सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर पिछले महीने एक अपडेट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा 33 न्यायाधीशों में से 27 ने भारत के CJI डीवाई चंद्रचूड़ को अपनी संपत्ति और देनदारियों की घोषणा की है। वहीं, वर्तमान में देश भर के 25 हाई कोर्ट में तैनात 749 जजों में से केवल 98 की संपत्ति इन संस्थानों की आधिकारिक वेबसाइटों पर पोस्ट की गई है और सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है।

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा आधिकारिक डेटा की समीक्षा के अनुसार यह कुल संख्या का केवल 13 प्रतिशत है। इनमें से तीन हाई कोर्ट में 80 प्रतिशत से ज्यादा जजों ने संपत्ति की घोषणा की है। केरल उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध 39 में से 37 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की घोषणा की है। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 55 में से 31 न्यायाधीशों की जानकारी अपलोड की है, वहीं दिल्ली उच्च न्यायालय ने 39 में से 11 न्यायाधीशों का विवरण पोस्ट किया है।

केरल, पंजाब और हरियाणा और दिल्ली के उच्च न्यायालयों के अलावा, जिन न्यायाधीशों की संपत्ति की घोषणा अपलोड की गई है वे हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और मद्रास हाई कोर्ट से हैं। इन सात उच्च न्यायालयों की वेबसाइटों पर उन न्यायाधीशों का नाम नहीं है जिन्होंने अपनी संपत्ति घोषित नहीं की है, हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय की वेबसाइट उनके लिए ‘फ़ाइल अपलोड नहीं की गई’ कहती है।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 33 में से 27 जजों की संपत्ति घोषित

18 सितंबर को द इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट दी थी कि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपने 33 न्यायाधीशों में से 27 जजों की एक लिस्ट पोस्ट की थी, जिन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अपनी संपत्ति की घोषणा की है। हालांकि केवल उनके नाम दिए गए थे, उनकी संपत्ति की घोषणा नहीं की गयी थी।

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सुप्रीम कोर्ट के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि सार्वजनिक रूप से संपत्ति की घोषणा पूरी तरह से स्वैच्छिक आधार पर है। दरअसल, एक साल पहले ही संसद की कार्मिक, लोक शिकायत और कानून और न्याय समिति द्वारा सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की संपत्ति और देनदारियों की अनिवार्य घोषणा के लिए कानून की सिफारिश की गयी थी।

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इस सिफारिश के बाद, इंडियन एक्सप्रेस ने 28 अगस्त, 2023 को आरटीआई अधिनियम के तहत उन 18 उच्च न्यायालयों में से आठ को प्रश्न भेजे, जिन्होंने देश के सभी क्षेत्रों को कवर करते हुए न्यायाधीशों की संपत्ति पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है। आरटीआई प्रश्नों में इस जानकारी को सार्वजनिक डोमेन में पोस्ट न करने के कारणों को जानने की कोशिश की गई।

जिसके बाद सितंबर और दिसंबर 2023 के बीच मिली प्रतिक्रियाओं में जानकारी को “व्यक्तिगत” के रूप में लेबल किए जाने से लेकर यह कहा गया कि यह आरटीआई अधिनियम के तहत कवर नहीं किया गया था।

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जजों को संपत्ति की घोषणा करना स्वैच्छिक

7 मई, 1997 को सुप्रीम कोर्ट ने भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे एस वर्मा की अध्यक्षता में एक बैठक में प्रस्ताव अपनाया गया था जिसमें कहा गया था, “प्रत्येक न्यायाधीश को अचल संपत्ति या निवेश के रूप में उनके नाम पर, उनके पति या पत्नी या उन पर आश्रित किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर सभी संपत्तियों की घोषणा मुख्य न्यायाधीश को करनी चाहिए।”

28 अगस्त, 2009 को दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत द्वारा पारित एक प्रस्ताव में कहा गया, “सभी न्यायाधीश अपनी संपत्ति सार्वजनिक करने के लिए सहमत हैं।” जिसके बाद 8 सितंबर, 2009 को सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ ने 31 अक्टूबर, 2009 को या उससे पहले अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर न्यायाधीशों की संपत्ति घोषित करने का संकल्प लिया और कहा कि यह विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक आधार पर था।