उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हीटस्ट्रोक के चलते पिछले तीन दिनों में 54 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 400 लोग अस्पताल में भर्ती हैं। चिकित्सकों ने कहा कि यह मौतें अलग-अलग वजह से हुई हैं, लेकिन इसकी एक वजह हीटस्ट्रोक भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी के कारण अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या बढ़ रही है।
रिकॉर्ड के मुताबिक, 15 जून को 154 लोगों को बलिया जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 23 की मौत हो गई थी। 16 जून को 137 लोगों को भर्ती किया गया और 20 ने दम तोड़ दिया, जबकि 17 जून को 11 लोगों की मौत की सूचना मिली थी। मौतों के कारणों की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के निदेशक स्तर के दो अधिकारियों की अध्यक्षता में एक जांच समिति बलिया भेजी गई थी।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को पद से हटाया गया
इस बीच, बलिया जिला अस्पताल में “हीटस्ट्रोक” के कारण 34 लोगों की मौत होने की बात कहने के एक दिन बाद, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिवाकर सिंह को उनके पद से हटा दिया गया है।
जानिए यूपी के डिप्टी सीएम ने क्या कहा?
इस पूरे मामले पर यूपी के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने कहा, ‘बलिया में हुई घटना को समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया है। जिसे सरकार ने बहुत गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि निदेशक स्तर के दो वरिष्ठ चिकित्सकों को मौके पर भेजा गया है। वे सरकार को रिपोर्ट पेश करेंगे। सीएमएस (बलिया जिला अस्पताल) द्वारा लापरवाह बयान दिया गया था। इसलिए उनको तत्काल उनके पद से हटा दिया गया है।
जानिए सीएमएस ने अपने बयान में क्या कहा था?
शनिवार को पद से हटाए गए सीएमएस डॉ दिवाकर सिंह ने शुक्रवार शाम एक बयान में कहा कि लू लगने से 34 लोगों की मौत हुई है। सभी मृतक बुजुर्ग थे और उन्हें कोई बीमारी थी। उन्होंने कहा कि गर्मी के कारण मरीजों के रोग में इजाफा हुआ। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि यह सब तब हुआ जब उपचार की सभी व्यवस्था थी।
शनिवार को मीडिया से से बात करते हुए नवनियुक्त सीएमएस डॉ. एस के यादव ने कहा, ‘रिकॉर्ड के मुताबिक, 15 जून को कुल 154 लोगों को (अस्पताल में) भर्ती कराया गया था। उस दिन (15 जून) अलग-अलग कारणों से हुई मौतों की संख्या 23 थी। 16 जून को 137 लोग भर्ती हुए थे और उस दिन 20 मौतें हुई थीं। 17 जून को 11 मौतें दर्ज की गईं थीं।’
मौतों की संख्या में अचानक वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर, यादव ने कहा, “अलग-अलग कारण हैं। सभी प्रकार के रोगी हैं। मृतकों में बुखार, रक्तचाप और सांस लेने की समस्या वाले लोग थे। फिर, ज्यादा आयु वर्ग के रोगी थे। हर तरह के मरीज थे। तापमान 42-45 डिग्री सेल्सियस को छू रहा है। लोग हीट स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं।
अतिरिक्त स्वास्थ्य निदेशक ने अपने बयान में कहा-
अतिरिक्त स्वास्थ्य निदेशक (आजमगढ़ सर्कल) डॉ. ओपी तिवारी ने एक बयान में कहा, “मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है। रोगियों की संख्या रोज से अधिक है। अधिकांश मृतक 60 वर्ष से ऊपर के हैं। अभी, मैं कुछ नहीं कह सकता। लखनऊ से एक टीम इस मामले की जांच करने और कारणों का पता लगाने के लिए आ रही है। शायद यह एक ऐसी बीमारी है जिसे हम पहचान नहीं पाए हैं। जब मौसम चरम पर होता है, जैसे गर्मी और सर्दी में रक्तचाप के रोगियों में मौत और मधुमेह बढ़ जाता है। तापमान बढ़ गया है। शायद उसी का असर है कि ये बीमारियां और बढ़ सकती हैं।’
शनिवार को बलिया जिला अस्पताल का दौरा करने वाले डॉ तिवारी ने कहा, “मुझे किसी मरीज से यह शिकायत नहीं मिली है कि उसका इलाज ठीक से नहीं हो रहा है।”
