महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित मुगल शासक औरंगजेब के मकबरे को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कवर कर दिया है। अब इसके चारों ओर बड़े-बड़े शेड लगा दिए गए हैं, जिससे मकबरा को अब देखा नहीं जा सकता है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब औरंगजेब को लेकर देशभर में विवाद चल रहा है।

योगी आदित्यनाथ ने आक्रांताओं के महिमामंडन की निंदा की

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने औरंगजेब से जुड़े विवादों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि भारत की विरासत पर हमला करने वालों और आक्रांताओं का महिमामंडन करने वालों को ‘नया भारत’ स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि जो लोग ऐसे आक्रांताओं की प्रशंसा करते हैं, वे देशद्रोह को बढ़ावा दे रहे हैं। योगी आदित्यनाथ के इस बयान को औरंगजेब की विरासत और उसके मकबरे से जुड़े हालिया विवादों से जोड़कर देखा जा रहा है।

औरंगजेब से जुड़े विवाद के चलते नागपुर में हिंसा भड़क गई थी। पुलिस ने हिंसा फैलाने के आरोप में फहीम खान के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया है। पुलिस के अनुसार, फहीम खान इस हिंसा का मास्टरमाइंड था। हिंसा में शामिल लोगों की पहचान करने और उनकी गिरफ्तारी के लिए 18 विशेष टीमें बनाई गई हैं। सरकार इस मामले में सख्त रुख अपनाए हुए है और आरोपियों पर कठोर कार्रवाई की जा रही है।

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उधर, विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने औरंगजेब की समाधि को हटाने की मांग तेज कर दी है। संगठन ने महाराष्ट्र के विभिन्न सरकारी कार्यालयों में विरोध प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर समाधि हटाने की मांग की। वीएचपी का कहना है कि औरंगजेब ने भारत की संस्कृति और धर्म को नष्ट करने का प्रयास किया था। संगठन ने उनके इतिहास को याद दिलाते हुए कहा कि उन्होंने सिख गुरु गोविंद सिंह के बेटों की हत्या करवाई, मराठा शासक छत्रपति संभाजी महाराज को प्रताड़ित किया और काशी-मथुरा सहित कई मंदिरों को ध्वस्त किया।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर हिंसा की कड़ी निंदा की और विधानसभा में स्पष्ट किया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि पुलिस पर हमला करने वालों को उनकी कब्रों से भी निकालकर सजा दी जाएगी। इस बीच, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल के आठ सदस्यों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिन्हें बाद में जमानत मिल गई।