हमारी सेहत का ही नहीं हमारी उम्र का ताल्लुक भी हमारे खानपान और जीवन के तौर तरीकों से है। बढ़ती उम्र को थामने के लिए हो रही वैज्ञानिक खोजबीन में सबसे दमदार काम करने वाले जीववैज्ञानिक डेविड सिंकलियर ने ये बात पुख्ता तौर पर कही है कि इंसान को अपनी उम्र को बरकरार रखनी है तो जिस्म को लगातार ‘सरवाइवल मोड’ में रखना होगा। खाने के लिए जिस्म को तरसाना होगा ताकि उसे खाने की अहमियत का हमेशा ही अंदाज रहे। वैसे हकीकत यह है कि अन्न की बर्बादी में जहां शहर अव्वल हैं वहीं अन्न उगाने वाले किसान अपनी भूख के लिहाज से नहीं लेकिन अपनी आजीविका के लिए हमेशा ‘सरवाइवल मोड’ में रहता आया है।

स्वामी विवेकानंद ने राजपुताने में बिताए साल भर के दौर में युवाओं से किए एक संवाद में आजीविका के सवाल पर खेतीबारी को सबसे अच्छा पेशा कहा था। साथ ही वैज्ञाानिक और आधुनिक जानकारियों से किसान को जोड़ने के लिए पढ़े-लिखे तबकों को गांवों की ओर जाने की जरूरत भी बताई थी। आज किसान खुद-पढ़े लिखे हैं तो खुद की हिफाजत करने के लिए हर मोर्चे पर खड़े भी हैं। किसानों की समझ, परंपरा के साथ उनका गया अभ्यास आज नई और जरूरी जीवनशैली को आकार दे रहा है।