दिल्ली हिंसा के विरोध में भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने वाली बंगाली एक्टर सुभद्रा मुखर्जी ने कहा है कि वह उस पार्टी में नहीं रह सकती, जिसमें कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर जैसे नेता हैं। सुभद्रा मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने साल 2013 में बहुत ही उम्मीदों और आशावान होकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी, लेकिन हाल की घटनाओं से वह निराश हुई हैं। भाजपा अपनी विचारधारा से हट गई है।
रेडिफ डॉट कॉम के साथ बातचीत में सुभद्रा मुखर्जी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भ्रमजाल में फंस गई थी। मुखर्जी ने आरोप लगाया कि कानून के शासन का सम्मान नहीं किया जा रहा है। जब उनसे पूछा गया कि बंगाल में भाजपा मजबूत हो रही है, ऐसे वक्त में उन्होंने पार्टी क्यों छोड़ दी?
इसके जवाब में सुभद्रा मुखर्जी ने कहा कि देश में हिंदू-मुस्लिम का बंटवारा मुझे पसंद नहीं है। हमेशा राजनीति में धर्म का मुद्दा नहीं उठाया जा सकता। इसके अलावा एनपीआर और एनआरसी के मुद्दे पर जिस तरह से हंगामा हुआ, वो मुझे ठीक नहीं लगा।
मुखर्जी ने कहा कि दिल्ली दंगों और दिल्ली हाईकोर्ट के जज एस.मुरलीधर का जिस तरह से रातों-रात ट्रांसफर किया गया, उससे मुझे लगा कि यह भाजपा को अलविदा कहने का सही समय है।
प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी का विजन एक वैकल्पिक भारत का विजन है। मुझे लगता था कि वह पश्चिम बंगाल को एक बेहतर विजन देंगे, लेकिन उन्होंने हमें दिखाया कि ये सब सपना है, जो कभी पूरा नहीं हो सकता।
सुभद्रा मुखर्जी ने साल 2013 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। बंगाली अभिनेत्री ने कहा कि वो राजनीति के उस ब्रांड के साथ नहीं जुड़ी रह सकती, जहां लोगों को उनके धर्म के नाम पर आंका जाए। हालांकि सुभद्रा मुखर्जी के इस्तीफे पर पार्टी नेताओं ने कहा कि पार्टी ने कभी भी किसी भी मुद्दे पर अपनी विचारधारा से समझौता नहीं किया है।
मुखर्जी ने कहा कि भड़काऊ बयान देने वाले भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा और प्रवेश वर्मा को गिरफ्तार किया जाए। मुखर्जी ने वारिस पठान को भी भड़काऊ बयान देने के आरोप में जेल भेजने की मांग की।

