Shaheed Diwas: पाकिस्तान के लाहौर में बुधवार को नागरिक समाज ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि दी। लोगों ने लाहौर के शादमान चौक पर तीनों शहीदों को पुष्जांपलि अर्पित की, जहां उन्हें 23 मार्च, 1931 को फांसी दी गई थी। इस दौरान मौजूद लोगों ने उस स्थान पर तीनों शहीदों को सलाम किया, जहां उन्हें फांसी दी गई थी। इस कार्यक्रम का आयोजन पाकिस्तान के भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन द्वारा किया गया और कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा चाक-चौबंद रही क्योंकि धार्मिक चरमपंथियों की ‘धमकी’ को ध्यान में रखते हुए लाहौर उच्च न्यायालय ने कड़ी सुरक्षा के निर्देश दिए थे।
इस बीच, पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने भगत सिंह की पुण्यतिथि पर बुधवार को स्वतंत्रता सेनानी की याद में अपने निर्वाचन क्षेत्र में पांच पुस्तकालय स्थापित करने की घोषणा की। ये पुस्तकालय कंप्यूटर और वाई-फाई सुविधा से लैस और एक समय में 50 लोगों के बैठने की क्षमता वाले होंगे। ये सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक खुले रहेंगे। बयान के मुताबिक, पुस्तकालयों को खोले जाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
वहीं, हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने उचाना में शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 33 फुट उंची प्रतिमा लगवाने का वादा किया और कहा कि सरकारी नौकरियों की ए तथा बी श्रेणी में खिलाडियों के लिए तीन प्रतिशत आरक्षण को पुन:बहाल कराया जाएगा। शहीद दिवस के अवसर पर बुधवार को उचाना के शिवानिया पब्लिक स्कूल में आयोजित मैराथन को हरी झंडी दिखाने के बाद चौटाला लोगों को संबोधित कर रहे थे।
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में बिप्लोबी भारत गैलरी का उद्घाटन किया। अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान की गाथा देश के बच्चे-बच्चे की जुबान पर है। हम सबको इन वीरों की गाथाएं, देश के लिए दिन रात मेहनत करने के लिए प्रेरित करती हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अनुसार, बिप्लोबी भारत गैलरी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के योगदान को दर्शाती है और 1947 तक की घटनाओं का समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है।
उधर, पंजाब में एंटी करप्शन हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया गया। आप नेता और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मौके पर कहा कि अफसर हो या फिर मंत्री कोई भी भ्रष्टाचार के मामले में अगर दोषी पाया जाता है, तो वह बख्शा नहीं जाएगा। इस बीच, दिल्ली के सीएम और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा है- भगत सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए पंजाब सीएम ने उनके गांव खटकड़ कलां में शपथ ली। मैं भी बीजेपी से गुजारिश करूंगा कि वह अपने दफ्तरों में बाबा साहब और भगत सिंह के फोटो लगाए।
Bhagat Singh Shaheed Diwas Live Updates:
ऐसे मिले थे सुखदेव और भगतसिंह
सुखदेव का पूरा नाम सुखदेव थापर था। लायलपुर के सनातन धर्म हाईस्कूल से मैट्रिक पास कर सुखदेव ने लाहौर के नेशनल कालेज में प्रवेश लिया। यहां पर सुखदेव की भगत सिंह से भेंट हुई। दोनों की विचारधारा बिल्कुल एक सी थी इसलिए जल्द ही दोनों के बीच बहुत गहरी दोस्ती हो गई। दोनों अक्सर देश की तत्कालीन समस्याओं पर लंबी-लंबी वार्तालाप किया करते थे। दोनों ही इतिहास के प्राध्यापक जयचंद्र के प्रिय छात्र थे।
मरते दम तक पेश की थी दोस्ती की मिसाल
23 मार्च 1931 को जब भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जा रही थी तो जेलर ने उनसे उनकी अंतिम इच्छा पूछी थी। तब भगत सिंह ने अपनी अंतिम इच्छा जाहिर कर दोस्ती की अलग ही मिसाल पेश की। उन्होंने जेलर से कहा कि उन तीनों के हाथ खोल दिए जाए ताकि वे गले मिल सकें। हाथ खोलने पर तीनों मित्र जी भर के गले लगे और उसके बाद हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए।
तीनों में थे अलग-अलग गुण
