Chakka Jam: केंद्र के नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे किसान संगठनों के तीन घंटे के ‘चक्का जाम’ के आह्वान पर शनिवार को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कई प्रमुख सड़कों को प्रदर्शनकारी किसानों ने ‘ट्रैक्टर-ट्रालियों’ से अवरूद्ध कर दिया। वहीं, अन्य राज्यों में भी छिटपुट प्रदर्शन हुए। किसान नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया है कि दिल्ली की सीमाओं पर उनका (किसानों का) प्रदर्शन ‘‘दो अक्टूबर तक’’ जारी रहेगा और प्रदर्शनकारी किसान तभी घर लौटेंगे, जब केंद्र सरकार इन विवादास्पद कानूनों को रद्द कर देगी और ‘‘न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाला एक नया कानून’’ बनाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘इस पर कोई समझौता नहीं होगा।’’ साथ ही, उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह आंदोलन पूरे देश के लिए है, ना कि एक राज्य के लिए है। शनिवार के प्रदर्शनों के दौरान देश के किसी भी हिस्से से कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। हालांकि, कई राज्यों में दर्जनों लोगों को हिरासत में ले लिया गया। दिल्ली में करीब 50 प्रदर्शनकारियों को शहीदी पार्क में हिरासत में लिया गया। गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस पर किसान संगठनों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की घटना के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये थे।
वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान में कहा, किसानों के ”चक्का जाम” आह्वान को पूरे देश भर में जबरदस्त समर्थन मिला। चक्का जाम ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि देशभर के किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एकजुट हैं। बता दें कि किसान संगठनों द्वारा किए गए चक्का जाम पर दिल्ली पुलिस के PRO की ओर से बताया गया कि दिल्ली में 26 जनवरी को हुई हिंसा को देखते हुए भारी सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया था। बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था को और दुरुस्त किया गया था। संवेदनशील जगहों पर भी पुलिस बल तैनात थे। दिल्ली में जनजीवन सुचारू रूप से चला।चक्का जाम दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक था।
Highlights
केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान संगठनों के तीन घंटे के ‘चक्का जाम’ के आह्वान पर शनिवार को बिहार में किसान संगठनों ने राजद सहित विपक्षी दलों के समर्थन से अपराह्न 2 बजे से 3 बजे तक एक घंटे के लिए चक्का जाम किया। बिहार के विपक्षी दलों राजद, कांग्रेस सहित वामपंथी दलों ने कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसान संगठनों के चक्का जाम करने के फैसले को अपना समर्थन दिया था। बिहार राज्य किसान सभा के बैनर तले विभिन्न किसान संगठनों और विपक्षी दलों ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वे अपने चक्का जाम के दौरान इंटरमीडियट परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों के लिए किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं करेंगे। इसी कारण से उन्होंने अपना चक्का जाम एक घंटे के लिए ही करने का निर्णय किया था। बिहार में वाम दलों सहित विपक्षी दलों ने 30 जनवरी को इस मुद्दे पर किसानों के साथ एकजुटता जताने के लिए राज्य भर में मानव श्रृंखला बनाई थी।
केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान संगठनों के तीन घंटे के ‘चक्का जाम’ के आह्वान पर शनिवार को गोहाना क्षेत्र में छह जगहों पर मार्ग को शांतिपूर्ण तरीके से जाम किया गया। चक्का जाम का समर्थन करने के लिए जन संघर्ष मंच हरियाणा, मेहनतकश किसान मजदूर संगठन व समता मूलक महिला संगठन से जुड़े कार्यकर्ता पहुंचे। मंच के प्रांतीय सलाहकार एवं संस्थापक डॉ. सी डी शर्मा व संगठन की प्रदेश संयोजिका डॉ. सुनीता त्यागी ने कहा कि यह तीनों कृषि कानून किसानों के साथ ही पूरी जनता के विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार इन कानूनों को लागू करने पर जोर दे रही है और लगातार लंबी मांग के बाद भी इन्हें निरस्त नहीं किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इन कानूनों को लागू करके चंद पूंजीपतियों को सरकार फायदा पहुंचाना चाहती है। उन्होंने कहा कि तीनों संगठन किसानों के साथ हैं और केंद्र व प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाए।
