बेंगलुरु में विपक्षी दलों की 2 दिन की बैठक खत्म हुई। इस बैठक में शिवसेना (UBT) भी शामिल हुई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे खुद इस बैठक में शामिल होने के लिए बेंगलुरु पहुंचे। 2019 में शिवसेना ने बीजेपी के साथ अपनी दोस्ती तोड़ी थी और उसके बाद कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर महाराष्ट्र में सरकार बनाई। इसके बाद बड़ा सवाल उठने लगा कि कांग्रेस और शिवसेना एक साथ कैसे आ सकते हैं? लेकिन एक तथ्य है कि बीजेपी से दोस्ती के पहले शिवसेना ने कांग्रेस से भी दोस्ती की है।
शिवसेना ने पहली बार ठाणे नगर निगम का चुनाव लड़ा था
दरअसल जब शिवसेना की शुरुआत हुई थी तो उसे कम्युनिस्ट विरोधी पार्टी कहा जाता था। पहली बार शिवसेना ने ठाणे नगर निगम का चुनाव लड़ा था और पार्टी ने 40 में से 17 सीटों पर जीत हासिल की थी। शिवसेना का पहला गठबंधन प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के साथ हुआ था, लेकिन 1970 में गठबंधन टूट गया।
कांग्रेस से हुई शिवसेना की दोस्ती
इसके बाद 1973 में बंबई के नगर निकाय चुनाव हुए और इसके लिए शिवसेना ने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के साथ गठबंधन किया। इस चुनाव में शिवसेना को 39 सीटों पर जीत हासिल हुई। इसके बाद 1974 में मुंबई सेंट्रल सीट पर लोकसभा का उपचुनाव होना था। कांग्रेस पार्टी की लहर थी और शिवसेना ने उनका समर्थन कर दिया। हालांकि कांग्रेस चुनाव सीपीआई उम्मीदवार से हार गई लेकिन कांग्रेस और शिवसेना की दोस्ती यहीं से शुरू हो गई।
1977 में बीएमसी का चुनाव हुआ था और मेयर पद के लिए कांग्रेस ने मुरली देवड़ा को उम्मीदवार बनाया था। इस चुनाव में कांग्रेस को समर्थन की जरूरत थी और शिवसेना ने कांग्रेस उम्मीदवार मुरली देवड़ा का समर्थन कर दिया। इसके बाद 1977 में लोकसभा चुनाव हुए और आपातकाल के बाद पहली बार देश में चुनाव हो रहा था। इस चुनाव में भी शिवसेना ने कांग्रेस का समर्थन किया था। शिवसेना ने 1978 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का समर्थन किया हालांकि पार्टी ने कई सीटों पर अपने भी प्रत्याशी उतारे लेकिन एक पर भी जीत हासिल नहीं हुई।
1982 में दोनों हुए अलग
1980 तक शिवसेना और कांग्रेस के बीच दोस्ती बनी रही। शिवसेना लगातार हर चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देती रही। 1980 में कांग्रेस ने शिवसेना को इसका इनाम भी दिया और उसके तीन नेताओं को विधान परिषद में भेजा। कांग्रेस और शिवसेना के रिश्ते में दरार 1982 में आनी शुरू हुई, जब मुंबई में कपड़ा मिल के कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू किया। शिवसेना को लगा कि उसका जनाधार खिसक रहा है और उसने कांग्रेस का समर्थन करना बंद कर दिया। यहीं से शिवसेना और बीजेपी नजदीक आने लगे। फिर यह दोस्ती गठबंधन में बदल गई और उसके बाद बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा।