भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि लोभ, लालच और किसी कारणवश कोई हिंदू अगर मुसलिम या ईसाई हो गया और वह ‘घर वापसी’ करना चाहता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है और उन्हें मूल धर्म में आने की छूट मिलनी चाहिए।
हाल में आगरा में कई मुसलिम परिवारों के धर्मांतरण करने से छिड़ी बहस के बीच वैशाली जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन ‘धर्म जागरण मंच’ की ओर से आयोजित तीन दिवसीय संत समागम में हिस्सा लेने पहुंचे आदित्यनाथ ने पत्रकारों से कहा कि देश में आजादी के पूर्व और उसके बाद भी लोभ, लालच और दबाव से व्यापक स्तर पर हिंदुओं का धर्मांतरण हुआ है, लेकिन अगर कोई हिंदू किसी कारणवश मुसलिम या ईसाई हो गया था और ‘घर वापसी’ करना चाहता है तो वे उसका स्वागत करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि इस घर वापसी का विरोध छद्म धर्मनिरपेक्षता वाले कर रहे हैं जो उनकी हिंदू विरोधी सोच का प्रतीक है। उन्होंने ‘हिंदू एकता’ का आह्वान करते हुए कहा कि 1992 में एक बार हिंदू एकजुट हुए थे और नतीजे में बाबरी मस्जिद ध्वस्त हो गई थी।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद आदित्यनाथ ने यहां देशभर के 2200 मठों और मंदिरों के महंतों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें अगर विरोध करना है तो देश के अंदर बड़े पैमाने पर हो रहे धर्मांतरण का विरोध करना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार धर्मांतरण पर कड़ा कानून बनाने की पक्षधर है और इस पर कड़ा कानून बनना चाहिए। हम इस पर संसद में होने वाली चर्चा में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल हिंदुओं के धर्मांतरण पर खामोश रहते हैं पर जब कोई और हिंदू धर्म में धर्मांतरित होता है तो वे इसका विरोध शुरू कर देते हैं।
घंटे भर के अपने संबोधन में आदित्यनाथ ने ‘माला के साथ भाला’ का आह्वान करते हुए कहा कि अगर पंद्रह लाख की संख्या वाला संत समाज देश के छह लाख 23 हजार गांवों का भ्रमण करना शुरू कर दें तो मुट्ठी भर मिशनरी और मौलवी एक भी हिंदू को धर्मांतरित नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों ने कृष्ण के इस दर्शन को अपना लिया है कि दुष्टों को दंडित करना चाहिए भले ही वे आपके परिजन या रिश्तेदार ही क्यों न हों। पर हिंदू अब बहुत ‘मुलायम’ हो गए हैं और उन्होंने ईसा मसीह के इस दर्शन को अपना लिया है कि अगर कोई एक गाल पर चांटा मारे तो दूसरा गाल भी आगे कर दो। पर अब द्रोणाचार्य बनने का समय है जो शास्त्र व शस्त्र दोनों में निष्णात थे।
केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद बिहार में पहली बार इस संत समागम का आयोजन किया गया है। तीन दिन के इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री व पाटलीपुत्र से सांसद रामकृपाल यादव, वैशाली से लोजपा सांसद रामा किशोर सिंह व बिहार भाजपा अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह भी पहुंचे। आयोजन स्थल पर ‘संत समागम’ का स्वागत करने संबंधी लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान के भी पोस्टर लगाए गए थे।
समागम में एक प्रस्ताव पास कर धर्मांतरण का विरोध किया गया पर ‘जबरन धर्मांतरित हिंदुओं घर वापसी का स्वागत किया गया’। साथ ही इसमें कहा गया कि जहां-जहां हिंदुओं की संख्या घटी है, वहां राष्ट्रविरोधी गतिविधियां बढ़ी हैं। इसलिए राष्ट्र व संस्कृति की रक्षा के लिए धर्मांतरण पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। पर जो हिंदू मुसलमान या ईसाई बनने के बावजूद अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं, उनकी ‘घर वापसी’ का स्वागत है।