किसान नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी दो अक्टूबर तक दिल्ली की सीमाओं पर बैठे रहेंगे और मांगों पर कोई समझौता नहीं होगा। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता ने कहा कि सरकार द्वारा विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने वाला कानून बनाने के बाद ही किसान घर लौटेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हम दो अक्टूबर तक यहां बैठेंगे।’’ गत नवम्बर से दिल्ली-मेरठ राजमार्ग के एक हिस्से पर अपने समर्थकों के साथ आंदोलन कर रहे टिकैत ने कहा, ‘‘अगर सरकार यह समझ रही है, तो किसानों से बात करें। एमएसपी पर एक कानून बनाएं, तीन कानूनों को वापस लें, उसके बाद ही किसान अपने घरों को लौटेंगे।’’
वहीं, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार बड़े खुले मन से इसके समाधान में लगी हुई है, जो भी कानून बने हैं वो किसान हित में हैं। विडंबना ये है कि इन्हीं कानूनों को बनाने के लिए पिछली सरकारें भी बहस करती रहीं और अब उन मुद्दों पर आपत्ति जताई जा रही है जो इनमें हैं ही नहीं। उधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है- सरकार कृषि क़ानूनों को वापस ले और MSP पर क़ानून बनाए नहीं तो आंदोलन जारी रहेगा। हम पूरे देश में यात्राएं करेंगे और पूरे देश में आंदोलन होगा।
प्रदर्शनकारी किसानों ने शनिवार को तीन घंटे के 'चक्का जाम' आंदोलन के दौरान पंजाब और हरियाणा में किसानों ने सडक़ों के बीचों बीच अपनी ट्रैक्टर ट्रॉलियां खड़ी कर दीं और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कई स्थानों पर प्रदर्शन में महिलाओं की भी अच्छी खासी संख्या में भागीदारी रही। केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने दोपहर 12 बजे से अपराह्न तीन बजे तक राष्ट्रव्यापी ‘‘चक्का जाम’’ करने का आह्वान किया था।
प्रदर्शन स्थलों के आसपास के इलाकों में इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगाये जाने, अधिकारियों द्वारा कथित रूप से प्रताड़ित किये जाने और अन्य मुद्दों को लेकर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए तीन घंटे के चक्का जाम का एलान किया गया था। किसान नेताओं ने दावा किया कि तीन घंटे का उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा।
किसान नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी दो अक्टूबर तक दिल्ली की सीमाओं पर बैठे रहेंगे। गत नवम्बर से दिल्ली-मेरठ राजमार्ग के एक हिस्से पर अपने समर्थकों के साथ आंदोलन कर रहे भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत ने कहा, ‘‘हम दो अक्टूबर तक यहां बैठेंगे।’’
प्रेस से बातचीत करते हुए, उन्होंने दावा किया कि शनिवार को दोपहर 12 बजे से अपराह्र तीन बजे के लिए घोषित ‘‘चक्का जाम’’ के दौरान कुछ ‘‘शरारती तत्वों द्वारा शांति भंग करने की कोशिश’’ किये जाने के बारे में कुछ सूचनाएं मिली थीं। टिकैत (51) ने कहा, ‘‘इन सूचनाओं के कारण, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में ‘चक्का जाम’ नहीं करने का फैसला लिया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी खेती की जमीन को नहीं छू सकता है, किसान इसकी रक्षा करेंगे। किसानों और सैनिकों दोनों को इसके लिए आगे आना चाहिए।’’
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को कहा कि अमेरिका में स्थित ‘जस्टिस फॉर सिख्स’ जैसे संगठन और पाकिस्तान के लगभग 300 ट्विटर हैंडल किसानों के बीच गुस्सा भड़का रहे हैं। उन्होंने तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे लोगों को इस बात को साबित करने की चुनौती दी कि ये कानून किसानों के लिए किस तरह से हानिकारक हैं।
