भीमा कोरेगांव केस में अंग्रेजी की प्रोफेसर शोमा सेन ने मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत की मांग की है। आरोपी ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें 17 जनवरी को कहा गया था कि शोमा जमानत के लिए स्पेशल कोर्ट का रुख कर सकती हैं, क्योंकि वहीं इस मामले की सुनवाई की जा रही है। प्रोफेसर की याचिका पर सर्वोच्च अदालत सुनवाई करने को सहमत हो गई है। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने उनकी याचिका पर संज्ञान लिया था। हालांकि एनआईए की अपील पर सुनवाई 4 अक्टूबर तक टाल दी गई।

शोमा सेन 2018 से जेल में बंद हैं। उनके खिलाफ UAPA एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। पुणे के भीमा कोरेगांव में भड़की जातीय हिंसा के बाद एनआईए ने उनको अरेस्ट किया था। एजेंसी का कहना था कि प्रोफेसर का संबंध कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) से है।

आज की सुनवाई के दौरान जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने शोमा सेन की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर से पूछा कि क्या उनका मामला भी उन दो आरोपियों जैसा है जिन्हें हाल ही में जमानत पर रिहा किया गया था। ध्यान रहे कि जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने हाल ही में दो आरोपियों को जमानत पर रिहा किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में दी थी दो आरोपियों को जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने ही एल्गार परिषद मामले में वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को 28 जुलाई को जमानत दी थी। बेंच ने कहा था कि वो दोनों पांच साल से हिरासत में हैं। कोर्ट का कहना था कि आरोपियों को इतने लंबे समय तक विचाराधीन कैदी की तरह से जेल में बंद रखना सही नहीं है। ये मूल अधिकारों का उल्लंघन है। शोमा सेन के मामले में शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने एक फॉर्मूले के आधार पर पहले दो आरोपियों की याचिकाओं पर फैसला किया था। देखना होगा कि यह मामला उस फॉर्मूले में फिट बैठता है या नहीं।

इसी मामले की एक और आरोपी ज्योति जगताप ने भी जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ज्योति की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 21 सितंबर को सुनवाई करेगा। आरोपी ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।