भगत सिंह अपने जीवन में क्रांतिकारी होने के साथ ही एक अच्छे वक्ता, पाठक व लेखक भी थे। उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखा व संपादन भी किया। वहीं सुखदेव भगतसिंह से मिलने से पहले शाम को गली- मोहल्ले में खेलने वाले वे बच्चे जिन्हें सब अस्पृश्य कहते थे, उन्हें शिक्षा प्रदान करते थे। राजगुरु के बारे में कहा जाता है कि वे एक बहुत अच्छे निशानेबाज हुआ करते थे।
बच्चों के खेलने के लिए नहीं है कोई मैदान: सरपंच कुलविंदर कौर
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़कलां में सरकार ने 18 करोड़ रुपये में म्यूजियम बनाया है। इसके अलावा गांव में एक आदर्श स्कूल बनाया गया है। गांव की स्ट्रीट लाइट सोलर से चलने वाली हैं और शहीद के पैतृक घर से आगे एक शानदार पार्क बनाया गया है। गांव की सरपंच कुलविंदर कौर ने बताया कि गंदे पानी की निकासी का कोई प्रबंध नहीं है और खेल का मैदान भी नहीं है। उन्होंने कहा कि नई सरकार से उन्हें उम्मीद है कि ये दोनों मुद्दों को पहल के आधार पर हल किया जाएगा।
1971 के युद्ध में पाक सेना उखाड़कर ले गई थी शहीदों के बुत्त
वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाक सेना ने हुसैनीवाला सीमा से सटे कई गांवों पर कब्जा कर लिया था। शहीदी स्मारक भी उनके कब्जे में आ गया था। जबकि भारतीय सेना ने फाजिल्का की तरफ पाकिस्तान के कई गांव अपने कब्जे में ले लिए थे। दोनों देशों ने बीच एक समझौते के तहत एक-दूसरे के इलाके छोड़े तो पाक सेना शहीद भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु के तांबे के बुत्त उखाड़ कर ले गई थी। जो कई साल बाद पाक ने भारत को लौटाए थे।
युवाओं में समाज परिवर्तन की सोच को जिंदा रखना ही मकसद
जालंधर में फैन भगत सिंह नाम का क्लब चलाने वाले मुनीष राजपूत का कहना है कि पंजाब का युवा हताश है लेकिन इस बात का गर्व है कि जब भी शहीद भगत सिंह की तस्वीर व बुत आगे आता है तो नौजवान जोशीला हो जाता है। उनका क्लब युवाओं को शहीद भगत सिंह की विचारधारा से जोड़ता है।
निडर होकर आदर्शों पर चलने की प्रेरणा मिली: अभय
शहीद भगत सिंह से हमें सच्चाई और आदर्शों पर निडर होकर चलने की प्रेरणा मिली है। यह कहना है वर्ल्ड डोनर्स सोसायटी के प्रधान अभय महाजन का। अभय ने बताया कि शहीदों के दर्शाए मार्ग से प्रेरित होकर उन्होंने खूनदान सोसायटी का गठन किया। उनकी सोसायटी अभी तक करीब 70 खूनदान कैंप लगा चुकी है और सोसायटी में करीब 500 रक्तदाता जुड़े हैं।
पंजाब हरियावल लहर का किया गठन
पंजाब हरियावल लहर के वालंटरियर मनीष कुमार का कहना है कि भगत सिंह के जीवन से उन्हें काफी प्रेरणा मिली और उन्होंने खुद का लक्ष्य वातावरण की संभाल पर केंद्रित किया। जिसके चलते उनकी ओर से पंजाब हरियावल लहर का गठन कर वालंटियर के तौर पर पौधारोपण का काम शुरू किया गया।
पीएमओ ने कहा, "गैलरी स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के योगदान और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के लिए उनके सशस्त्र प्रतिरोध को प्रदर्शित करती है। अक्सर इस पहलू को स्वतंत्रता आंदोलन की मुख्यधारा के आख्यान में उचित स्थान नहीं जाता है। इस नई गैलरी का उद्देश्य 1947 तक की घटनाओं का समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना और क्रांतिकारियों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना है।"
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अनुसार, बिप्लोबी भारत गैलरी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के योगदान को दर्शाती है और 1947 तक की घटनाओं का समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है।
शहीद दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में बिप्लोबी भारत गैलरी का उद्घाटन किया। अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान की गाथा देश के बच्चे-बच्चे की जुबान पर है। हम सबको इन वीरों की गाथाएं, देश के लिए दिन रात मेहनत करने के लिए प्रेरित करती हैं।
गौतम गंभीर ने भगत सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "भगत सिंह सिर्फ एक नाम नहीं हैं, वह एक विचार, एक भावना हैं। आज हम पूर्वी दिल्ली में पहली #shaheedbhagatsinghjanlibrary लॉन्च कर रहे हैं, जहां युवाओं को विश्व स्तर की किताबें और कंप्यूटर मुफ्त में मिलेंगे!"
