी।