Ayodhya Case पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने कमर कस ली है। गुरुवार को केंद्र ने ऐहतियात के तौर पर अर्धसैनिक बलों के तकरीबन चार हजार जवानों को उत्तर प्रदेश भेज दिया। साथ ही सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे खास तौर पर सचेत रहें और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद कर दें।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी PTI-Bhasha को बताया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक आम परामर्श जारी किया गया है, जिसमें उन्हें सभी संवेदनशील इलाकों में पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात करने के लिए कहा गया है। साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि देश में कहीं भी, किसी भी स्थान पर कोई अप्रिय घटना न हो।
उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए मंत्रालय ने अर्द्धसैनिक बलों की 40 कंपनियां राज्य में भेजी हैं। बता दें कि अर्धसैनिक बलों की एक कंपनी में करीब 100 जवान होते हैं।
इसी बीच, देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल एन संतोष हेगड़े ने कहा है कि इस केस में SC के निर्णय पर ना जश्न होना चाहिए और न विरोध प्रदर्शन। देश को न्यायिक फैसले को स्वीकार करना चाहिए और उस पर किसी तरह की प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं दी जानी चाहिए।
श्रीराम की नगरी में अगले हफ्ते जुटेगी भारी भीड़!: प्रभु श्रीराम की नगरी में कार्तिक पूर्णिमा पर अगले हफ्ते बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के उमड़ने की संभावना है। क्या SC के फैसले के मद्देनजर श्रद्धालुओं की संख्या कम की जाएगी? इस पर फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट अनुज कुमार झा ने समाचार एजेंसी PTI-Bhasha को बताया, ‘‘नहीं, श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन के लिए अयोध्या आते रहेंगे।’’ 12 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा स्रान के मौके पर शहर में लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
इसी बीच, राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में SC का फैसला आने के मद्देनजर स्थानीय प्रशासन शांति बनाए रखने की कोशिशों में जुटा है। वहीं, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई के 17 नवंबर को सेवानिवृत्त होने से पहले टॉप कोर्ट संवेदनशील अयोध्या मुद्दे पर अपना फैसला सुना सकता है। सीजेआई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 40 दिन तक लगातार चली सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को अयोध्या भूमि विवाद मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।