आजम खान के साथ वक्त सितम करने से बाज नहीं आ रहा है। बीजेपी सरकार के साथ उनका पंगा कुछ यूं पड़ा कि दो साल से ज्यादा समय तक उनको जेल में रहना पड़ गया। सुप्रीम कोर्ट ने उनको बाहर निकाला तो भी राहत नहीं मिल सकी। 2019 के हेट स्पीच केस में रामपुर की एक अदालत ने उनको दो साल की सजा सुना दी। इस मामले में उनको जेल काटने के बाद विधायकी से भी हाथ धोना पड़ गया। छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर भी रोक लग गई। उप चुनाव में बीजेपी के आशीष सक्सेना ने ये सीट सपा से हथिया ली। तब कहीं जाकर कोर्ट को पता चला कि वो बेकसूर थे।
रामपुर के एडिशनल सेशन जज (MP/MLA) अमितवीर सिंह ने लोअर कोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें आजम खान को दो साल की सजा सुनाई गई थी। 27 अक्टूबर 2022 को एडिशन चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट निशांत मान-1 ने आजम को हेट स्पीच का दोषी माना था। आजम पर आरोप था कि 2019 के चुनाव के दौरान उन्होंने यूपी के सीएम योगी के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था। उसके बाद ये केस दर्ज हुआ। इस मामले में चुनाव अधिकारी अनिल कुमार चौहान ने शिकायत दर्ज कराई थी। उनका आरोप है कि आजम ने सीधे तौर पर अफसरों को धमकी दी थी।
टीम आजम बोली- फैसले को देखकर तैयार करेंग रणनीति
एडिशनल सेशन जज अमितवीर सिंह के फैसले के बाद टीम आजम खुश तो है लेकिन दुविधा में। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि फैसले पर वो जश्न मनाए या फिर जो कुछ चला गया उसे वापस लौटाने की रणनीति तैयार करें। आजम की कोर्ट में पैरवी करने वाले एडवोकेट जुबैर अहमद का कहना है कि फैसले की कॉपी को देखकर वो भविष्य की रणनीति तैयार करेंगे। उनका कहना है कि इस केस की वजह से आजम खान साहब को जेल भी जाना पड़ा। उनकी विधायकी भी चली गई। यहां तक कि मतदाता सूची से उनका नाम भी हटा दिया गया। अब हम देखेंगे कि आगे क्या हो सकता है।
आजम की सीट से बीजेपी के आशीष सक्सेना बन चुके हैं MLA
ध्यान रहे कि आजम को मिली सजा के बाद 8 दिसंबर को रामपुर सीट पर उप चुनाव हुआ था। सपा ने आजम के खासमखास आसिम रजा को मैदान में उतारा था। लेकिन बीजेपी के आशीष सक्सेना ने उनको धूल चटा दी। सक्सेना को 60 फीसदी से ज्यादा वोट मिले जबकि रजा को केवल 36 फीसदी।