सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। साथ ही वैक्सीन को लेकर काफी बवाल भी मचा हुआ। राजनीतिक दलों की टीका टिप्पणी के बाद अब वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट(SII) और भारत बायोटेक के बीच भी बवाल शुरू हो गया है। सीरम इंस्टीट्यूट के द्वारा की गयी आलोचना पर भारत बायोटेक के अध्यक्ष ने भी जवाबी हमला किया है।
दरअसल कुछ दिन पहले सीरम इंस्टीट्यूट के अदर पूनावाला ने एक टीवी इंटरव्यू में बिना भारत बायोटेक का नाम लिए हुए कहा था कि सिर्फ तीन ही वैक्सीन के अंदर कोरोना से लड़ने की क्षमता है जिसमें फाइजर ,मॉडर्न और एस्ट्राजेनेका शामिल हैं बाकी सारे वैक्सीन पानी के तरह हैं।
जिसपर भारत बायोटेक के अध्यक्ष डॉ कृष्णा एल्ला ने कहा कि हमने 200 प्रतिशत ईमानदारी से परीक्षण किये हैं। लेकिन इसके बावजूद भी हमारी आलोचना की जा रही है। कुछ कंपनियों ने तो हमारी वैक्सीन को पानी की तरह बता दिया। लेकिन मैं यह मानने को तैयार नहीं हूँ। हम भी वैज्ञानिक हैं। साथ ही उन्होंने एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया के उस बयान का भी खंडन किया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत बायोटेक के द्वारा बनाई गयी कोवैक्सीन एक बैकअप की तरफ काम कर सकती है। एम्स निदेशक का जवाब देते हुए भारत बायोटेक के निदेशक ने कहा कि लोगों को इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए। कोवैक्सीन एक वैक्सीन है ना कि एक बैकअप।
बायोटेक के निदेशक ने कहा कि एस्ट्रेजेनेका-ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन के ट्रायल के दौरान स्वयंसेवकों को शॉट से पहले पैरासिटामोल की गोली दी गई थी लेकिन उनकी कंपनी ने ट्रायल के दौरान ऐसा कुछ नहीं किया। साथ ही उन्होंने कहा कि हम 2 से 15 वर्ष तक के बच्चों पर भी एक ट्रायल करने की योजना बना रहे हैं। इसके लिए हम एक प्रपोजल भी तैयार कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने कुछ दिन पहले ही भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ और सीरम इंस्टीट्यूट की ‘कोविशील्ड’ को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है। कोविड-19 वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को बधाई देते हुए कहा था कि सीरम इंस्टीटयूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन को DCGI की मंजूरी मिलने के बाद देश से कोरोना को खत्म करने का रास्ता साफ हो गया है।