अयोध्या के राम मंदिर में 5 जून 2025 को राम दरबार की स्थापना की गई। अयोध्या के राजा के रूप में राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के दो दिन बाद इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में राम मंदिर समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने की भी सीमाएं होती हैं। उन्होंने कहा कि एक बार जब लोगों को यह एहसास हो जाएगा कि समय बीत चुका है और एक बार जब वे वर्तमान में रहते हुए भविष्य के सपने को साकार कर लेंगे तो समाज अधिक सकारात्मक होगा और विकास के मुद्दों की ओर देखेगा।

नृपेंद्र मिश्रा फरवरी 2020 में मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर को सभी ने केवल इसलिए स्वीकार किया क्योंकि यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया था लेकिन ऐसे सभी संघर्षों में अतीत के लिए न्याय की मांग नहीं की जा सकती।

प्रधानमंत्री मोदी ने किस बात पर दिया ज़ोर

मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात पर ज़ोर दे रहे थे कि मंदिर से लोगों को जो संदेश मिलता है, वह नकारात्मक नहीं है। उन्होंने कहा, “हमने कहीं भी यह नाम नहीं लिया कि फलां व्यक्ति आया और उसने मंदिर को नष्ट कर दिया। संदेश यह था कि कृपया नकारात्मक विचारों पर चर्चा न करें। पीएम इस बात का ज़िक्र करते रहे कि अगर आप इसे एक प्रमुख संदेश बना देंगे तो युवा पीढ़ी खुद को छोटा महसूस करेगी। वह नहीं चाहते थे कि युवा पीढ़ी को सनातन धर्म के विफल होने के इन अस्थायी झटकों से जूझना पड़े। युवा पीढ़ी को पता होना चाहिए कि हमने कैसे इसे दोबारा हासिल किया और संरक्षित किया है।”

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मुद्दों को सही करने की अपनी सीमाएं हैं- नृपेंद्र मिश्रा

क्या राम मंदिर का निर्माण पूरा होने से अलग-अलग जगहों पर मंदिरों के लिए और दावे उठेंगे, इस सवाल पर नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, “मैं यह जिम्मेदारी सरकार पर नहीं डालता। यह विभिन्न सामाजिक समूहों, प्रतिनिधियों, निर्वाचित या गैर निर्वाचित लोगों की जिम्मेदारी होगी, उन्हें पहचानना होगा। मुद्दों को सही करने की उनकी अपनी सीमाएं हैं। हम सभी जानते हैं कि जो समय बीत गया है वह वापस नहीं आता है। हम उसे जकड़ कर नहीं रखते। एक बार उन्हें एहसास हो जाए कि समय बीत गया है और एक बार जब वे वर्तमान में रहते हुए भविष्य के सपने को साकार करेंगे तो समाज अधिक सकारात्मक होगा और विकास के मुद्दों की ओर देखेगा।”

संभल में जामा मस्जिद विवाद के बारे में पूछे जाने पर नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, “यह एक समस्या है। कुछ मुद्दे किसी तरह से स्थानीय होते हैं। मैं हमेशा कहता हूं कि राम मंदिर पर फैसला सभी ने इसलिए स्वीकार किया क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट का था। सब कुछ सामान्य हो गया। तब हर कोई दैनिक दिनचर्या का पालन कर रहा था। हम अतीत के लिए न्याय नहीं मांग सकते। इसे भूलना होगा।” पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स