आठ नवंबर, 2018 को 91 साल के हो गए लाल कृष्ण आडवाणी को भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी से जो सम्मान और भरोसा मिला, वह शायद कभी, किसी से नहीं मिला। 65 सालों तक अटल जी के साथ काम करने वाले पूर्व उप प्रधानमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को ऐसे कई किस्से याद हैं। इनका जिक्र वह वक्त-बेवक्त करते रहे हैं। अटल जी के जीवन से जुड़े बहुत सारे ऐसे किस्से हैं, जिन्हें सबसे करीब से लालकृष्ण आडवाणी ही जानते हैं। पूर्व पीएम को साल 2015 में भारत के शीर्ष नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था, उस वक्त आडवाणी ने अटल जी को लेकर काफी अहम बात कही थी।
आडवाणी ने कहा था कि जब उन्होंने अटल जी को बोलते हुए सुना था तब वे ये सोचने लगे थे कि कहीं वे गलत पार्टी में तो नहीं आ गए। अटल जी को भारत रत्न मिलने पर लालकृष्ण आडवाणी ने आज तक को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, ‘बहुत कम लोग ये जानते हैं कि उनकी अद्भुत वक्तृत्व कला को जब मैंने पहली बार सुना था तो मैं ये सोचने लगा था कि कहीं मैं गलत पार्टी में तो नहीं आ गया। अब इस पार्टी में मुझे इतना महत्व देते हैं अटल जी स्वयं और मैं कभी भी इस पार्टी में कोई उत्तरदायित्व संभालने के लिए मैं अपने को योग्य नहीं मानता। इस प्रकार की क्षमता जहां नेतृत्व में है, जैसी मैंने अटल जी में देखी है, वो मुझमे तो आ ही नहीं सकती। इसलिए मेरे अंदर उन्होंने कॉम्प्लेक्स पैदा कर दिया था। पहली-पहली उस लंबी यात्रा में।’ इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि वह कॉम्प्लेक्स उनके अंदर आज भी है।
आडवाणी ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि अटल जी उन्हें बहुत महत्व देते थे। उन्होंने कहा, ‘मैं पार्टी का अध्यक्ष बनने को भी तैयार नहीं था, लेकिन अटल जी ने कहा कि बनिए। मैंने कहा मेरे अंदर इतनी क्षमता नहीं है, मैं लिख लेता हूं लेकिन वो भी अंग्रेजी में। मैंने उनसे कहा कि जिस प्रकार आप गंभीर से गंभीर बात भी सहज रूप से लोगों को समझा सकते हैं, मैं नहीं कर पाता।’