भगत सिंह को उनके शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि देते हुए पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने बुधवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र में पांच पब्लिक लाइब्रेरी खोलने की घोषणा की। इनका नाम शहीद भगत सिंह जन लाइब्रेरी होगा। यहां 50 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। गंभीर के कार्यालय के अनुसार पहले चरण में पांच लाइब्रेरी आनंद विहार, शाहदरा, त्रिलोकपुरी और मयूर विहार में बनेंगी, जिसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है। इनमें से एक की आज शुरुआत हुई।
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को सांसदों से अपील की कि वे लोगों को सरदार भगत, राजगुरु और सुखदेव की सहयोग, एकता और बंधुत्व के अमूल्य योगदान की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए जागरूक करें। उन्होंने कहा कि आज हम जिस स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं, वह हमारे समाज के सभी वर्गों के सम्मिलित प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने कहा, "जनता की ऊर्जा हमारे देश से औपनिवेशिक सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रमुख तत्व थी।"
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को ‘शहीद दिवस’ पर स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह को यहां उनके पुश्तैनी गांव खटकड़ कलां में भावभीनी श्रद्धांजलि दी। मान ने शहीद भगत सिंह के साथ फांसी के फंदे को चूमने वाले वीर सपूतों- सुखदेव और राजगुरु को भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
बता दें कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर षड्यंत्र मामले में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद आज ही के दिन अंग्रेजी हुकूमत द्वारा फांसी पर लटका दिया गया था। इसलिए, उनकी शहादत को नमन करने लिए 23 मार्च को ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
आज (23 मार्च) शहीदी दिवस है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के विचार हमेशा अमर रहेंगे। अन्याय के ख़िलाफ़ जब-जब कोई आवाज़ उठेगी, तब उस आवाज़ में इन शहीदों का अक्स होगा। जिस दिल में देश के लिए मर-मिटने का जज़्बा होगा, उस दिल में इन तीन वीरों का नाम होगा।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है- मैं आज एंटी करप्शन एक्शन लाइन जारी कर रहा हूं। अगर आपसे कोई रिश्वत मांगता है तो मना मत करो, उसकी वीडियो बनाकर 9501200200 पर भेज दो। हमार स्टाफ निष्पक्ष जांच करेगा और दोषी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
संसद के सेंट्रल हाल की गैलरी में भगत सिंह की तरह चंद्रशेखर आजाद और मास्टर दा सूर्य सेन की तस्वीर को जगह नहीं मिली, जबकि इनसे कम मशहूर क्रांतिकारी हेमु कलानी (20 साल के होने से पहले ही 1943 में मार दिए गए थे) को 2003 में जगह मिली थी। ऐसा तब के गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी के निजी रुझान की वजह से हुआ था।
वैसे, साल 1929 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने उसी कॉम्पलेक्स में बम फेंके थे। उन्होंने इस दौरान केंद्रीय असेंबली को लेकर कहा था कि वह "बहरी हो चुकी है, इसलिए हम अपनी आवाज सुनाने के लिए" ऐसा किया।
भगत सिंह की जान न बचा पाने की वजह से कभी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को काले फूल दिए गए थे। ये फूल उन्हें नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं की ओर से दिए गए थे।
साल 1970 में तब के सीएम ज्ञानी जैल सिंह ने भगत सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया था। नवांशहर (अब शहीद भगत सिंह नगर) में तब उनके भाई कलतार सिंह भी मौजूद थे और मूर्ति में सिंह को टोपी पहने हुए दिखाया गया था। हालांकि, बाद में इस प्रतिमा को बदल गया था और नई प्रतिमा में उन्हें पगड़ी के साथ दर्शाया गया था।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है- मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर स्वाधीनता संग्राम की लौ को हर देशवासी तक पहुंचाने वाले भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु के बलिदान दिवस दिवस पर उन्हें शत्-शत् नमन। कृतज्ञ राष्ट्र सदैव इन वीर बलिदानियों का ऋणी रहेगा।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता और किसान आंदोलन के दौरान खासा सक्रिय रहे राकेश टिकैत ने भी शहीद-ए-आजम को याद किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा- भारत मां के वीर सपूतों जिन्होंने देश की आज़ादी में अपने प्राणों की आहूति दी, उन शहीदे आज़म सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को मेरा चरण स्पर्श और शत शत नमन।
शहीदी दिवस पर कांग्रेस पार्टी की ओर से कहा गया- व्यक्तियों को कुचलने से विचारों की हत्या नहीं की जा सकती, एक विचार परिवर्तन ला सकता है। उसी परिवर्तन के लिए वैचारिक लड़ाई जारी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ‘शहीद दिवस’ के अवसर पर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि देश के लिए मर मिटने का उनका जज्बा देशवासियों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।
मोदी ने ट्वीट में कहा, ‘‘शहीद दिवस पर भारत माता के अमर सपूत वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को कोटि-कोटि नमन। मातृभूमि के लिए मर मिटने का उनका जज्बा देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा। जय हिंद!’’
