बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक युवक को प्री अरेस्ट बेल देने से इनकार कर दिया है। इस युवक पर आरोप है कि उसने एक एक्सप्रेस ट्रेन में 71 साल के एक बुजुर्ग की इस शक में बुरी तरह से पिटाई कर कि वो बीफ लेकर जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने युवक को प्री अरेस्ट बेल न देने का फैसला करते समय कहा कि वरिष्ठ नागरिक पर “बेरहमी से हमला” किया गया था।

जस्टिस आर एन लड्ढा द्वारा 18 अक्टूबर को दिए गए ऑर्डर में कहा गया है कि मामले की जांच अभी शुरुआती चरण में है, इसलिए आरोपी आकाश अव्हाण को हिरासत में लेकर जांच की जरूरत पड़ सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्री अरेस्ट बेल देने से जांच की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।

आरोपी ने क्या दलील दी?

कोर्ट में आरोपी की तरफ से कहा गया कि उसे डर है कि पुलिस उसे दोबारा गिरफ्तार कर सकती है क्योंकि पुलिस ने BNS के तहत शब्दों, हाव-भाव या वस्तुओं के माध्यम से जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और डकैती व गंभीर चोट पहुंचाने के नए आरोप जोड़े हैं।

इस घटना के बाद ठाणे पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने घटना को लेकर आकाश और अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इन सभी को बाद में बेल मिल गई थी। शिकायत के अनुसार, 71 वर्षीय बुजुर्ग कल्याण जा रहे थे। वो 28 अगस्त को धुले – छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस एक्सप्रेस ट्रेन में सवार थे।

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पीटीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि जब बुजुर्ग कल्याण स्टेशन पर उतरने वाले थे, तभी उनके साथी यात्रियों ने उनपर बीफ ले जाने का शक जताते हुए उन्हें रोका। ये बताने के बावजूद कि वो भैंस का मीट लेकर जा रहे हैं, जो बैन नहीं है, आरोपी उन्हें गालियां देने लगे और मारने लगे। पुलिस ने दावा किया कि आकाश अव्हाण ने अपने मोबाइल पर मारपीट की घटना रिकॉर्ड की।

हाईकोर्ट की एक जज की बेंच ने अपने ऑर्डर में कहा कि पीड़ित को आकाश अव्हाण सहित पांच से छह अज्ञात लोगों ने कथित बीफ के जार को लेकर पीटा। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह संकेत देने के लिए सामग्री मौजूद है कि आवेदक ने सूचनाकर्ता पर हमला किया और अपने मोबाइल फोन पर हमले को रिकॉर्ड किया।