Baba Ramdev: एलोपैथी पर दिए गए विवादित बयान के मामले में योगगुरु स्वामी रामदेव को बड़ी राहत मिली है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने कोविड-19 महामारी के दौरान एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ योग गुरु रामदेव की कथित टिप्पणियों से संबंधित एक मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और आगे कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने बाबा रामदेव द्वारा एलोपैथी की आलोचना करने वाली कथित टिप्पणी पर दर्ज एक मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी है।

मेहता ने न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एस.सी. शर्मा की पीठ को बताया कि छत्तीसगढ़ और बिहार में जिन शिकायतों के कारण एफआईआर दर्ज की गईं, वे स्पष्ट रूप से प्रायोजित व्यक्तियों द्वारा दर्ज की गई थीं।

प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने की उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि यह प्रार्थना अब मान्य नहीं है, क्योंकि छत्तीसगढ़ का मामला बंद होने के बाद केवल बिहार का मामला ही बचा है।

रामदेव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि अगर शिकायतकर्ता विरोध याचिका दायर करें तो आपराधिक कार्यवाही फिर से शुरू की जा सकती है, लेकिन पीठ ने कहा कि कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी। उन्होंने अदालत से यह भी आग्रह किया कि मामले का निपटारा करने से पहले बिहार मामले की स्थिति का पता लगाया जाए। इसके साथ ही अदालत ने सुनवाई दिसंबर तक स्थगित कर दी।

दवे ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह अपने आदेश में एस.जी. की दलीलों को दर्ज करे, लेकिन पीठ ने इससे इनकार कर दिया। रामदेव के खिलाफ मामले कोविड-19 महामारी के दिनों के हैं, जब उन्होंने कथित तौर पर इलाज के लिए आधुनिक चिकित्सा पर निर्भर रहने के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणी की थी।

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इसके कारण भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की पटना और रायपुर शाखाओं ने कानूनी कार्यवाही शुरू की और शिकायत दर्ज कराई कि उनकी टिप्पणियों से कोविड नियंत्रण प्रोटोकॉल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।

आईएमए ने रामदेव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी कार्यवाही शुरू की, जिसमें उन पर भ्रामक विज्ञापन जारी करने और एलोपैथी का अपमान करने का आरोप लगाया गया। कार्यवाही के दौरान, पतंजलि आयुर्वेद, जिसके संस्थापक रामदेव हैं, उन्होने अदालत को आश्वासन दिया कि वह इस तरह के बयान देने या ऐसे विज्ञापन जारी करने से बचेंगे। लेकिन अगले दिन उन्होंने हरिद्वार में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें कथित तौर पर वचनबद्धता का उल्लंघन किया गया। इसके बाद शीर्ष अदालत ने रामदेव और पतंजलि के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण को वचनबद्धता का उल्लंघन करने के लिए अवमानना ​​नोटिस जारी किया।

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