शहीद दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री बुधवार शाम वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में विप्लवी भारत गैलरी का उद्घाटन करेंगे। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री एक सभा को संबोधित भी करेंगे।
सरकार ने जब भगत सिंह के शताब्दी वर्ष (2007-8) पर पांच रुपए और 100 रुपए के सिक्के जारी किए थे, तो उनमें शहीद क्रांतिकारी को टोपी पहने दिखाया गया था। पंजाब में अकाली दल के नेताओं ने इस बाबत विरोध जताया था और कहा था कि भगत सिंह के पगड़ी वाले रूप को चित्रित नहीं किया गया।
भगत सिंह की बायोग्राफी लिखने के लिए जितेंद्र नाथ सान्याल को दो साल की जेल काटनी पड़ी थी। लाहौर षडयंत्र मामले में वह बरी कर दिए गए थे और वह सिंह को निजी तौर पर जानते भी थे।
भगत सिंह को जब अंग्रेजों ने फांसी दी थी, वह तब 23 साल के थे। साल 1929 से 1931 के बीच उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, जबकि इसी दौरान भारत भर में कोर्ट में दिए उनके बयान (बेहतर जेल वाली स्थितियों से जुड़े) बड़े स्तर पर विभिन्न अखबारों में छप रहे थे। यहां तक कि उन्हें फांसी दिए जाने के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा।
संसद भवन कॉम्पलेक्स में साल 2008 में शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा लगाई गई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने तब इसका अनावरण किया था। हालांकि, इस मामले में क्रांतिकारी के परिवार की ओर से शिकायत की गई थी कि मूर्ति में जिस तरह से सिंह को दिखाया गया है, वह ठीक नहीं है।
यहां तक कि स्वतंत्रता सेनानियों ने भी उस प्रतिमा को लेकर आपत्ति जताई थी। पाकिस्तान की दिवंगत उर्दू शायर फहमीदा रियाज ने तो इस मसले पर एक कविता लिख कहा था कि उस प्रतिमा का जो चेहरा दर्शाया गया है, वह असली भगत सिंह का नहीं है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के शहीदी दिवस 23 मार्च को राजकीय अवकाश घोषित किया है। उन्होंने मंगलवार को पंजाब विधानसभा में यह घोषणा की। सदन ने विधानसभा में भगत सिंह, डॉ. बी आर आंबेडकर और पहले सिख शासक महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमाएं लगाने का प्रस्ताव भी पारित किया।
विधानसभा सत्र के समापन दिवस पर मान ने भगत सिंह के शहीदी दिवस पर राज्य में अवकाश घोषित करने का प्रस्ताव दिया। इस पर कांग्रेस विधायक अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने कहा कि अवकाश घोषित करने के बजाय यह अच्छा होगा अगर स्कूल, कॉलेज में छात्रों और कर्मचारियों को भगत सिंह के जीवन और बलिदान के बारे में बताया जाए।
देश और दुनिया के इतिहास में वैसे तो कई महत्वपूर्ण घटनाएं 23 मार्च की तारीख पर दर्ज हैं। पर क्रांतिकारी भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज इस दिन की सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान साल 1931 में क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च को फांसी दी गई थी।
दरअसल, इन तीनों (भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु) को लाहौर षड्यंत्र मामले में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद आज ही के दिन अंग्रेजी हुकूमत की ओर से फांसी पर लटका दिया गया था। ऐसे में उनकी शहादत को नमन करने लिए 23 मार्च को ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।