रावत ने कहा कि जो लोग किसान आंदोलन के पीछे हैं, वे देश को तोड़ना चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि नए कृषि कानूनों ने पारंपरिक मंडियों के अलावा किसानों को अपनी उपज बेचने की असली आजादी दी है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करनेवालों को नुकसान होगा, अगर उन्हें यह साबित करने की चुनौती दी जाए कि ये कानून किसानों के लिए किस तरह हानिकारक हैं।’’
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों द्वारा बुलाए गए ‘‘चक्का जाम’’ के तहत महाराष्ट्र के सतारा जिले के कराड शहर में शनिवार को ‘‘रास्ता रोको’’ का आयोजन किया गया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि कराड में कोल्हापुर नाका पर दोपहर के समय व्यस्त सड़क पर प्रदर्शन करने के चलते पुलिस ने कम से कम 40 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया, जिनमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण की पत्नी सत्वशीला चव्हाण भी शामिल रहीं। हालांकि, बाद में सभी को रिहा कर दिया गया।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों द्वारा घोषित 'चक्का जाम' के दौरान शनिवार को मंडी हाउस और आटीओ समेत दिल्ली मेट्रो के 10 प्रमुख मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार बंद रहे और अपराह्न तीन बजे प्रदर्शन खत्म होने के बाद उन्हें खोल दिया गया। डीएमआरसी ने शाम को ट्वीट किया कि 'चक्का जाम' के मद्देनजर बंद किए गए सभी 10 मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार फिर से खोल दिए गए हैं और सामान्य सेवा फिर से शुरू कर दी गई है।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों द्वारा शनिवार को आहूत 'चक्काजाम' के दौरान किसानों व अन्य संगठनों ने जिले में 51 स्थानों पर राष्ट्रीय, राज्य राजमार्गों एवं स्थानीय मार्गों पर जाम लगाया। इसके चलते जींद-रोहतक, जींद-पटियाला, जींद-कैथल, जींद-करनाल, जींद-सफीदों, असंध-पानीपत, जींद-हिसार, जींद-हिसार, जींद-बरवाला, नरवाना-टोहाना, जींद-गोहाना मार्ग तीन घंटे के लिए बाधित रहे।
प्रदर्शनकारियों ने एसपी आवास के सामने सफीदों बाईपास पर भी जाम लगाया। किसानों ने सड़कों पर बैठकर धरना दिया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। तीन घंटे के चक्काजाम के कारण काफी संख्या में वाहन राष्ट्रीय, राज्य राजमार्गों एवं स्थानीय मार्गों पर फंस गए। इसके चलते वाहन चालकों तथा यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के 'चक्का जाम' के आह्वान के समर्थन में कथित रूप से प्रदर्शन करने के लिए शनिवार को मध्य दिल्ली के शहीदी पार्क के पास 50 व्यक्तियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। किसान संगठनों ने अपने आंदोलन स्थलों के पास के क्षेत्रों में इंटरनेट पर रोक लगाये जाने, अधिकारियों द्वारा कथित रूप से उन्हें प्रताड़ित किये जाने और अन्य मुद्दों को लेकर छह फरवरी को देशव्यापी 'चक्का जाम' की घोषणा की थी जिस दौरान उन्होंने दोपहर 12 बजे से अपराह्न तीन बजे के बीच राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को अवरुद्ध करने की बात कही थी।
तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को कहा कि 'चक्का जाम' के दौरान प्रदर्शनकारी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सड़कों को अवरुद्ध नहीं करेंगे। मोर्चा ने साथ ही यह भी कहा था कि प्रदर्शनकारी देश में दोपहर 12 बजे से अपराह्न तीन बजे के बीच तीन घंटे के लिए राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को अवरुद्ध करेंगे लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से।
