पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भीतरी और बाहरी के मुद्दे के केंद्र में आने के बाद अब तृणमूल कांग्रेस को गैर बंगाली मतदाताओं की चिंता सता रही है। टीएमसी नेताओं के मुताबिक बीजेपी भरपूर कोशिश कर रही है कि गैर बंगाली वोटरों को अपने साथ कर ले। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और रणनीतिकार ने बताया, ” हमें पता है कि बीजेपी पूरी कोशिश करेगी कि गैर बंगाली वोटरों को अपने साथ करे और बीजेपी कहेगी कि टीएमसी को गैर बंगाली वोटरों की परवाह नहीं है। पर इस चीज पर हम लोग काम कर रहे हैं। टीएमसी के लिए बंगाली की परिभाषा में वे सभी लोग हैं जो कि बंगाल में रह रहे हैं और बंगाल की संस्कृति को समझते हैं। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वे कहां से आते हैं। उन सभी का बंगाल में स्वागत है और आपको तृणमूल के अभियान में यह चीज नजर आएगी। जो लोग बंगाल की संस्कृति पर हमला कर रहे हैं और उसको समझते नहीं हैं वह बाहरी हैं।”
बता दें कि पिछले महीने दिसंबर में दिलीप घोष ने कहा था कि जो लोग बाहर से आए हैं उनका बंगाल के विकास में अहम योगदान है। उन्होंने टीएमसी पर बंटवारे की राजनीति करने का आरोप लगाया भी लगाया था। पार्टी नेताओं के मुताबिक राज्य में गैर बंगाली वोटरों का मत 15% है। यह कोलकाता में काफी असरदार भी है। कोलकाता में आधी आबादी गैर बंगाली वोटरों की है। कोलकाता में पड़ोसी राज्यों से बहुत से लोग काम करने आते हैं यहां रहने वाला मारवाड़ी समुदाय बहुत समृद्ध है और प्रभावशाली है।
माकपा के पोलित ब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम ने बताया कि टीएमसी और बीजेपी की राजनीति एक ही है। अगर आप टीएमसी का इतिहास देखें तो यह बीजेपी के साथ लंबे वक्त तक रही है। उनके बीच कोई वैचारिक मतभेद नहीं है। अब ये दोनों भीतरी और बाहरी की राजनीति कर रहे हैं। बांटने की राजनीति कर रहे हैं।
टीएमसी नेता सुखेंदु शेखर राय ने कहा यह गलत है कि हम बीजेपी को बाहरी कह रहे हैं। अगर बीजेपी की भाषा को देखें तो उनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ चुनाव जीतना है। वे बंगाल इसलिए नहीं आना चाहते हैं कि विकास करें और लोगों की भलाई करें। वह बाहुबलियों की भाषा बोलते हैं और हिंसा की स्थिति पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें बंगाल के गैर बंगाली लोगों पर गर्व है और बंगाल हमेशा एक मिनी इंडिया रहा है।