सुरेंद्र सिंघल
भारतीय जनता पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने समीकरण साधने में और अपनी ताकत बढ़ाने की रणनीति पर तेजी के साथ आगे बढ़ रही है। भाजपा ने पिछले चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 27 में से 19 सीटें जीती थीं। चार-चार सीटें बसपा और सपा ने जीती थीं। ध्यान रहे दोनों के बीच गठबंधन था।भाजपा नेतृत्व की मंशा है कि वह 2024 लोकसभा चुनाव में इन सभी आठों सीटों पर जीत दर्ज करे।
उसके रणनीतिकारों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दूसरे दलों के अपने-अपने जातीय समुदायों पर असर रखने वाले नेताओं को भाजपा में शामिल कराने की मुहिम चलाई है। इसके तहत उन्होंने सोमवार को सहारनपुर मंडल के सैनी बिरादरी से दो बड़े नेता साहब सिंह सैनी और राजपाल सैनी भाजपा में शामिल करा लिया। दोनों का पश्चिमी यूपी की अपनी बिरादरी में अच्छा असर माना जाता है। इससे भाजपा अपने समीकरण साधने में सफल हो सकती है।
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पश्चिमी यूपी की सहारनपुर, बिजनौर, नगीना और अमरोहा सीटें बसपा के मुकाबले और रामपुर, मुरादाबाद एवं संभल समाजवादी पार्टी के मुकाबले में हार गई थी। वह मुजफ्फरनगर, मेरठ और बागपत बड़ी मुश्किल से जीत पाई थी। भाजपा नेतृत्व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों पर असर रखने वाले रालोद प्रमुख जयंत चौधरी पर भी डोरे डाल रही है, लेकिन अभी वे अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखने के इरादे से टस से मस नहीं हो रहे हैं। उनके कांग्रेस और दलित नेता चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी से गठबंधन की बातें चल रही हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि देर सबेर इस गठबंधन को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव का क्या रुख रहता है।