गृह मंत्रालय ने दिल्ली की सिंघू, गाजीपुर और टीकरी सीमाओं पर इंटरनेट सेवाओं को किसानों के ‘चक्का जाम’ आह्वान के मद्देनजर शनिवार की रात 12 बजे तक निलंबित करने का आदेश दिया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर किसान दिल्ली के सिंघू, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि इन तीन विरोध स्थलों के अलावा इंटरनेट सेवाएं छह फरवरी को 23:59 बजे तक इनके आसपास के क्षेत्रों में भी निलंबित रहेंगी। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकालीन या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के तहत सार्वजनिक सुरक्षा को बनाये रखने के लिए यह निर्णय लिया गया है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि शनिवार को किसान यूनियनों के ‘चक्का जाम’ के आह्वान के मद्देनजर इंटरनेट सेवाएं निलंबित की गई हैं।
केंद्र के विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध करते हुए और उन्हें वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली में धरने पर बैठे कृषकों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करते हुए कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में शनिवार को किसानों ने राजमार्गों को जाम कर दिया।
कुरुबुरू शांताकुमार के नेतृत्व में विभिन्न किसान संगठनों के आह्वान पर किसान राज्य में बेंगलुरु आने जाने वाले राजमार्गों पर उमड़ पड़े और उन्होंने उन्हें जाम कर दिया। कुछ कन्नड़ समर्थक संगठन प्रदर्शनकारियों के समर्थन के सामने आ गये हैं और उन्होंने राज्य में प्रदर्शन किया।
कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक चलने वाला चक्का जाम खत्म हो गया। किसानों नेताओं ने चक्का जाम खत्म किए जाने का ऐलान किया। इस दौरान जम्मू-कश्मीर से लेकर कर्नाटक तक किसानों का प्रदर्शन और चक्का जाम का असर देखने को मिला।
कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक चलने वाला चक्का जाम खत्म हो गया। किसानों नेताओं ने चक्का जाम खत्म किए जाने का ऐलान किया। इस दौरान जम्मू-कश्मीर से लेकर कर्नाटक तक किसानों का प्रदर्शन और चक्का जाम का असर देखने को मिला। क
दिल्ली पुलिस ने यूपी और दिल्ली के बीच किसानों के प्रदर्शनस्थल- गाजीपुर बॉर्डर का एक एरियल फुटेज जारी किया है। इसमें साफ दिख रहा है कि पुलिस ने चक्का जाम में शामिल प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए मजबूत सुरक्षा व्यवस्था बिठाई है।
कृषि कानून के खिलाफ उत्तर भारत के साथ मध्य और दक्षिण भारत में भी किसानों ने चक्का जाम में हिस्सा लिया है। तेलंगाना में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी हैदराबाद के बाहर हाईवे पर बैठ गए। हालांकि, बाद में पुलिस ने उन्हें रास्ते से हटा दिया।
उत्तर प्रदेश में चक्का जाम के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए यूनेशनल हाईवे और राज्यों के हाईवे पर पीएसी की 144 कंपनियां तैनात कर दी गई हैं। इसके अलावा सीनियर अफसरों के साथ पैरामिलिट्री की भी छह कंपनियां भी लगाई गई हैं। यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने कहा कि पुलिस के जवान ड्रोन्स और पैदल ही जगहों की निगरानी कर रहे हैं। सभी चीजों की रिकॉर्डिंग भी की जा रही है।
कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाया गया तीन घंटे का चक्का जाम पंजाब में अधिककत जगहों पर सफल होता नजर आ रहा है। यहां संगरूर में लेहरागाग-जाखल हाईवे पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी बैठे नजर आए। वहीं, मूनक-टोहाना हाईवे पर महिलाओं ने चक्का जाम की कमान संभाल ली और धरने पर बैठ गईं।
किसानों की ओर से किए जा रहे चक्का जाम का असर अब जम्मू-कश्मीर में भी दिख रहा है। यहां किसान संगठनों ने जम्मू-पठानकोट हाईवे को जाम कर दिया। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम केंद्र से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हैं। हम दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों का भी समर्थन करते हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ बुलाए गए चक्का जाम की लपटें कर्नाटक तक पहुंची हैं। बेंगलुरु में तो कई प्रदर्शनकारी येलाहांका पुलिस स्टेशन के बाहर ही तीनों कानूनों का विरोध करने के लिए बैठ गए। इसके बाद पुलिस को उन्हें हिरासत में लेकर प्रदर्शनस्थल से हटाना पड़ा। इस दौरान पुलिस स्टेशन के पास भीड़ जमी रही।
किसान संगठनों द्वारा किए जा रहे चक्का जाम का असर अब हरियाणा और राजस्थान में दिखने लगा है। यहां प्रदर्शनकारियों ने शाहजहांपुर बॉर्डर के करीब राजस्थान-हरियाणा नेशनल हाईवे ब्लॉक कर दिया। बता दें कि किसान संगठनों ने 12 बजे से 3 बजे तक चक्का जाम बुलाया है।
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को अब कांग्रेस और राकांपा का साथ मिलेगा। आज राष्ट्रव्यापी चक्का जाम में मुंबई में राकांपा नेता और कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक 4 बजे से शाम 6 बजे तक कुर्ला के उपनगरीय इलाके में होने वाले चक्का जाम विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।
देशभर में किसानों द्वारा किए जाने वाले चक्का जाम के बीच हरियाणा पुलिस अब हाई-अलर्ट पर है। हरियाणा के एडिशनल डीजीपी नवदीप सिंह विर्क ने सभी जिलों में पुलिस को प्रदर्शनकारियों से निपटने के इंतजाम तैयार रखने के लिए कहा है, ताकि हिंसा न होने दी जाए। बता दें कि हरियाणा में बंद का सबसे ज्यादा असर होने का अनुमान है।
किसानों के चक्काजाम के मद्देनजर दिल्ली-NCR में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बलों (CRPF) की 31 कंपनियों की तैनाती 2 हफ्ते के लिए और बढ़ा दी गई है। दिल्ली पुलिस भी अलर्ट है। पुलिस 26 जनवरी को हुई हिंसा के मद्देनजर ज्यादा सावधानी बरत रही है। मेट्रो स्टेशन के अधिकारियों से भी दिल्ली पुलिस ने संपर्क किया है। आज मंडी हाउस, आईटीओ और दिल्ली गेट के प्रवेश और निकास द्वार बंद किए गए हैं।
राजस्थान के शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानों की तरफ से किए जा रहे चक्का जाम का असर अभी से नजर आने लगा है। यहां 4 किलोमीटर लंबा जाम लग गया है। साथ ही बता दें कि चक्का जाम के चलते शाहजहांपुर बॉर्डर (दिल्ली-राजस्थान बॉर्डर) पर बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं।
किसानों की ओर से बुलाए गए चक्का जाम में किसी भी तरह की हिंसा से निपटने के लिए दिल्ली पुलिस ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर तो पुलिस ने पानी की बौछार के लिए वॉटर कैनन जुटा ली हैं। इसके अलावा कंटीले तारों वाले बैरिकेड्स भी लगाए गए हैं, ताकि प्रदर्शनकारियों को रोका जा सके। पुलिस लगातार इन जगहों पर निगरानी रख रही है।
किसानों की ओर से किए गए देशव्यापी चक्का जाम के ऐलान के बाद दिल्ली में पुलिस ने कड़ा पहरा बिठा रखा है। पुलिसकर्मी इस मौके पर दिल्ली के सभी बॉर्डरों पर तैनात नजर आए। गाजियाबाद से लगे लोनी बॉर्डर पर भी पुलिसकर्मियों ने ड्रोन के जरिए स्थिति का जायजा लिया।
कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध जारी है। इस बीच किसानों ने शनिवार को देशभर में चक्का जाम करने का ऐलान किया है। इस ऐलान के मद्देनजर अलग-अलग राज्य की सरकारों ने भी कमर कस ली है और सुरक्षा के इंतजाम चाक-चौबंद करने शुरू कर दिए हैं। इस बीच संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने भारतीय अधिकारियों से आंदोलनकारी किसानों के प्रति ज्यादा से ज्यादा संयम बरतने की अपील की है। पढ़ें पूरी खबर...
26 जनवरी की किसानों की ट्रैक्टर परेड में हिंसा भड़काने का आरोपी लक्खा सिधाना किसानों के देशव्यापी चक्काजाम से पहले पंजाब से दिल्ली लौट आया। लक्खा ने शुक्रवार शाम सिंघु बॉर्डर से ही सोशल मीडिया पर लाइव किया। उसने कहा कि पंजाब को ही इस किसान आंदोलन की अगुआई करनी चाहिए। उसने किसान नेताओं से भी अपील की है कि किसी को भी 32 जत्थेबंदियों की कमेटी से बाहर ना किया जाए। सिधाना पर ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर तिरंगे के अपमान का भी आरोप है। उस पर एक लाख रुपए का इनाम है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को होने वाले देशव्यापी चक्का-जाम के लिए कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं। इनके तहत प्रदर्शन में शामिल किसानों को किसी भी अधिकारी, कर्मचारी या आम आदमी से टकराव नहीं लेना है। इसके अलावा स्कूल बसें, एंबुलेंस न रोकने और दिल्ली में एंट्री न करने की बात भी कही गई है।